भोपाल: मध्य प्रदेश में जल्द ही सरकारी कर्मचारियों के तबादलों में लगा बैन हटने जा रहा है. महेश्वर में हुई केबिनेट की बैठक में सीएम मोहन यादव ने तबादला नीति की रुपरेखा का ऐलान कर दिया है. सीएम ने कहा है कि सभी विभागीय मंत्री अपने-अपने विभागों में तबादले कर सकेंगे. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में तबादलों की तारीखों का ऐलान होगा. विभाग के अधिकारियों ने बताया कि तबादलों से बैन 15 दिनों के लिए हटाया जाएगा. हालांकि, जरूरत पड़ने पर तबादले की समयसीमा बढ़ाई जा सकती है.
4 साल बाद होंगे कर्मचारियों के तबादले
मध्य प्रदेश सरकार चार साल बाद राज्य स्तर पर अधिकारी-कर्मचारियों के लिए संशोधित तबादला नीति को लागू करने जा रही है. 2021 के बाद राज्य स्तर पर अधिकारियों-कर्मचारियों की तबादला नीति में कोई संशोधन नहीं हुआ था, जिसके कारण कई अधिकारी और कर्मचारी परेशान थे. अब, राज्य सरकार ने इसे संशोधित करके 2025 के लिए नई नीति लाने का निर्णय लिया है. यह नीति केवल राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों पर लागू होगी, जबकि जिलों के स्तर पर कोई बदलाव नहीं होगा. इस नीति में सीमित तबादलों की व्यवस्था की गई है और विभाग को अतिरिक्त तबादलों के लिए मुख्यमंत्री समन्वय में प्रस्ताव भेजने होंगे.
- एमपी में विधवा महिलाओं को मिलेंगे 2 लाख, किसानों को बड़ा गिफ्ट, मोहन कैबिनेट के बड़े फैसले
- देश में ई समन व्यवस्था लागू करने वाला पहला राज्य बना एमपी, कैबिनेट की हरी झंडी, ये होंगे बदलाव
इन अधिकारियों और कर्मचारियों के होंगे तबादले
नई नीति के तहत विभागीय मंत्री अपने विभाग के जरूरतमंद अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले कर सकेंगे. इसके अनुसार गंभीर बीमारी या शारीरिक या मानसिक दिव्यांगता के आधार पर तबादले होंगे. वहीं, न्यायालयीन आदेश के तहत, यदि सरकार के पास कोई अन्य कानूनी विकल्प न हो तब ट्रांसफर किया जाएगा.
गंभीर शिकायतें, अनियमितताएं या लापरवाही के मामलों में भी तबादले किए जाएंगे. लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू, या पुलिस द्वारा आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने पर भी ट्रांसफर किए जा सकेंगे. इसके साथ ही निलंबन, त्यागपत्र, सेवानिवृत्ति, पदोन्नति या मृतक कर्मचारी के पद रिक्त होने पर तबादला किया जा सकेगा. यदि किसी प्रोजेक्ट के लिए पदस्थ अधिकारी का कार्य पूरा हो चुका है तो उसका भी तबादला किया जा सकेगा.