जबलपुर। गरीबों को बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए भारत सरकार ने आयुष्मान योजना की शुरुआत की, लेकिन किस तरह से इस योजना का इस्तेमाल निजी अस्पताल अपनी जेब भरने के लिए कर रहे हैं. जबलपुर के एक निजी अस्पताल में इसका खुलासा हुआ है. इस निजी अस्पताल में गरीब मजदूरों को मरीज बनाकर भर्ती कराया जाता है फिर उनके आयुष्मान कार्ड से इलाज के नाम पर लाखों रुपए निकाल लिए जाते हैं. इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद अस्पताल संचालक को जेल भेज दिया गया है.
बिना गंभीर बिमारी के भी मरीजों को किया गया भर्ती
जबलपुर की राइट डाउ क्षेत्र में स्थित सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल ने वो कारनामा किया है, जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे. आयुष्मान कार्ड धारी लोगों को पैसों का लालच देकर यह अस्पताल सरकार को ही करोड़ों रुपए का चूना लगा चुका है. आयुष्मान योजना में भ्रष्टाचार की पुष्टि तब हुई जब मरीजों ने बताया कि उनसे एक रूपए भी नहीं लिए गए, लेकिन चार से पांच दिन तक उन्हें अस्पताल में भर्ती रखा गया. अधिकारियों ने होटल में भर्ती मरीजों की फाइल चैक की तो उसमें मरीजों को गंभीर रोगों से पीड़ित होने का रिकॉर्ड तैयार किया गया था. होटल में लगभग 30 मरीज मिले. किसी को भी इतनी गंभीर बीमारी नहीं थी की उन्हें 5 दिनों तक भर्ती रखा जाए.
होटल वेगा में चल रहा था यह फर्जीवाड़ा
आयुष्मान योजना की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा गरीब मरीजों को निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने उद्देश्य से की गई थी, लेकिन निजी अस्पतालों के लिए यह योजना पैसा कमाने का जरिया बन गई है. योजना के तहत मरीजों को अस्पतालों द्वारा भर्ती कर लिया जाता है. सामान्य बीमारी वाले मरीजों को गंभीर रोगों से पीड़ित बताकर उनका इलाज करने और दवाओं के खर्च के रूप में शासन द्वारा दी जाने वाली राशि निकाल ली जाती है. यह राशि थोड़ी बहुत नहीं बल्कि लाखों रुपए में होती है. कुछ इसी तरह का भ्रष्टाचार होटल वेगा में सामने आया है. जहां इन मरीजों से बाच करने पर पता चला कि इन्हें कोई गंभीर बिमारी नहीं है फिर भी भर्ती किया गया है.
मरीज 1
माढ़ोताल निवासी गुड्डा ठाकुर 42 वर्ष
बीमारी - मामूली पेट दर्द, पसली में दर्द, कोई बेहोशी नहीं, उल्टी दस्त नहीं हुआ.
रिकॉर्ड में दर्ज बीमारी- निर्जलीकरण के साथ बेहोश होना
ट्रीटमेंट- एक दिन में 5-6 आईवी फ्लूड बॉटल, दवाईयां और रेस्ट
सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल की आड़ में चल रहा था खेल
इसी तरह लगभग सभी मरीज सामान्य बीमारियों से ग्रस्त थे, लेकिन उन्हें गंभीर रूप से बीमार होने की जानकारी उनकी फाइलों में दर्ज किया गया. अनुमान के मुताबिक हर एक मरीज से कम से कम 20 से 30 हजार रुपए तक का इलाज का खर्च जोड़ा जाता था. जिसका भुगतान आयुष्मान योजना के तहत होता था. यह पूरा खेल सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल की आड़ में खेला जा रहा था. जहां मरीजों को बुलाया जाता था, जांच की जाती थी और आयुष्मान कार्ड योजना धारक मरीजों को होटल में शिफ्ट कर दिया जाता था. जानकारी के मुताबिक अब तक इस अस्पताल को करोड़ों रुपए का भुगतान भी हो चुका है. अब इस मामले का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कर रहा है.
डाक्टर और उसकी पत्नी को किया गिरफ्तार
वहीं पूरे मामले में जबलपुर पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा का कहना है कि सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टर अश्विनी पाठक और होटल की जिम्मेदारी संभालने वाली उनकी पत्नी दुहिता पाठक को गिरफ्तार कर लिया है. आगे की जांच पड़ताल जारी है. बहरहाल इस खुलासे ने इस बात को तो साबित कर दिया है कि भारत में यह एकमात्र अस्पताल नहीं है, जो आयुष्मान योजना का फर्जीवाड़ा कर रहा होगा. बल्कि ऐसे हजारों की संख्या में अस्पताल होंगे जो गरीबों के हक का पैसा छीन कर सरकार को ही लाखों करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं.