जबलपुर। हाईकोर्ट ने नर्सों की हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है. साथ ही आदेश दिया है कि नर्सिंग एसोसिएशन कल यानी बृहस्पतिवार से काम पर लौटे. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वे एक हाई लेवल कमेटी बनाएं, जो नर्सों की समस्याओं को सुने और उनका समाधान करें.
हड़ताल के दिनों का नहीं मिलेगा वेतन
वहीं, कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जितने दिन तक नर्स हड़ताल पर रहे हैं. उतने दिन का वेतन उनके अवकाश के दिनों में समायोजित किया जाए. मध्यप्रदेश में बीती 28 तारीख से नर्सिंग स्टाफ हड़ताल पर था. इन लोगों की वेतन संबंधी मांगे थीं, जिसको लेकर नर्सिंग स्टाफ लंबे समय से मुद्दा उठाता रहा है. जब उनकी बात नहीं मानी गई, तब वे हड़ताल पर चले गए.
हाईकोर्ट में यह कहकर दी चुनौती
नर्सों की हड़ताल को जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में यह कहकर चुनौती दी थी, कि यह समय हड़ताल पर जाने के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि अभी भी कोरोना वायरस का संक्रमण खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में यदि नर्सें हड़ताल पर चली गईं तो पूरा समाज परेशानी में आ सकता है.
सरकार के खिलाफ हड़ताल
दरअसल, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए प्रदेश की नर्सेज एक बार फिर हड़ताल पर हैं. प्रदेश में सभी नर्सों ने काम बंद कर सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया. इनका कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों को लेकर आश्वासन दिया था, लेकिन तय समय खत्म होने के बाद भी सरकार अभी तक मांगे पूरी नहीं कर पाई है. ऐसे में यह एक बार फिर नर्सों ने आंदोलन शुरू कर दिया.
Nurses Association strike: हड़ताल को रोकने के लिए क्या कर रही सरकार?- हाई कोर्ट
इसलिए हड़ताल पर हैं नर्सेज
नर्सों का कहना है कि वह पिछले कई सालों से लगातार अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रही हैं. वहीं दूसरी ओर सरकार लगातार इनकी मांगों को टालते आ रही है. बता दें कि कोरोना काल में नर्सेस लगातार काम करते हुए संक्रमित हुई हैं. कई के परिवार में लोगों की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन सरकार बावजूद इसके इनके प्रति संवेदनशील नहीं है. इनका कहना है कि अन्य राज्यों में नर्सेज को नर्सिंग ऑफिसर के पद पर माना जाता है और उन्हें ग्रेड-2 की सुविधा दी जाती है. वहीं मध्यप्रदेश में अभी भी स्टाफ नर्स का ही मानदेय दिया जाता है. वहीं रात में ड्यूटी करने के दौरान भी इनका अलाउंस अन्य राज्यों के मुकाबले कम है.