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MP High Court News : हाईकोर्ट ने दी युवती को मर्जी के अनुसार मुस्लिम युवक के साथ रहने की आजादी

अपनी मर्जी से मुस्लिम युवक के साथ रहने की स्वतंत्रता हाईकोर्ट ने बालिग युवती को प्रदान की. युवती की उम्र महज 19 होने के कारण हाईकोर्ट ने प्रोवेशन ऑफिसर को प्रत्येक पखवाडे़ में युवती के संबंध में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किये थे. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विषाल मिश्रा की युगलपीठ ने बंधी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है कि बालिग होने के कारण युवती को अपनी मर्जी के विवाह करने तथा रहने की स्वतंत्रता है. (High Court gave freedom to girl) (live with Muslim youth as per her wish)

High Court gave freedom to girl
हाईकोर्ट ने दी युवती को मर्जी के अनुसार रहने की आजादी
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Published : Jun 20, 2022, 7:26 PM IST

जबलपुर। होशंगाबाद निवासी इटारसी निवासी फैसल खान की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया था कि उसकी प्रेमिका जो हिंदू है. उसे जबरजस्ती नारी निकेतन में रखा गया है. वह एक- दूसरे से प्रेम करते हैं और युवती की उम्र 19 वर्ष है. वह पूरी तरह से बालिग है और जनवरी के पहले सप्ताह में वह अपना घर छोड़कर उसके साथ रहने लगी थी. लापता होने की रिपोर्ट युवती के पिता ने पुलिस में दर्ज करवाई थी.

युवती को जबरन नारी निकेतन भेज दिया था : इसके बाद दोनों ने थाने में उपस्थित होकर बताया था कि वह मर्जी से से एक-दूसरे के साथ रहना चाहते हैं. पुलिस में बयान दर्ज करवाने के बाद वह भोपाल आकर रहने लगे थे. इटारसी पुलिस ने फरवरी माह के पहले सप्ताह में एसडीएम के समक्ष बयान दर्ज करवाने के लिए उन्हें बुलाया था. एसडीएम के समक्ष बयान दर्ज करवाने के बाद पुलिस ने बिना किसी आदेश के जबरदस्ती युवती को नारी निकेतन भेज दिया था. इसके खिलाफ उक्त बंदी प्रत्यक्षिकरण याचिका दायर की गयी है.

युवक ने दिया हलफनामा में डिटेल्स : याचिका की सुनवाई के दौरान वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित युवती ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के साथ रहना चाहती है. हाईकोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ता ने अपनी शिक्षा,आय तथा धर्म के संबंध में हलफनामा पेश किया था. हलफनामे में कहा गया था कि दोनो अपने धर्म को मानने को स्वतंत्र हैं और वह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करेंगे. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के हलफनामा की प्रति युवती को फैक्स व वाट्सअप के माध्यम से भेजने तथा उसे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित करने के निर्देश दिये.

MP High Court News : हाई कोर्ट ने पूछा - रेप की पुष्टि होने के बाद भी आरोपी को कैसे कर दिया दोषमुक्त

युवती बोली- मैं प्रेमी के साथ रहना चाहती हूं : युवती ने 23 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर न्यायालय को बताया था कि वह आने प्रेमी के साथ रहना चाहती है. युगलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा था कि मर्जी से प्रेम विवाह करने से बाप-बेटी का रिश्ता खत्म नहीं होता है. शादी के बाद भी बेटी के लिए वह पिता ही रहेगा. बालिग होने के कारण युवती को अपनी मर्जी के अनुसार रहने की स्वतंत्रता है. युवती की उम्र महज 19 साल है और उसके पिता को उसके शैक्षणिक कैरियर की चिंता थी. युवती को यह संशय था कि याचिकाकर्ता बाद में दूसरी शादी नहीं कर ले. इसलिए उससे हलफनामा पेश करने आदेशित किया गया था. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता मोहम्मद रिजवान खान ने पैरवी की. (High Court gave freedom to girl) (live with Muslim youth as per her wish)

जबलपुर। होशंगाबाद निवासी इटारसी निवासी फैसल खान की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया था कि उसकी प्रेमिका जो हिंदू है. उसे जबरजस्ती नारी निकेतन में रखा गया है. वह एक- दूसरे से प्रेम करते हैं और युवती की उम्र 19 वर्ष है. वह पूरी तरह से बालिग है और जनवरी के पहले सप्ताह में वह अपना घर छोड़कर उसके साथ रहने लगी थी. लापता होने की रिपोर्ट युवती के पिता ने पुलिस में दर्ज करवाई थी.

युवती को जबरन नारी निकेतन भेज दिया था : इसके बाद दोनों ने थाने में उपस्थित होकर बताया था कि वह मर्जी से से एक-दूसरे के साथ रहना चाहते हैं. पुलिस में बयान दर्ज करवाने के बाद वह भोपाल आकर रहने लगे थे. इटारसी पुलिस ने फरवरी माह के पहले सप्ताह में एसडीएम के समक्ष बयान दर्ज करवाने के लिए उन्हें बुलाया था. एसडीएम के समक्ष बयान दर्ज करवाने के बाद पुलिस ने बिना किसी आदेश के जबरदस्ती युवती को नारी निकेतन भेज दिया था. इसके खिलाफ उक्त बंदी प्रत्यक्षिकरण याचिका दायर की गयी है.

युवक ने दिया हलफनामा में डिटेल्स : याचिका की सुनवाई के दौरान वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित युवती ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के साथ रहना चाहती है. हाईकोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ता ने अपनी शिक्षा,आय तथा धर्म के संबंध में हलफनामा पेश किया था. हलफनामे में कहा गया था कि दोनो अपने धर्म को मानने को स्वतंत्र हैं और वह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करेंगे. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के हलफनामा की प्रति युवती को फैक्स व वाट्सअप के माध्यम से भेजने तथा उसे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित करने के निर्देश दिये.

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युवती बोली- मैं प्रेमी के साथ रहना चाहती हूं : युवती ने 23 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर न्यायालय को बताया था कि वह आने प्रेमी के साथ रहना चाहती है. युगलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा था कि मर्जी से प्रेम विवाह करने से बाप-बेटी का रिश्ता खत्म नहीं होता है. शादी के बाद भी बेटी के लिए वह पिता ही रहेगा. बालिग होने के कारण युवती को अपनी मर्जी के अनुसार रहने की स्वतंत्रता है. युवती की उम्र महज 19 साल है और उसके पिता को उसके शैक्षणिक कैरियर की चिंता थी. युवती को यह संशय था कि याचिकाकर्ता बाद में दूसरी शादी नहीं कर ले. इसलिए उससे हलफनामा पेश करने आदेशित किया गया था. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता मोहम्मद रिजवान खान ने पैरवी की. (High Court gave freedom to girl) (live with Muslim youth as per her wish)

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