ETV Bharat / state

जबलपुर हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाओं पर हुई सुनवाई, बाघों की मौत मामले में सरकार ने पेश किया जवाब

जबलपुर हाईकोर्ट में कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव तथा जस्टिस राजीव कुमान दुबे की युगलपीठ में आज दो याचिकाओं पर सुनवाई है. एक मामला बाघों की मौत से जुड़ा है, जबकि दूसरा मामला शहर में चल रहे सीवर लाइन, साफ सफाई तथा सड़क की दुर्दशा का है. पढ़िए पूरी खबर...

Hearing in Jabalpur High Court
जबलपुर हाईकोर्ट
author img

By

Published : Oct 5, 2020, 9:08 PM IST

जबलपुर। शहर में चल रहे सीवर लाइन, साफ सफाई तथा सड़क की दुर्दशा के मामले को हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव तथा जस्टिस राजीव कुमान दुबे की युगलपीठ ने गंभीरता से लिया है. युगलपीठ ने निर्देष जारी किए हैं कि, मुख्य तकनीकि परीक्षक भोपाल को जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करें. याचिका पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर को निर्धारित की गई है.

गौरतलब है कि, शहर में कछुए की गति से जारी सीवर लाइन कार्य तथा कार्य के दौरान सड़कों को खोदे जाने का हाईकोर्ट ने संज्ञान लेने हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देष दिए. इसके अलावा दायर एक अन्य जनहित याचिका में भी सीवर लाइन तथा सडकों की दुर्दशा का मामला उठाया गया था. पूर्व में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कार्यों के निरिक्षण के लिए कमेटी बनाने के लिए सदस्यों के नाम संबंधित अधिवक्ताओं से मांगे थे.

ये भी पढ़ें: प्रदेश में दुष्कर्म की वारदातों के खिलाफ कांग्रेस का मौन विरोध, पीसी शर्मा बोले: 'मध्यप्रदेश बन रहा गैंगरेप राज्य'

याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने युगलपीठ को बताया कि, पिछले डेढ दशक से शहर में सीवर लाइन का कार्य चल रहा है. अभी तक चार सौ करोड़ रुपये व्यय हो गए हैं और महज 30 प्रतिशत कार्य हुआ है. ऐसी गति से कार्य जारी रहा तो सीवर लाइन के कार्य में कई दशक लग जाएंगे. युगलपीठ ने शहर में व्याप्त गंदगी और उसके कारण होने वाली बीमारियों को चुनौती देने वाली याचिका के साथ उक्त याचिका की सुनवाई संयुक्त रूप के करने के निर्देष देते हुए आदेश पारित किए हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा कोर्ट मित्र के तौर पर अधिवक्ता अनूप नायर ने पैरवी की.

एक दूसरे मामले में भी हुई सुनवाई

जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी, जिसमें वन विभाग पर आरोप लगाया गया था कि, पिछले तीन वर्षो में प्रदेश में सवा सौ से अधिक बाघों की मौत हुई हैं. करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी बाघों की मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रही हैं. याचिका में हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव तथा जस्टिस राजीव कुमार दुबे को बताया गया कि, इस मामले में बीती शाम सरकार ने ई-मेल के जरिए जवाब पेश किया है. युगलपीठ ने जवाब को ऑन रिकॉर्ड लेने के निर्देश जारी करते हुए याचिकाकर्ता को रिज्वाइंडर पेश करने की स्वतंत्रता दी और याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गयी है.

दिल्ली निवासी वन्य जीव विशेषज्ञ संगीता डोगरा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि, मार्च 2019 में महाराष्ट्र के चंद्रपुर से एक बाघ भटकते हुए कान्हा टाइगर रिजर्व में पहुंच गया. इस बीच उसने दो लोगों पर हमला भी किया था. कान्हा टाइगर रिजर्व में उस टाइगर को रेडियो कॉलर लगाया दिया गया. जून माह में टाइगर एक बार फिर कान्हा के जंगलों में बाहर निकला और उसने एक व्यक्ति पर हमला कर दिया. याचिका में आरोप लगाया कि, वन विभाग ने अपनी गलती को छिपाने के लिए दोष उस टाइगर पर मढ़ते हुए उसे आतंकी घोषित कर दिया.

