नई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार की कार्यकाल के दौरान नवंबर 2021 में लागू नई शराब नीति में जो व्यापक बदलाव किए गए, इससे जुड़ें छह फैसले की जानकारी सरकार की कैबिनेट और उपराज्यपाल को नहीं थी. नई नीति के तहत शराब की बिक्री दिल्ली में होने लगी और अचानक 1 सितंबर 2022 को आम आदमी पार्टी सरकार ने इस पॉलिसी को वापस ले लिया. इससे पहले विपक्ष शराब बिक्री के लिए लाई गई नीति में घोटाले का आरोप लग रही थी.
अब इस मामले की जांच रिपोर्ट सीएजी ने महीनों पहले दिल्ली सरकार को सौंप दी थी. तत्कालीन सरकार ने उसे विधानसभा में पेश नहीं किया था. दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने मंगलवार को शराब नीति से संबंधित सीएजी की रिपोर्ट को विधानसभा की पटल पर रखा. जिसमें इस नीति से जुड़ी कई वित्तीय अनियमितताओं का जिक्र है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सीएजी की जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें उन छह फैसलों का भी जिक्र है जिसकी भनक आम आदमी पार्टी सरकार की कैबिनेट और उपराज्यपाल तक को भी नहीं लगी थी.
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कैबिनेट की मंजूरी या उपराज्यपाल की राय लिए बिना लिया गया फैसला:
- निर्धारित समय के भीतर लाइसेंस शुल्क के भुगतान में किसी भी चूक के मामले में लाइसेंसधारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के संबंध में छूट को लेकर पॉलिसी के अनुसार, यदि लाइसेंसधारी सभी बकाया राशि (ब्याज और देरी से भुगतान के लिए जुर्माना सहित) का भुगतान महीने के आखिरी दिन तक करने में विफल रहता है तो सुरक्षा जमा जब्त कर ली जाएगी और लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा और दोबारा टेंडर किया जाएगा. हालांकि, लाइसेंसधारी, नियमित रूप से, उस महीने के अंत तक भी लाइसेंस शुल्क का भुगतान नहीं कर रहे थे जिसमें सभी भुगतान देय थे. इस संबंध में, बकाया भुगतान में किसी भी चूक के कारण लाइसेंस रद्द करने की दंडात्मक कार्रवाई को उत्पाद वर्ष 2021-22 के अंत तक स्थगित रखा जाने का प्रस्ताव विभाग द्वारा 20 जनवरी 2022 को अनुमोदित किया गया था. यह निर्णय कैबिनेट की मंजूरी और उपराज्यपाल की राय के बिना लिया गया और लागू किया गया. दो लाइसेंसधारियों ने लाइसेंस शुल्क के भुगतान में चूक की.
- लाइसेंस शुल्क में छूट या कमी-लाइसेंस शुल्क के रूप में 144 करोड़ की छूट जनवरी 2022 में डीडीएमए के आदेशों के तहत लगाए गए. कोविड प्रतिबंधों के कारण कैबिनेट की मंजूरी के बिना खुदरा लाइसेंसधारियों को दी गई.
- नॉन-कन्फॉर्मिंग वार्डों में खोली जाने वाली अनिवार्य शराब की दुकानों के बदले कन्फॉर्मिंग क्षेत्र में शराब की दुकानें खोलना उपराज्यपाल ने नॉन-कन्फॉर्मिंग वार्डों में शराब की दुकानें खोलने के मुद्दे की जांच के लिए डीडीए के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, तथा उचित सिफ़ारिशें दी थी. समिति ने नॉन-कन्फॉर्मिंग वार्डों में आने वाली दुकानों के बदले कन्फॉर्मिंग वार्डो में अतिरिक्त दुकानें खोलने की सिफारिश की. इसके बाद, लाइसेंसधारियों को कैबिनेट की अपेक्षित मंजूरी या एसजी की राय के बिना, एक महीने की अवधि में नॉन-कन्फॉर्मिंग वार्डों के बदले में अतिरिक्त दुकानें खोलने की अनुमति दी गई.
- आबकारी नीति 2021-22 का विस्तार- दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम, 2010 के नियम 34(2) के अनुसार, "सरकार किसी भी वर्ष 31 मार्च को समाप्त होने वाले किसी भी गैर-नवीकरणीय लाइसेंस (जैसे थोक लाइसेंस) की अवधि को आगे की अवधि या निर्धारित की गई फीस का अग्रिम भुगतान करने पर उचित समझी जाने वाली अवधि के लिए बढ़ा सकती है. हालांकि, आबकारी नीति 2021-22 (जिसमें गैर-नवीकरणीय लाइसेंस भी शामिल था) को शुरू में 31 मई 2022 तक और फिर 31 जुलाई 2022 तक कैबिनेट की मंजूरी या उपराज्यपाल की राय लिए बिना बढ़ा दिया गया था.
- एयरपोर्ट जोन के मामले में बयाना राशि जमा की वापसी एयरपोर्ट जोन के लिए निविदा 28 जून 2021 को जारी की गई थी. इसके बाद, बोली पूर्व प्रश्नों के जवाब में, 9 जुलाई 2021 को आदेश दिया गया कि यदि आवेदक 30 दिनों के भीतर हवाई अड्डे के अधिकारियों से शराब की दुकानें खोलने के लिए एनओसी प्राप्त करने में विफल रहता है तो बयाना वापस कर दिया जाना चाहिए.
- विदेशी शराब के मामले में एमआरपी की गणना के सूत्रों में सुधार 1 नवंबर 2021 को बियर और विदेशी शराब की दरों की गणना के लिए सूत्रों में सुधार के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. प्रस्ताव को मंजूरी देते समय यह उल्लेख किया गया था कि जीओएम और कैबिनेट द्वारा अनुसमर्थन बाद में किया जा सकता है. यह दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 54 (1) का उल्लंघन था, जिसके अनुसार प्रत्येक लाइसेंस वर्ष के लिए शराब के थोक या एमआरपी के निर्धारण के मानदंड सरकार यानि उपराज्यपाल की मंजूरी के साथ उत्पाद शुल्क आयुक्त द्वारा तय किए जाएंगे.
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बता दें कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में प्रावधान है कि शराब का उत्पादन, निर्माण, कब्जा, परिवहन, खरीद और बिक्री राज्य सरकारों के विशेष अधिकार क्षेत्र में है. इसके अनुसार दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग ने शराब की आपूर्ति को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार है. आबकारी विभाग शराब की पूरी आपूर्ति, श्रृंखला के निर्माण से लेकर उपभोक्ताओं तक नियंत्रित करता है. इस आपूर्ति श्रृंखला में कई हितधारक शामिल हैं. जैसे निर्माता, गोदाम, खुदरा विक्रेता, होटल, क्लब और रेस्तरां और अंत में उपभोक्ता. आबकारी विभाग दिल्ली में शराब की आपूर्ति पर उत्पादन शुल्क और कई अन्य शुल्क जैसे लाइसेंस शुल्क, परमिट शुल्क, आयात शुल्क आदि वसूल करता है.
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