जबलपुर। रेलवे से सेवा निवृत्त कर्मचारी को कुटुम्ब न्यायालय ने प्रतिमाह पोती को मेंटेनेस राशि के रूप में 3 हजार रूपये प्रदान करने के आदेश दिये थे, जिसके खिलाफ वृध्द ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी के पाया कि वृध्द के पास कोई पैतृक संपत्ति नहीं है, जिससे आय प्राप्त हो. युगलपीठ ने कुटुम्ब न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए वृध्द को राहत प्रदान की है.
क्या है मामला: जबलपुर गढा निवासी राम शंकर विश्वकर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा था कि उसके पुत्र सुनील विश्वकर्मा की मृत्यु साल 2015 में हो गयी थी, जिसके बाद उसकी बहू रानी विश्वकर्मा अपनी 9 साल की बेटी को लेकर मायके चली गयी थी. बहू ने मेंटेनेंस राशि के लिए कुटुम्ब न्यायालय के परिवाद दायर किया था, जिसकी सुनवाई करते हुए कुटुम्ब न्यायालय ने सितम्बर 2022 को पोती को मेंटेनेस राशि के रूप में 3 हजार रूपये देने के आदेश जारी किये थे.
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अनावेदक को नहीं है राशि प्राप्त करने का अधिकार: आवेदक की तरफ से कहा गया था कि उसकी आर्थिक स्थित ठीक नहीं है और वह उक्त राशि देने में असमर्थ है. सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि अनावेदक बहू ने कहा है कि घर में किराना दुकान संचालित करने के लिए उसके पति ने लोन लिया था, जिसके संबंध में उसने कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए. वृध्द के पास कोई पैतृक संपत्ति नहीं है, जिससे उसे आय प्राप्त हो और इसलिए उससे मेंटेनेस राशि प्राप्त करने का अनावेदक को अधिकार नहीं है. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ कुटुम्ब न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया.