भोपाल: खेती किसानी से जुड़े कामों को लेकर तहसील स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ भारतीय किसान संघ अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहा है. किसान संघ के पदाधिकारियों के मुताबिक सरकार को जमीनी स्तर की असलियत से रू-ब-रू कराने के लिए किसान संघ 5 फरवरी को वल्लभ भवन का घेराव करेगा. किसान संघ के मध्य भारत प्रांत के अध्यक्ष ने कहा कि बिजली कंपनियां गांवों में 3 एचपी कनेक्शन को 5 एचपी कनेक्शन बताकर जबरन वसूली कर रही हैं. उन्होंने कहा कि "प्रदेश के राजस्व मंत्री किसी भी तहसील में पूरा एक दिन कुर्सी डालकर बैठ जाएं, तो उन्हें खुद पता चल जाएगा कि किसानों से कैसे छोटे-छोटे कामों के लिए रिश्वत मांगी जा रही है."
ज्ञापन दिए, लेकिन नहीं आया सरकार का जवाब
भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी सवर्ज्ञ दीवान ने कहा, "प्रदेश के किसानों को फौती नामांतरण (जब किसी जमीन का नामकरण किसी वजह से गलत हो जाता है उसे फौती नामकरण), बंटवारे, सीमांकन, बटांकन और नक्शे जैसे कामों के लिए भटकना पड़ रहा है. बिना पैसे तहसीलों में काम नहीं होते हैं. अपनी समस्याओं को लेकर जिला स्तर पर सरकार के नाम ज्ञापन दिए जा चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं की गई."
सवर्ज्ञ दिवान ने कहा, "सरकार दावा करती है कि राजस्व अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन इसके नाम पर सिर्फ कागजी खाना पूर्ति हो रही है. प्रदेश में बिजली कंपनियों द्वारा किसानों को परेशान किया जा रहा है. 3 एचपी के कनेक्शन को 5 एचपी का बता कर उन्हें भारी भरकम बिजली बिल थमाए जा रहे हैं. दावा किया जाता है कि 10 घंटे बिजली दी जाती है, लेकिन इसके स्थान पर सिर्फ 6 घंटे बिजली ही 24 घंटे में मिलती है. वह भी कई बार रात 1 और 2 बजे आती है. अपनी मांगों को लेकर अब 5 फरवरी को संघ वल्लभ भवन का घेराव करेगी."
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इन मांगों को लेकर आंदोलित किसान संघ
- फौती नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, बटांकन, ऑनलाइन रिकॉर्ड और नक्शा सुधारा जाए.
- हॉर्स पावर क्षमता वृद्धि वापस ली जाए. जले ट्रांसफार्मर और लाइनें समय सीमा में बदली जाएं.
- डीएपी, यूरिया खाद सहकारिता के माध्यम से नगद वितरण समय पर किया जाए.
- सभी मंडियों में फ्लेट कांटों से तुलाई अनिवार्य की जाए. मंडी परिसर में ही भुगतान हो.
- नकली दूध बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. गौ अभ्यारण्य खोले जाएं.
- सभी फसलों को एमएसपी से नीचे नहीं खरीदा जाए.
- किसानों के झूठे प्रकरण वापस लिए जाएं.
- पूसा बासमती धान को जीआई टैग दिलाया जाए.
- गेहूं को 2700 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए.