जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का उल्लेख करते हुए कहा है कि स्वंय सिध्द निदान उपचार से बेहतर है. युगलपीठ ने पार्क में बने सामुदायिक भवन को गिराने का निर्देश करते हुए अपने आदेश में कहा है कि सार्वजनिक पार्क नागरिकों को समर्पित कर दिया जाता है तो उसे किसी अन्य उपयोग में नहीं लाया जा सकता है. नगर निकाय द्वारा किसी अन्य उद्देश्य के लिए इसके उपयोग में परिवर्तन न्यासभंग करने के समान होगा. उसे हमेशा केवल एक पार्क के रूप में बनाए रखा जाना चाहिए और किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
याचिकाकर्ता प्रीति सिंह की तरफ से दायर याचिका में बुरहानपुर की इंदिरा आवासीय कॉलोनी में स्थित सार्वजनिक पार्क की जमीन पर सामुदायिक भवन के निर्माण को चुनौती दी गयी थी. याचिका में नगर निगम बुरहानपुर के महापौर द्वारा किये गये अवैधानिक कार्याे के संबंध में जांच कही मांग की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने जनवरी 2011 में सार्वजनिक पार्क की जमीन में बन रहे सार्वजनिकि भवन निर्माण पर रोक लगा दी थी. युगलपीठ ने मार्च 2012 में मेयर द्वारा घर के सामने अतिक्रमण कर बनाये गये शेड को हटाने के निर्देश भी जारी किये थे.
उड्डयन मंत्री की 100 दिवसीय योजना, यूपी-उत्तराखंड-त्रिपुरा के एयरपोर्ट होंगे अपग्रेड
याचिका की सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता की तरफ से बताया गया कि विचाराधीन सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य वैधानिक नहीं है और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अनुमोदन के बिना किया जा रहा था. युगलपीठ ने बैंगलौर मेडिकल ट्रस्ट के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा है कि पर्यावरण की सुरक्षा, मनोरंजन के लिए खुले स्थान और ताजा हवा, बच्चों के लिए खेल का मैदान, निवासियों के लिए सैरगाह, और अन्य सुविधाएं सार्वजनिक चिंता का विषय हैं और महत्वपूर्ण हैं. विकास योजना में इनका ध्यान रखना चाहिए.