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एमपी में सामने आया white fungus का पहला मामला, जानें इस बीमारी से बचने के उपाय

मरीज में व्हाइट फंगस का जो वेरिएंट मिला है वह ब्लैक फंगस के मुकाबले कम खतरनाक है. यह नाक में होने वाला फंगस है जिसे ऑपरेशन के माध्यम से अलग करने के बाद केवल दवाइयों से ही ठीक किया जा सकता है.

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Published : May 22, 2021, 7:19 PM IST

जबलपुर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस (black fungus) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसके मद्देनजर प्रदेश सरकार ने इसे राज्य में महामारी घोषित किया है. प्रदेश में इस संक्रमण से बचने के लिए सरकार कई इंतेजाम कर रही है और जैसे ही स्वास्थ्य विभाग इससे निपटने के लिए तैयार हुआ तो एमपी में व्हाइट फंगस (white fungus) के मामले भी आने शुरु हो गए. एमपी के जबलपुर में व्हाइट फंगस का केस सामने आया है, यह प्रदेश में व्हाइट फंगस का पहला मामला है.

  • ब्लैक फंगस से कम खतरनाक है व्हाइट फंगस

जानकारी के मुताबिक, जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में 5 दिन पहले ब्लैक फंगस की शिकायत पर भर्ती हुए एक 55 वर्षीय बुजुर्ग में ऑपरेशन के दौरान व्हाइट फंगस (white fungus) होने की पुष्टि हुई है. डॉक्टरों के मुताबिक, मरीज में व्हाइट फंगस का जो वेरिएंट मिला है वह ब्लैक फंगस के मुकाबले कम खतरनाक है. यह नाक में होने वाला फंगस है जिसे ऑपरेशन के माध्यम से अलग करने के बाद केवल दवाइयों से ही ठीक किया जा सकता है. डॉक्टरों के मुताबिक, यह ब्लैक फंगस से कम खतरनाक है, इसलिए इसमें चिंता की कोई बात नहीं हैं.

  • व्हाइट फंगस के लक्षण

बकौल डॉक्टर, व्हाइट फंगस के इलाज में किसी इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है. व्हाइट फंगस को नाक में होने वाला फंगस कहा जाता है जो धीरे-धीरे अपने स्थान से चारों तरफ बढ़ता है. जबकि ब्लैक फंगस रक्त वाहिकाओं के माध्यम से तेजी से फैलता है. नाक से आंख और फिर मस्तिष्क में पहुंचने के बाद शरीर के अन्य हिस्सों तक यह तेजी से फैलता है.

जबलपुर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस (black fungus) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसके मद्देनजर प्रदेश सरकार ने इसे राज्य में महामारी घोषित किया है. प्रदेश में इस संक्रमण से बचने के लिए सरकार कई इंतेजाम कर रही है और जैसे ही स्वास्थ्य विभाग इससे निपटने के लिए तैयार हुआ तो एमपी में व्हाइट फंगस (white fungus) के मामले भी आने शुरु हो गए. एमपी के जबलपुर में व्हाइट फंगस का केस सामने आया है, यह प्रदेश में व्हाइट फंगस का पहला मामला है.

  • ब्लैक फंगस से कम खतरनाक है व्हाइट फंगस

जानकारी के मुताबिक, जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में 5 दिन पहले ब्लैक फंगस की शिकायत पर भर्ती हुए एक 55 वर्षीय बुजुर्ग में ऑपरेशन के दौरान व्हाइट फंगस (white fungus) होने की पुष्टि हुई है. डॉक्टरों के मुताबिक, मरीज में व्हाइट फंगस का जो वेरिएंट मिला है वह ब्लैक फंगस के मुकाबले कम खतरनाक है. यह नाक में होने वाला फंगस है जिसे ऑपरेशन के माध्यम से अलग करने के बाद केवल दवाइयों से ही ठीक किया जा सकता है. डॉक्टरों के मुताबिक, यह ब्लैक फंगस से कम खतरनाक है, इसलिए इसमें चिंता की कोई बात नहीं हैं.

  • व्हाइट फंगस के लक्षण

बकौल डॉक्टर, व्हाइट फंगस के इलाज में किसी इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है. व्हाइट फंगस को नाक में होने वाला फंगस कहा जाता है जो धीरे-धीरे अपने स्थान से चारों तरफ बढ़ता है. जबकि ब्लैक फंगस रक्त वाहिकाओं के माध्यम से तेजी से फैलता है. नाक से आंख और फिर मस्तिष्क में पहुंचने के बाद शरीर के अन्य हिस्सों तक यह तेजी से फैलता है.

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