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कमाई की सुर्खी से लाल हुआ टमाटर, छतरपुर में लाखों कमा लोगों का भर रहा घर - TOMATO CULTIVATION BUNDELKHAND

बुंदेलखंड के किसान टमाटर की फसल से खूब मुनाफा कमा रहे हैं. जुलाई के महीने में लगाई गई फसल अब बिकने के लिए तैयार है.

Farmers are getting rich from tomato cultivation
टमाटर की खेती से मालामाल हो रहे किसान (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 27, 2025, 12:18 PM IST

Updated : Jan 27, 2025, 5:02 PM IST

छतरपुर: बुंदेलखंड का वह इलाका जहां कभी सूखे मौसम में लोग पलायन कर जाते थे, आज वहां किसान उन्नत खेती कर घर बैठे लाखों कमा रहे हैं. किसानों के खेतों में जैसे-जैसे टमाटर लाल हो रहा है वैसे वैसे किसान मालामाल हो रहे हैं. छतरपुर जिले के 3500 हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है. और इसकी खेती कर किसान कमाई की नई इबारत लिख रहै है.

छतरपुर के किसान टमाटर की खेती कर अपनी किस्मत बदल रहे हैं. किसान टमाटर की खेती कर हर महीने लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. छतरपुर जिले में 3500 हेक्टेयर में किसान टमाटर की फसल पैदा कर रहे हैं. छतरपुर के महाराजपुर, गढ़ीमलहरा, छतरपुर से लगे ग्रामीण इलाकों में किसान टमाटर का अच्छा उत्पादन कर रहे हैं.

टमाटर की खेती से मालामाल हो रहे किसान (Etv Bharat)

वहीं किसानों का कहना है कि अभी जितना टमाटर तोड़ा गया है, उससे चार गुना अधिक पेड़ों पर लगा है. जिसके पकने का इंतजार है. 5 महीने तक टमाटर की फसल से किसानों को लाखों की आय होने की संभावना है.

एक हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर उगाने के लिए 350 से 400 ग्राम बीज होता है पर्याप्त

खेती के जानकार बताते हैं कि एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है. संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है. बुवाई का सही समय वर्षा ऋतु में जून-जुलाई तथा शीत ऋतु में जनवरी-फरवरी होता है.

औषधियों के रूप में काम करता है टमाटर, ड्रिप सिंचाई होती है कारगर

टमाटर को सब्जियों का राजा भी कहा जाता है. टमाटर के बिना हर सब्जी अधूरी होती है. टमाटर में पोटैशियम, विटामिन, लाइकोपीन और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. टमाटर को हम सलाद, सूप, चटनी में इस्तेमाल कर अपने खाने का स्वाद बढ़ाते हैं. इसे आयुर्वेदिक ब्यूटी प्रोडक्ट में भी इस्तेमाल किया जाता है. कई गुणों से भरपूर टमाटर की खेती से किसान अब अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं.

Farmers are getting rich from tomato cultivation
टमाटर की खेती से मालामाल हो रहे किसान (Etv Bharat)

युवा किसान महादेव पटेल बताते हैं, "टमाटर की खेती पूरे 12 महीने होती है. टमाटर की खेती से हमें अच्छी कमाई हो रही है. इसके लिए हम ड्रिप सिंचाई पद्धति को अपना रहे हैं. इसमें कम पानी लगता है और खरपतवार भी नहीं लगते. यहां उत्पादित टमाटर न सिर्फ अपने जिले और प्रदेश बल्कि उत्तर प्रदेश में भी जाता है."

वहीं छतरपुर जिले के आटारण निवासी महिला किसान शीला बताती हैं "टमाटर की खेती से अच्छी कमाई होती है. टमाटर की फसल बिकने के लिए छतरपुर के साथ ही अन्य जिलों में जाती है."

जिला उद्यान अधिकारी ने कहा, जुलाई से शुरू होती है टमाटर के फसल की तैयारी

वहीं छतरपुर के जिला उद्यान अधिकारी जगदीश सिंह मुजाल्दा बताते हैं "टमाटर की कई किस्मों के बीज बाजार में उपलब्ध हैं. किसान जुलाई से टमाटर की फसल की तैयारी करने में लग जाते हैं. इसे नाली बनाकर ऊंचे स्थान पर 100 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपने से खरपतवार नियंत्रित रहती है, इससे बारिश का पानी भी नहीं ठहरता है. निराई गुड़ाई भी सही तरीके से होती है. इस फसल के लिए खेत में नमी जरूरी है. कीटों से बचाव के लिए 3 ग्राम थायरम को उचित मात्रा में पानी में मिलाकर छिड़काव करने से पौध को उपचारित किया जा सकता है. सर्दियों में पाले से बचाव के लिए 10 से 12 दिनों में आवश्यकता अनुसार सिंचाई की अत्यंत आवश्यकता होती है."

