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बक्सवाहा खदान में खनन पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, लाखों पेड़ बचाने की NGT से गुहार

पन्ना के बाद छतरपुर जिले में बड़ी मात्रा में धरती के अंदर हीरे का भंडार मिलने का अनुमान है, जिसे निकालने के लिए बक्सवाहा के जंगल को नष्ट करने की तैयारी की जा रही है, जिसे NGT और हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है, वहीं हाई कोर्ट ने बक्सवाहा हीरा खदान में खनन संबंधी गतिविधियों पर रोक लगा दी है.

jabalpur High Court
जबलपुर हाई कोर्ट
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Published : Oct 27, 2021, 6:59 AM IST

जबलपुर। बक्सवाहा की हीरा खदान में खनन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है, कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक मूर्तियां और पेंटिंग संरक्षित नहीं कर ली जाती हैं, तब तक खदान में उत्खनन का काम नहीं किया जा सकता है. जबलपुर की एक सामाजिक संस्था नागरिक उपभोक्ता मंच की याचिका पर बक्सवाहा हीरा खदान में फिलहाल हीरा खनन से जुड़ी गतिविधियों को रोकने का फैसला कोर्ट ने दिया है.

25 हजार साल पुरानी रॉक पेंटिंग को खींचतान! पुरातात्विक संपदा घोषित किए जाने की मांग को HC में याचिका दायर

लाखों पेड़ बचाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपील

जबलपुर की सामाजिक संस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के पीजी नाथ पांडे ने दावा किया था कि बक्सवाहा की जिस सैकड़ों एकड़ भूमि पर हीरा निकालने के लिए खनन की अनुमति दी गई है, उसमें हजारों साल पुरानी रॉक पेंटिंग है, इसके अलावा कई कलचुरी कालीन मूर्तियां हैं और जब तक इन मूर्तियों और रॉक पेंटिंग्स को संरक्षित नहीं किया जाता है, तब तक इस इलाके में हीरा खनन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, इसके साथ ही संस्था ने इस इलाके में मौजूद लाखों पेड़ों को बचाने के लिए भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपील की थी.

रॉक पेंटिंग्स-कलचुरी काल की मूर्तियों को बचाने की मुहिम

अब यह मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में है और हाईकोर्ट ने स्पष्ट कह दिया है कि जब तक पुरानी रॉक पेंटिंग्स और कलचुरी काल की मूर्तियों को संरक्षित नहीं किया जाता है, तब तक इस इलाके में हीरा खनन नहीं किया जा सकता. सरकार को हीरा खनन की अनुमति देने से पहले इस इलाके की बायोडायवर्सिटी और ऐतिहासिक महत्व से जुड़ी चीजों को समझना चाहिए था, लेकिन सरकार ने राजस्व जुटाने के लिए दोनों ही चीजों को दांव पर लगा दिया. फिलहाल हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है, अब देखना है कि हीरा खनन करने वाली कंपनी इस मामले को कहां तक ले जाती है.

जबलपुर। बक्सवाहा की हीरा खदान में खनन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है, कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक मूर्तियां और पेंटिंग संरक्षित नहीं कर ली जाती हैं, तब तक खदान में उत्खनन का काम नहीं किया जा सकता है. जबलपुर की एक सामाजिक संस्था नागरिक उपभोक्ता मंच की याचिका पर बक्सवाहा हीरा खदान में फिलहाल हीरा खनन से जुड़ी गतिविधियों को रोकने का फैसला कोर्ट ने दिया है.

25 हजार साल पुरानी रॉक पेंटिंग को खींचतान! पुरातात्विक संपदा घोषित किए जाने की मांग को HC में याचिका दायर

लाखों पेड़ बचाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपील

जबलपुर की सामाजिक संस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के पीजी नाथ पांडे ने दावा किया था कि बक्सवाहा की जिस सैकड़ों एकड़ भूमि पर हीरा निकालने के लिए खनन की अनुमति दी गई है, उसमें हजारों साल पुरानी रॉक पेंटिंग है, इसके अलावा कई कलचुरी कालीन मूर्तियां हैं और जब तक इन मूर्तियों और रॉक पेंटिंग्स को संरक्षित नहीं किया जाता है, तब तक इस इलाके में हीरा खनन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, इसके साथ ही संस्था ने इस इलाके में मौजूद लाखों पेड़ों को बचाने के लिए भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपील की थी.

रॉक पेंटिंग्स-कलचुरी काल की मूर्तियों को बचाने की मुहिम

अब यह मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में है और हाईकोर्ट ने स्पष्ट कह दिया है कि जब तक पुरानी रॉक पेंटिंग्स और कलचुरी काल की मूर्तियों को संरक्षित नहीं किया जाता है, तब तक इस इलाके में हीरा खनन नहीं किया जा सकता. सरकार को हीरा खनन की अनुमति देने से पहले इस इलाके की बायोडायवर्सिटी और ऐतिहासिक महत्व से जुड़ी चीजों को समझना चाहिए था, लेकिन सरकार ने राजस्व जुटाने के लिए दोनों ही चीजों को दांव पर लगा दिया. फिलहाल हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है, अब देखना है कि हीरा खनन करने वाली कंपनी इस मामले को कहां तक ले जाती है.

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