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BJP नेता ओमप्रकाश धुर्वे और उनकी पत्नि के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने पर HC सख्त

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Published : Jun 9, 2021, 10:28 PM IST

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी पूर्व मंत्री और भाजपा नेता ओमप्रकाश धुर्वे और उनकी पत्नि के खिलाफ कार्यवाही नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी.

Madhya Pradesh High Court
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

जबलपुर। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भाजपा नेता और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे के खिलाफ और उनकी पत्नि के खिलाफ कार्यवाही नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई दौरान शासकीय अधिवक्ता ने मामले में सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए समय प्रदान करने आग्रह किया गया. जिसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस सुजय पॉल की युगलपीठ ने अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है.

याचिकाकर्ता वीरेन्द्र केसवानी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि गजानंद शिक्षा और जन कल्याण समिति ने डिंडौरी के समनापुर, कंरजियाव बजाग स्थित शासकीय अस्पतालों में एनआरएचएम योजना के तहत एम्बूलेंस किराये पर लगाई थी. उक्त समिति के अध्यक्ष पूर्व मंत्री और भाजपा नेता ओमप्रकाश धुर्वे और सचिव पद पर उनकी पत्नि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति धुर्वे तथा कोषाध्यक्ष पद पद पर बलबीर खनूजा थे.

समिति द्वारा नगर पालिका की फायर बिग्रेड, सरस्वती शिशु मंदिर की स्कूल बस और ट्रक के रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग कर एम्बूलेंस के बिल प्रस्तुत किये गये. जिसकी शिकायत होने पर एनआरएचएम के क्षेत्रीय अधिकारी ने जांच कर रिपोर्ट जिले कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत की थी. जिला कलेक्टर ने वर्ष 2011 को सीएमएचओं को नोट शीट के माध्यम से निर्देशित किया था कि समिति के खिलाफ धारा 420, 467 और 468 के तहत पुलिस में प्रकरण दर्ज कराये.

इतना ही नहीं उक्त नोट शीट यह भी उल्लेखित किया गया था कि प्रस्तुत किये गये सभी बिल एक ही व्यक्ति द्वारा बनाना प्रतीत हो रहा है. साथ ही संबंधित डॉक्टरों के हस्ताक्षर भी फर्जी होने की आशंका व्यक्त की गई थी. सीएचएमओ द्वारा जिला कलेक्टर को भेजी गई नोटशीट में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि उन्होंने कोतवाली थाने में प्रकरण दर्ज कराने शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की गई.

जिसके खिलाफ पूर्व में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जनवरी 2016 में जिला कलेक्टर के एक महीने की तय समय सीमा में कार्यवाही के आदेश दिये थे. हाईकोर्ट के आदेश के वावजूद भी कार्यवाही नहीं किये जाने के खिलाफ याचिका दायर की गयी है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने शासकीय अधिवक्ता को दो सप्ताह का समय प्रदान किया है. इस दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता राजेश चंद्र और आरबी साहू ने पक्ष रखा.

जबलपुर। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भाजपा नेता और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे के खिलाफ और उनकी पत्नि के खिलाफ कार्यवाही नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई दौरान शासकीय अधिवक्ता ने मामले में सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए समय प्रदान करने आग्रह किया गया. जिसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस सुजय पॉल की युगलपीठ ने अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है.

याचिकाकर्ता वीरेन्द्र केसवानी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि गजानंद शिक्षा और जन कल्याण समिति ने डिंडौरी के समनापुर, कंरजियाव बजाग स्थित शासकीय अस्पतालों में एनआरएचएम योजना के तहत एम्बूलेंस किराये पर लगाई थी. उक्त समिति के अध्यक्ष पूर्व मंत्री और भाजपा नेता ओमप्रकाश धुर्वे और सचिव पद पर उनकी पत्नि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति धुर्वे तथा कोषाध्यक्ष पद पद पर बलबीर खनूजा थे.

समिति द्वारा नगर पालिका की फायर बिग्रेड, सरस्वती शिशु मंदिर की स्कूल बस और ट्रक के रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग कर एम्बूलेंस के बिल प्रस्तुत किये गये. जिसकी शिकायत होने पर एनआरएचएम के क्षेत्रीय अधिकारी ने जांच कर रिपोर्ट जिले कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत की थी. जिला कलेक्टर ने वर्ष 2011 को सीएमएचओं को नोट शीट के माध्यम से निर्देशित किया था कि समिति के खिलाफ धारा 420, 467 और 468 के तहत पुलिस में प्रकरण दर्ज कराये.

इतना ही नहीं उक्त नोट शीट यह भी उल्लेखित किया गया था कि प्रस्तुत किये गये सभी बिल एक ही व्यक्ति द्वारा बनाना प्रतीत हो रहा है. साथ ही संबंधित डॉक्टरों के हस्ताक्षर भी फर्जी होने की आशंका व्यक्त की गई थी. सीएचएमओ द्वारा जिला कलेक्टर को भेजी गई नोटशीट में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि उन्होंने कोतवाली थाने में प्रकरण दर्ज कराने शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की गई.

जिसके खिलाफ पूर्व में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जनवरी 2016 में जिला कलेक्टर के एक महीने की तय समय सीमा में कार्यवाही के आदेश दिये थे. हाईकोर्ट के आदेश के वावजूद भी कार्यवाही नहीं किये जाने के खिलाफ याचिका दायर की गयी है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने शासकीय अधिवक्ता को दो सप्ताह का समय प्रदान किया है. इस दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता राजेश चंद्र और आरबी साहू ने पक्ष रखा.

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