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Illegal Sand Mining: 'मायके' में घुट रहा नदियों का दम! काली कमाई से तिजोरी भर रहे माफिया - #sandmafia

सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद मध्यप्रदेश में अवैध खनन का दायरा बढ़ता ही जा रहा है, कई जिलों में अवैध रेत खनन के चलते हो रहे विवाद में लोगों को जान से भी हाथ धोना पड़ रहा है, जबकि रेत माफिया (Sand Mafia) द्वारा धड़ल्ले से किए जा रहे खनन से नदियों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. भले ही मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहते हैं, लेकिन इन दिनों अपने मायके में ही नदियों का दम घुट रहा है.

Controversy happens every day regarding sand mining
रेत खनन को लेकर आए दिन होते है विवाद
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Published : Jun 14, 2021, 5:13 PM IST

जबलपुर। यूं तो हर व्यापार में नफा-नुकसान का रिस्क रहता है, पर रेत के कारोबार में जान-माल का जोखिम होता है. संस्कारधानी जबलपुर में इन दिनों रेत का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. इस व्यापार में जनप्रतिनिधि के साथ ही दबंग और नामी बदमाश या माफिया किस्म के लोग खूब इंट्रेस्ट लेते हैं. जबलपुर जिले में मुख्य रूप से दो नदियों से रेत निकाली जाती है, इसमें सबसे बड़ा खनन नर्मदा नदी से होता है, जिसके लगभग हर कोने से रेत निकाली जाती है, जबकि दूसरा बड़ा स्रोत हिरण नदी है. इस नदी से भी बड़ी मात्रा में रेत का अवैध उत्खनन किया जाता है. इस कारोबार में स्थानीय लोगों का वर्चस्व होता है और नदियों के किनारे रहने वाले लोग बिना किसी रॉयल्टी के नदी से रेत निकालते हैं और बाजारों में बेच देते हैं.

रेत माफियाओं के हौसले बुलंद

रेत की कमी बनती है विवाद का कारण

स्थानीय लोगों में विवाद की पहली वजह रेत की कमी होती है, ज्यादातर विवाद तब होते हैं, जब लोग एक ही जगह से रेत निकालना चाहते हैं. कारोबारियों में रेत को लेकर होने वाला विवाद अक्सर वर्चस्व की लड़ाई में तब्दील हो जाता है, जबकि झगड़े की दूसरी बड़ी वजह रॉयल्टी होती है. सरकार अवैध खनन (Illegal Sand Mining) नहीं रोक पाती है, इसलिए वह रेत बेचने वालों से रॉयल्टी लेती है और रॉयल्टी वसूलने का काम ठेके पर दिया जाता है. ठेकेदार रॉयल्टी की कीमत तय करता है, इसलिए रेट कोई भी निकाले, रॉयल्टी ठेकेदार को देनी होती है. इसके जरिये कुछ जायज वसूली होती है जो सरकार तक पहुंचाई जाती है.

रेत माफिया और वन विभाग में फायरिंग: चपेट में आने से ग्रामीण की मौत, वन विभाग के 9 कर्मचारियों पर केस दर्ज

तीन सालों में तीस करोड़ का ठेका

जबलपुर में पिछले तीन सालों के लिए 30 रूपए में ठेका नीलाम हुआ है, अब यह पैसा ठेकेदार को रेत निकालने वाले लोगों से लेकर सरकार को देना होगा, जबकि ऐसे भी कई लोग हैं जो रॉयल्टी दिए बिना नदी से रेत निकाल रहे हैं. जबलपुर जिला खनिज अधिकारी का कहना है कि उन्होंने बीते एक साल में दो करोड़ का राजस्व अवैध रूप से निकाली हुई रेत की नीलामी से जमा करवाया है, लेकिन अभी भी चोरी छिपे नदियों से रेत निकाली जा रही है और सड़कों पर इसका भंडारण किया जा रहा है. अवैध रेत के कई बड़े टीले शहर के आसपास देखे जा सकते हैं. रेत के विवाद में जबलपुर में शायद ही ऐसा कोई महीना जाता है, जब बड़े विवाद न होते हों और साल में सैकड़ों लोग खनन विवाद में घायल होते हैं. इतना ही नहीं खनन विवाद में कई लोगों की जान भी चली जाती है.

रेत खनन के विवाद में गई कइयों की जान

अवैध खनन को लेकर कई बड़ी वारदातें हो चुकी हैं, जिसमें 26 मई 2021 को हुई वारदात में शाहपुरा भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष के भाई को गोली मार दी गई. इस मामले में 50 राउंड गोलियां चली और दीपक सिंह गौर को गोली लगी. गनीमत रही कि दीपक सिंह इलाज के बाद ठीक हो गए. वहीं दूसरी घटना में जबलपुर के लामेटा घाट पर 12 जनवरी को रेट विवाद में एक युवक ने दूसरे युवक की हत्या कर दी, जबकि लामेटा घाट के पास हिरण नदी से अवैध रेत निकालने को लेकर हुए विवाद में 30 सितंबर 2020 को फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई थी और तीन लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे, वहीं 5 दिसंबर 2020 को बेलखेड़ा में अवैध खनन में हुए विवाद में धनीराम प्रजापति को गोली मारी गई, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई. 5 मई 2020 जबलपुर के बेलखेड़ा के पास कूड़ा गांव में रेत को लेकर हुए विवाद में पूर्व विधायक के परिवार के लोग पहुंचे और दोनों पक्षों में जमकर गोलियां चली.

