जबलपुर। मामला राईट टाउन जबलपुर निवासी ज्योति सिंह की ओर से दायर किया गया था. जिसमें कहा गया था कि उनका विवाह हिन्दू रीति-रिवाज के साथ भाजपा विधायक प्रतिभा सिंह के छोटे बेटे नितिन सिंह के साथ वर्ष 2007 में हुआ था. वर्ष 2011 में उनके पति की मृत्यू हो गई. जिसके उपरांत उनके पति के हिस्से के व्यापार व कृषि पर अनावेदक उनकी सास प्रतिभा सिंह, जेठ अनुराग सिंह व नीरज सिंह संचालन कर रहे हैं. उसे पूर्व में क्रमश: 2 हजार व 5 हजार उसके बाद 15 हजार रुपये भरण पोषण के लिये देते रहे. इसके बाद भरण पोषण की राशि बंद कर दी.
30 हजार रुपये प्रति माह देने के आदेश : इसके बाद आवेदिका ने 80 हजार रुपये प्रतिमाह भरण पोषण की राशि दिलाये जाने को लेकर उक्त परिवाद दायर किया गया. सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने पूरे मामले का अवलोकन करने के बाद आवेदक के पक्ष में राहतकारी आदेश देते हुए तीनों अनावेदकों को 10-10 हजार रुपये कुल 30 हजार रुपये प्रतिमाह 5 तारीख को आवेदिका के खाते में जमा करने के निर्देश दिये हैं. आवेदिका की ओर से अधिवक्ता प्रदीप बत्रा ने पैरवी की.
गर्भपात मामले में डॉक्टर को राहत नहीं : उधर, एक अन्य मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्चियों से दुराचार कर उनका गर्भपात करवाने के मामले में भोपाल जिला न्यायालय ने प्यारे मियां सहित चार आरोपियों को सजा से दण्डित किया गया. सजा के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की. अपील की सुनवाई के दौरान सजा से दंडित डॉ. हेमंत मित्तल में उपचार के लिए अस्थाई जमानत प्रदान करने आवेदन दायर किया था. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस डीडी बसंल ने सुनवाई के बाद आवेदन को खारिज कर दिया.
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प्यारे मियां व उवैस को मिली है उम्रकैद : गौरतलब है कि नाबालिग बच्ची से रेप तथा उसका गर्भपात करवाने के अपराध में भोपाल जिला न्यायालय ने मार्च 2022 को प्यारे मियां व उवैस को आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया था. न्यायालय ने यौन शोषण में दोषियों का सहयोग करने और पीड़िता का गर्भपात कराने के लिए स्वीटी विश्वकर्मा को 20 वर्ष तथा डॉ. हेमंत मित्तल को पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा से दण्डित किया था. सजा के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. अपील की सुनवाई के दौरान डॉ मित्तल ने उपचार के लिए अस्थाई जमानत के लिए आवेदन दायर किया था. युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि डॉ मित्तल की बीमारी गंभीर प्रवृत्ति की नहीं है. उनका उपचार जेल में निरुध्द रहते हुए किया जा सकता है. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अस्थाई जमानत आवेदन को खारिज कर दिया.