हैदराबाद: महाशिवरात्रि एक पावन पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है. इस साल महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी बुधवार को रखा जाएगा. माना जाता है कि इस रात भगवान शिव जागृत रहते हैं और अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं. लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आरती का विशेष महत्व है. सही विधि से आरती करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
ज्योतिषाचार्य ने बताया भगवान शिव की आरती करने से पहले कुछ चीजों का ध्यान रखना आवश्यक है.
स्थान: एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें. आप घर के मंदिर या किसी शिव मंदिर में भी आरती कर सकते हैं.
सामग्री: आरती के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि आरती की थाली, दीपक, घी या तेल, बत्ती, धूप, फूल, अक्षत (चावल), चंदन, रोली, मिठाई, फल और जल तैयार रखें.
शुद्धता: आरती शुरू करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. मन और शरीर से शुद्ध होना आवश्यक है.
ॐ जय शिव ओंकारा की आरती
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥
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