छतरपुर: बुंदेलखंड का वह इलाका जहां कभी सूखे मौसम में लोग पलायन कर जाते थे, आज वहां किसान उन्नत खेती कर घर बैठे लाखों कमा रहे हैं. किसानों के खेतों में जैसे-जैसे टमाटर लाल हो रहा है वैसे वैसे किसान मालामाल हो रहे हैं. छतरपुर जिले के 3500 हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है. और इसकी खेती कर किसान कमाई की नई इबारत लिख रहै है.

छतरपुर के किसान टमाटर की खेती कर अपनी किस्मत बदल रहे हैं. किसान टमाटर की खेती कर हर महीने लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. छतरपुर जिले में 3500 हेक्टेयर में किसान टमाटर की फसल पैदा कर रहे हैं. छतरपुर के महाराजपुर, गढ़ीमलहरा, छतरपुर से लगे ग्रामीण इलाकों में किसान टमाटर का अच्छा उत्पादन कर रहे हैं.

टमाटर की खेती से मालामाल हो रहे किसान (Etv Bharat)

वहीं किसानों का कहना है कि अभी जितना टमाटर तोड़ा गया है, उससे चार गुना अधिक पेड़ों पर लगा है. जिसके पकने का इंतजार है. 5 महीने तक टमाटर की फसल से किसानों को लाखों की आय होने की संभावना है.

एक हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर उगाने के लिए 350 से 400 ग्राम बीज होता है पर्याप्त

खेती के जानकार बताते हैं कि एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है. संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है. बुवाई का सही समय वर्षा ऋतु में जून-जुलाई तथा शीत ऋतु में जनवरी-फरवरी होता है.

औषधियों के रूप में काम करता है टमाटर, ड्रिप सिंचाई होती है कारगर

टमाटर को सब्जियों का राजा भी कहा जाता है. टमाटर के बिना हर सब्जी अधूरी होती है. टमाटर में पोटैशियम, विटामिन, लाइकोपीन और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. टमाटर को हम सलाद, सूप, चटनी में इस्तेमाल कर अपने खाने का स्वाद बढ़ाते हैं. इसे आयुर्वेदिक ब्यूटी प्रोडक्ट में भी इस्तेमाल किया जाता है. कई गुणों से भरपूर टमाटर की खेती से किसान अब अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं.

Farmers are getting rich from tomato cultivation
टमाटर की खेती से मालामाल हो रहे किसान (Etv Bharat)

युवा किसान महादेव पटेल बताते हैं, "टमाटर की खेती पूरे 12 महीने होती है. टमाटर की खेती से हमें अच्छी कमाई हो रही है. इसके लिए हम ड्रिप सिंचाई पद्धति को अपना रहे हैं. इसमें कम पानी लगता है और खरपतवार भी नहीं लगते. यहां उत्पादित टमाटर न सिर्फ अपने जिले और प्रदेश बल्कि उत्तर प्रदेश में भी जाता है."

वहीं छतरपुर जिले के आटारण निवासी महिला किसान शीला बताती हैं "टमाटर की खेती से अच्छी कमाई होती है. टमाटर की फसल बिकने के लिए छतरपुर के साथ ही अन्य जिलों में जाती है."

जिला उद्यान अधिकारी ने कहा, जुलाई से शुरू होती है टमाटर के फसल की तैयारी

वहीं छतरपुर के जिला उद्यान अधिकारी जगदीश सिंह मुजाल्दा बताते हैं "टमाटर की कई किस्मों के बीज बाजार में उपलब्ध हैं. किसान जुलाई से टमाटर की फसल की तैयारी करने में लग जाते हैं. इसे नाली बनाकर ऊंचे स्थान पर 100 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपने से खरपतवार नियंत्रित रहती है, इससे बारिश का पानी भी नहीं ठहरता है. निराई गुड़ाई भी सही तरीके से होती है. इस फसल के लिए खेत में नमी जरूरी है. कीटों से बचाव के लिए 3 ग्राम थायरम को उचित मात्रा में पानी में मिलाकर छिड़काव करने से पौध को उपचारित किया जा सकता है. सर्दियों में पाले से बचाव के लिए 10 से 12 दिनों में आवश्यकता अनुसार सिंचाई की अत्यंत आवश्यकता होती है."

Last Updated : Jan 27, 2025, 5:02 PM IST
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