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OBC आरक्षण के मुद्दे पर HC में हुई सुनवाई, अंतिम बहस 1 दिसंबर को

कमलनाथ सरकार के दौरान सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत की बजाए 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था, जिसके विरोध में 4 छात्रों ने हाईकोर्ट में एक अल्ट्रा वायरस पिटीशन दायर किया था, जिसके संबंध में एक बार फिर से सुनवाई हुई है. पढ़िए पूरी खबर..

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ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई
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Published : Nov 3, 2020, 2:35 AM IST

जबलपुर। कमलनाथ सरकार के दौरान राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत की बजाए 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक अल्ट्रा वायरस पिटीशन दायर की गई थी, जिसमें 4 सामान्य छात्रों ने राज्य सरकार के आरक्षण के इस नए नियम का विरोध किया था.

ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई

इस मुद्दे पर कोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही है. सोमवार को इस मामले में हाईकोर्ट में एक बार फिर से सुनवाई हुई, जिसमें हाईकोर्ट ने फिलहाल 14 प्रतिशत आरक्षण जारी रखने का आदेश दिया है. इस मामले में अंतिम बहस 1 दिसंबर 2020 को की जाएगी. तब तक राज्य में किसी भी नौकरी में 14 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकेगा.

पढ़े: 17 पुराने मामले में नहीं हुई जांच ना पेश किया चालान, HC ने SP को पेश होने के दिए निर्देश

भले ही राज्य में कमलनाथ की जगह शिवराज सरकार आ गई हों, लेकिन सरकार का पक्ष 27 फीसदी के समर्थन में ही है. वहीं सामान्य वर्ग के छात्रों की ओर से इस मामले पर दलील दी गई है कि, संविधान की मूल भावना और इंदिरा साहनी केस के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी भी हालत में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण को मंजूरी नहीं देता है. अगर राज्य सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देती है, तो यह 50 फीसदी से अधिक हो जायेगा. इसलिए यह संविधान संगत नहीं है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना होगी.

आरक्षण अब नासूर बनता जा रहा है. पहले ही आरक्षण की वजह से समाज में दो हिस्से हो चुके हैं. अब ओबीसी आरक्षण के चलते एक और चिंता की लकीर खिंचने की तैयारी में है, लेकिन इसके बावजूद भी इसे खत्म करने की कोशिश नहीं की जा रही है.

जबलपुर। कमलनाथ सरकार के दौरान राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत की बजाए 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक अल्ट्रा वायरस पिटीशन दायर की गई थी, जिसमें 4 सामान्य छात्रों ने राज्य सरकार के आरक्षण के इस नए नियम का विरोध किया था.

ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई

इस मुद्दे पर कोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही है. सोमवार को इस मामले में हाईकोर्ट में एक बार फिर से सुनवाई हुई, जिसमें हाईकोर्ट ने फिलहाल 14 प्रतिशत आरक्षण जारी रखने का आदेश दिया है. इस मामले में अंतिम बहस 1 दिसंबर 2020 को की जाएगी. तब तक राज्य में किसी भी नौकरी में 14 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकेगा.

पढ़े: 17 पुराने मामले में नहीं हुई जांच ना पेश किया चालान, HC ने SP को पेश होने के दिए निर्देश

भले ही राज्य में कमलनाथ की जगह शिवराज सरकार आ गई हों, लेकिन सरकार का पक्ष 27 फीसदी के समर्थन में ही है. वहीं सामान्य वर्ग के छात्रों की ओर से इस मामले पर दलील दी गई है कि, संविधान की मूल भावना और इंदिरा साहनी केस के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी भी हालत में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण को मंजूरी नहीं देता है. अगर राज्य सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देती है, तो यह 50 फीसदी से अधिक हो जायेगा. इसलिए यह संविधान संगत नहीं है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना होगी.

आरक्षण अब नासूर बनता जा रहा है. पहले ही आरक्षण की वजह से समाज में दो हिस्से हो चुके हैं. अब ओबीसी आरक्षण के चलते एक और चिंता की लकीर खिंचने की तैयारी में है, लेकिन इसके बावजूद भी इसे खत्म करने की कोशिश नहीं की जा रही है.

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