जबलपुर। नाग पंचमी के दिन पूरे देश में नागों की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है. वहीं सपेरे नागों को लेकर घर- घर जाते हैं. मान्यता है कि नाग को दूध पिलाने से भगवान शिव खुश होते हैं. लेकिन हकीकत कुछ ओर ही कहानी बयां करती है. नाग दूध पीते ही नहीं हैं. नागपंचमी के दिन सेपेर सांपों का मुंह फेवीक्विक से चिपका देते हैं और घर-घर जाकर पैसे वसूलते हैं.
नाग पंचमी के मौके पर हिंदुओं में मान्यता है कि नाग को दूध पिलाने से पुण्य मिलता है. हिंदुओं की इसी मान्यता की वजह से सांपों पर अत्याचार किया जाता है. सपेरे जंगल से सांप पकड़ते हैं और इन्हें लोगों को दिखाकर उनसे पैसे लेते हैं. कई लोगों का मानना है कि सांप के दर्शन और उसे दूध पिलाने से शांति मिलती है. लेकिन सच्चाई यह है कि सांप दूध पीता ही नहीं है बल्कि सांप मांसाहारी होते हैं.
सपेरे सांपों को जंगल से पकड़ कर सबसे पहले उनके जहर के दांत तोड़ते हैं. इसके बाद उनके मुंह में या तो फेविक्विक लगाया जाता है, या फिर उनके मुंह को सिल दिया जाता है. जिससे वे ज्यादा बड़ा मुंह ना खोल सकें. सांप ने किसी श्रद्धालु को डस लिया या फिर उस पर हमला कर दिया तो उसकी मौत भी हो सकती है. इसलिए सपेरे सांपों के मुंह को केवल इतना छोड़ते हैं ताकि वह सांस ले सकें.
सांपों के संरक्षण के लिए जबलपुर में आज वन विभाग की टीम ने कई महिला सपेरों और लड़कियों को पकड़ा. जो अपने थैलों में सांप लिए घूम रहीं थी. वहीं कई सांपों को पकड़कर उन्हें जंगल में छोड़ा. सर्प विशेषज्ञ गजेंद्र शर्मा का कहना है फेवीक्विक लगने की वजह से सांप के मुंह में इन्फेक्शन हो जाता है. मुंह चलने की वजह से भी इनका मुंह इतना जख्मी हो जाता है, कि यह सांप ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह पाते हैं और उनकी मौत हो जाती है.