आरोप है कि, वन विभाग करोड़ों रुपए का फंड पाने के बाद भी वो न तो टाइगर को बचा पा रहा और न ही उन लोगों को जिन पर हमले हो रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि, भोपाल के वन विहार में जिस तरह से टाइगरों को रखा जा रहा है, उसे वो पार्क कम सर्कस ज्यादा लगता है. इन आधारों के साथ दायर याचिका में राहत चाही गई है कि, टाइगर के संरक्षण में लापरवाही बरतने वाले वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने ये जानकारी युगलपीठ को दी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वंय रखा.

जबलपुर। शहर में चल रहे सीवर लाइन, साफ सफाई तथा सड़क की दुर्दशा के मामले को हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव तथा जस्टिस राजीव कुमान दुबे की युगलपीठ ने गंभीरता से लिया है. युगलपीठ ने निर्देष जारी किए हैं कि, मुख्य तकनीकि परीक्षक भोपाल को जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करें. याचिका पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर को निर्धारित की गई है.

गौरतलब है कि, शहर में कछुए की गति से जारी सीवर लाइन कार्य तथा कार्य के दौरान सड़कों को खोदे जाने का हाईकोर्ट ने संज्ञान लेने हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देष दिए. इसके अलावा दायर एक अन्य जनहित याचिका में भी सीवर लाइन तथा सडकों की दुर्दशा का मामला उठाया गया था. पूर्व में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कार्यों के निरिक्षण के लिए कमेटी बनाने के लिए सदस्यों के नाम संबंधित अधिवक्ताओं से मांगे थे.

ये भी पढ़ें: प्रदेश में दुष्कर्म की वारदातों के खिलाफ कांग्रेस का मौन विरोध, पीसी शर्मा बोले: 'मध्यप्रदेश बन रहा गैंगरेप राज्य'

याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने युगलपीठ को बताया कि, पिछले डेढ दशक से शहर में सीवर लाइन का कार्य चल रहा है. अभी तक चार सौ करोड़ रुपये व्यय हो गए हैं और महज 30 प्रतिशत कार्य हुआ है. ऐसी गति से कार्य जारी रहा तो सीवर लाइन के कार्य में कई दशक लग जाएंगे. युगलपीठ ने शहर में व्याप्त गंदगी और उसके कारण होने वाली बीमारियों को चुनौती देने वाली याचिका के साथ उक्त याचिका की सुनवाई संयुक्त रूप के करने के निर्देष देते हुए आदेश पारित किए हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा कोर्ट मित्र के तौर पर अधिवक्ता अनूप नायर ने पैरवी की.

एक दूसरे मामले में भी हुई सुनवाई

जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी, जिसमें वन विभाग पर आरोप लगाया गया था कि, पिछले तीन वर्षो में प्रदेश में सवा सौ से अधिक बाघों की मौत हुई हैं. करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी बाघों की मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रही हैं. याचिका में हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव तथा जस्टिस राजीव कुमार दुबे को बताया गया कि, इस मामले में बीती शाम सरकार ने ई-मेल के जरिए जवाब पेश किया है. युगलपीठ ने जवाब को ऑन रिकॉर्ड लेने के निर्देश जारी करते हुए याचिकाकर्ता को रिज्वाइंडर पेश करने की स्वतंत्रता दी और याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गयी है.

दिल्ली निवासी वन्य जीव विशेषज्ञ संगीता डोगरा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि, मार्च 2019 में महाराष्ट्र के चंद्रपुर से एक बाघ भटकते हुए कान्हा टाइगर रिजर्व में पहुंच गया. इस बीच उसने दो लोगों पर हमला भी किया था. कान्हा टाइगर रिजर्व में उस टाइगर को रेडियो कॉलर लगाया दिया गया. जून माह में टाइगर एक बार फिर कान्हा के जंगलों में बाहर निकला और उसने एक व्यक्ति पर हमला कर दिया. याचिका में आरोप लगाया कि, वन विभाग ने अपनी गलती को छिपाने के लिए दोष उस टाइगर पर मढ़ते हुए उसे आतंकी घोषित कर दिया.

आरोप है कि, वन विभाग करोड़ों रुपए का फंड पाने के बाद भी वो न तो टाइगर को बचा पा रहा और न ही उन लोगों को जिन पर हमले हो रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि, भोपाल के वन विहार में जिस तरह से टाइगरों को रखा जा रहा है, उसे वो पार्क कम सर्कस ज्यादा लगता है. इन आधारों के साथ दायर याचिका में राहत चाही गई है कि, टाइगर के संरक्षण में लापरवाही बरतने वाले वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने ये जानकारी युगलपीठ को दी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वंय रखा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.