जबलपुर। यूं तो हर व्यापार में नफा-नुकसान का रिस्क रहता है, पर रेत के कारोबार में जान-माल का जोखिम होता है. संस्कारधानी जबलपुर में इन दिनों रेत का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. इस व्यापार में जनप्रतिनिधि के साथ ही दबंग और नामी बदमाश या माफिया किस्म के लोग खूब इंट्रेस्ट लेते हैं. जबलपुर जिले में मुख्य रूप से दो नदियों से रेत निकाली जाती है, इसमें सबसे बड़ा खनन नर्मदा नदी से होता है, जिसके लगभग हर कोने से रेत निकाली जाती है, जबकि दूसरा बड़ा स्रोत हिरण नदी है. इस नदी से भी बड़ी मात्रा में रेत का अवैध उत्खनन किया जाता है. इस कारोबार में स्थानीय लोगों का वर्चस्व होता है और नदियों के किनारे रहने वाले लोग बिना किसी रॉयल्टी के नदी से रेत निकालते हैं और बाजारों में बेच देते हैं.

रेत माफियाओं के हौसले बुलंद

रेत की कमी बनती है विवाद का कारण

स्थानीय लोगों में विवाद की पहली वजह रेत की कमी होती है, ज्यादातर विवाद तब होते हैं, जब लोग एक ही जगह से रेत निकालना चाहते हैं. कारोबारियों में रेत को लेकर होने वाला विवाद अक्सर वर्चस्व की लड़ाई में तब्दील हो जाता है, जबकि झगड़े की दूसरी बड़ी वजह रॉयल्टी होती है. सरकार अवैध खनन (Illegal Sand Mining) नहीं रोक पाती है, इसलिए वह रेत बेचने वालों से रॉयल्टी लेती है और रॉयल्टी वसूलने का काम ठेके पर दिया जाता है. ठेकेदार रॉयल्टी की कीमत तय करता है, इसलिए रेट कोई भी निकाले, रॉयल्टी ठेकेदार को देनी होती है. इसके जरिये कुछ जायज वसूली होती है जो सरकार तक पहुंचाई जाती है.

रेत माफिया और वन विभाग में फायरिंग: चपेट में आने से ग्रामीण की मौत, वन विभाग के 9 कर्मचारियों पर केस दर्ज

तीन सालों में तीस करोड़ का ठेका

जबलपुर में पिछले तीन सालों के लिए 30 रूपए में ठेका नीलाम हुआ है, अब यह पैसा ठेकेदार को रेत निकालने वाले लोगों से लेकर सरकार को देना होगा, जबकि ऐसे भी कई लोग हैं जो रॉयल्टी दिए बिना नदी से रेत निकाल रहे हैं. जबलपुर जिला खनिज अधिकारी का कहना है कि उन्होंने बीते एक साल में दो करोड़ का राजस्व अवैध रूप से निकाली हुई रेत की नीलामी से जमा करवाया है, लेकिन अभी भी चोरी छिपे नदियों से रेत निकाली जा रही है और सड़कों पर इसका भंडारण किया जा रहा है. अवैध रेत के कई बड़े टीले शहर के आसपास देखे जा सकते हैं. रेत के विवाद में जबलपुर में शायद ही ऐसा कोई महीना जाता है, जब बड़े विवाद न होते हों और साल में सैकड़ों लोग खनन विवाद में घायल होते हैं. इतना ही नहीं खनन विवाद में कई लोगों की जान भी चली जाती है.

रेत खनन के विवाद में गई कइयों की जान

अवैध खनन को लेकर कई बड़ी वारदातें हो चुकी हैं, जिसमें 26 मई 2021 को हुई वारदात में शाहपुरा भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष के भाई को गोली मार दी गई. इस मामले में 50 राउंड गोलियां चली और दीपक सिंह गौर को गोली लगी. गनीमत रही कि दीपक सिंह इलाज के बाद ठीक हो गए. वहीं दूसरी घटना में जबलपुर के लामेटा घाट पर 12 जनवरी को रेट विवाद में एक युवक ने दूसरे युवक की हत्या कर दी, जबकि लामेटा घाट के पास हिरण नदी से अवैध रेत निकालने को लेकर हुए विवाद में 30 सितंबर 2020 को फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई थी और तीन लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे, वहीं 5 दिसंबर 2020 को बेलखेड़ा में अवैध खनन में हुए विवाद में धनीराम प्रजापति को गोली मारी गई, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई. 5 मई 2020 जबलपुर के बेलखेड़ा के पास कूड़ा गांव में रेत को लेकर हुए विवाद में पूर्व विधायक के परिवार के लोग पहुंचे और दोनों पक्षों में जमकर गोलियां चली.

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