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हड़ताल पर जबलपुर मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर्स, कोरोना वार्डों में ड्यूटी पर उठाए सवाल - जबलपुर मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर्स

जबलपुर मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर्स कॉलेज प्रबंधन और सरकार के खिलाफ अपनी बुनियादी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं. डॉक्टर्स ने सरकार और कॉलेज प्रबंधन को अल्टीमेटम दिया है कि यदि मांगे नहीं मानी गईं तो आगे यह हड़ताल बड़ा रूप ले सकती है.

Jabalpur Medical College's intern doctors
जबलपुर मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर्स
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Published : Aug 8, 2020, 8:29 PM IST

जबलपुर। कोरोना काल मे जबलपुर मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर्स ने कॉलेज प्रबंधन और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जिसके चलते नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से MBBS पासआउट 122 मेडिकल इंटर्न डॉक्टर्स अपनी बुनियादी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं.

जबलपुर मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर्स ने हड़ताल की है

इंटर्न डॉक्टर्स की मांग है कि कोरोना संक्रमण काल में मरीजों के इलाज के दौरान उन्हें ग्लब्ज, मास्क, पीपीई किट और सैनेटाइजर उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं, जिसके कारण जान जोखिम में डाल कर उन्हें इलाज करना पड़ रहा है. साथ ही चार महीने से स्टायपेंड न मिलने और वार्ड में ड्यूटी करने के बाद सात दिन के लिए क्वॉरेंटाइन होने की भी नहीं अनुमति नहीं दी जा रही है.

जिसके कारण कई डॉक्टर्स कोरोना का शिकार हो चुके हैं, जबकि 40 से ज्यादा क्वॉरेंटाइन हो गए हैं. लिहाजा इन सभी मांगों का एक पत्र अस्पताल के डीन को दिया गया है और जब तक मांग पूरी नहीं की जाती तब तक हड़ताल पर रहने की बात कही गई है.

इंटर्न डॉक्टर्स की इस हड़ताल का मेडिकल के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी समर्थन किया है और आगे वह भी हड़ताल पर जा सकते हैं. ऐसे में मेडिकल कॉलेज के फीचर क्लीनिक सहित तमाम व्यवस्थाओं पर प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है.

जबलपुर। कोरोना काल मे जबलपुर मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर्स ने कॉलेज प्रबंधन और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जिसके चलते नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से MBBS पासआउट 122 मेडिकल इंटर्न डॉक्टर्स अपनी बुनियादी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं.

जबलपुर मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर्स ने हड़ताल की है

इंटर्न डॉक्टर्स की मांग है कि कोरोना संक्रमण काल में मरीजों के इलाज के दौरान उन्हें ग्लब्ज, मास्क, पीपीई किट और सैनेटाइजर उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं, जिसके कारण जान जोखिम में डाल कर उन्हें इलाज करना पड़ रहा है. साथ ही चार महीने से स्टायपेंड न मिलने और वार्ड में ड्यूटी करने के बाद सात दिन के लिए क्वॉरेंटाइन होने की भी नहीं अनुमति नहीं दी जा रही है.

जिसके कारण कई डॉक्टर्स कोरोना का शिकार हो चुके हैं, जबकि 40 से ज्यादा क्वॉरेंटाइन हो गए हैं. लिहाजा इन सभी मांगों का एक पत्र अस्पताल के डीन को दिया गया है और जब तक मांग पूरी नहीं की जाती तब तक हड़ताल पर रहने की बात कही गई है.

इंटर्न डॉक्टर्स की इस हड़ताल का मेडिकल के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी समर्थन किया है और आगे वह भी हड़ताल पर जा सकते हैं. ऐसे में मेडिकल कॉलेज के फीचर क्लीनिक सहित तमाम व्यवस्थाओं पर प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है.

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