जबलपुर। तांडव वेब सीरीज से हिंदू भावनाओं के आहत होने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए महाधिवक्ता को निर्देशित किया है कि देश में उक्त वेब सीरीज के खिलाफ कितने प्रकरण दायर किए गए हैं,इसकी जानकारी पेश करें. याचिका पर अगली सुनवाई 8 फरवरी को निर्धारित की गई है.इस बीच महाधिवक्ता को यह स्पष्ट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है कि इस जनहित याचिका में मुख्य रूप से जो मांगें की गई हैं, उनसे मिलती-जुलती मांगों वाली जबलपुर, इंदौर या ग्वालियर में अन्य जनहित याचिकाएं दायर हुई हैं या नहीं?
इस मामले में अभिनेता सैफ अली खान, तिशमांशु धूलिया, गौरव सोलंकी, मोहम्मद जीशान अयूब, हिमांशु कृष्ण मेहरा, अली अब्बास जफर, अर्पणा पुरोहित, केंद्र-राज्य शासन व अमेजॉन सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया है. साथ ही इस सीरीज के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की गई है.
'कंटेंट आपत्तिजनक हैं'
शुक्रवार कोयाचिकाकर्ता अदिव्य तिवारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर व समरेश कटारे ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि ओटीटी प्लेटफार्म अमेजॉन प्राइम पर वेब सीरीज तांडव का प्रसारण हो रहा है. इसके कंटेंट आपत्तिजनक हैं. लिहाजा, इसके प्रसारण पर रोक अपेक्षित है. इस वेब सीरीज में हिंदू देवी-देवताओं को अनुचित तरीके से चित्रित किया गया है. पात्रों के मुंह से अश्लील व अभद्र संवाद कहलवाए गए हैं. इसके अलावा जातिगत टिप्पणियों की भी भरमार है.आरक्षण के बिंदु को शामिल करते हुए समाज में जातिगत संघर्ष को उकसाने का भी प्रयास किया गया है. किसान आंदोलन व जेएनयू के मुद्दे को भी वीएनयू की आड़ में उठाकर आजादी के नारे लगवाए गए हैं. इस तरह साफ है कि यह वेब सीरीज दुर्भावना से प्रेरित है.
जनहित याचिका में साफ किया गया कि वेब सीरीज तांडव की टीम के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन जारी है. इसे देखते हुए हाई कोर्ट से मांग है कि प्रसारण पर रोक का अंतरिम आदेश पारित करने के साथ ही वेब सीरीज को भी सेंसर के दायरे में लाए जाने की व्यवस्था दी जाए.