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फसल बीमा राशि के लिए परेशान किसान, फसलों पर ट्रैक्टर चलाकर किया विरोध - निजी बीमा कंपनियों पर कार्रवाई

जबलपुर में किसान परेशान हैं, वो अपनी फसल पर ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हैं. अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का बीमा क्लेम भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है. किसान व्यवस्था के प्रति अपनी नाराजगी जताते हुए फसलों पर ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हैं.

Farmers upset in Jabalpur
जबलपुर में किसान परेशान
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Published : Sep 11, 2020, 6:02 PM IST

जबलपुर। इस साल पहले बारिश में हुई देरी, तो वहीं कुछ स्थानों पर हुई अतिवृष्टि से किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है. एक ओर संक्रमण काल से जूझ रहा जिला प्रशासन, कोरोना की बढ़ती रफ्तार पर लगाम लगाने में दिन-रात जुटा है, तो वहीं किसानों को हुए नुकसान के आंकलन और उन्हें मदद देने में प्रशासन के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. जबलपुर में किसान इतने परेशान हैं कि, अब वे खुद की खड़ी फसलों पर ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हो रहे हैं.

जबलपुर में किसान परेशान

जिस फसल को अपनी कड़ी मेहनत और खून- पसीने से तैयार किया, उसके नुकसान पर किसान इस तरीके से प्रतीकात्मक विरोध दर्ज करा रहे हैं. चरगवां के किसान संतोष सिंह राजपूत ने 3 एकड़ में बोई सोयाबीन की फसल को खुद ही नष्ट कर दिया. अतिवृष्टि के चलते उनकी फसल खराब हो गई. वहां तक तो सब ठीक था, लेकिन फसल खराब होने के बाद जिस बीमा के लिए किसान के खाते से हर 6 महीने में किश्त कटती है, उसका लाभ भी इन्हें नहीं मिल पाया.

किसान बीमा के तहत फसल के नुकसान के आंकलन के लिए ना तो किसी टीम का सर्वे हुआ और ना ही प्रशासनिक अधिकारी उसकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं. संतोष एकलौते किसान नहीं हैं. बल्कि उनके जैसे कई अन्य किसान भी हैं, जो किसान बीमा के नाम पर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

संतोष ने तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से एक मामा होने के नाते गुहार लगाई है कि, वे इन निजी बीमा कंपनियों पर कार्रवाई करें. वहीं प्रशासनिक अमला अब तक सर्वे का काम भी पूरा नहीं करा पाया है. तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक रटा- रटाया जवाब दे रहे हैं कि, वो सर्वे रिपोर्ट के इंतजार में हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि, आखिर सर्वे कौन और कब करेगा ?

जबलपुर। इस साल पहले बारिश में हुई देरी, तो वहीं कुछ स्थानों पर हुई अतिवृष्टि से किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है. एक ओर संक्रमण काल से जूझ रहा जिला प्रशासन, कोरोना की बढ़ती रफ्तार पर लगाम लगाने में दिन-रात जुटा है, तो वहीं किसानों को हुए नुकसान के आंकलन और उन्हें मदद देने में प्रशासन के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. जबलपुर में किसान इतने परेशान हैं कि, अब वे खुद की खड़ी फसलों पर ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हो रहे हैं.

जबलपुर में किसान परेशान

जिस फसल को अपनी कड़ी मेहनत और खून- पसीने से तैयार किया, उसके नुकसान पर किसान इस तरीके से प्रतीकात्मक विरोध दर्ज करा रहे हैं. चरगवां के किसान संतोष सिंह राजपूत ने 3 एकड़ में बोई सोयाबीन की फसल को खुद ही नष्ट कर दिया. अतिवृष्टि के चलते उनकी फसल खराब हो गई. वहां तक तो सब ठीक था, लेकिन फसल खराब होने के बाद जिस बीमा के लिए किसान के खाते से हर 6 महीने में किश्त कटती है, उसका लाभ भी इन्हें नहीं मिल पाया.

किसान बीमा के तहत फसल के नुकसान के आंकलन के लिए ना तो किसी टीम का सर्वे हुआ और ना ही प्रशासनिक अधिकारी उसकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं. संतोष एकलौते किसान नहीं हैं. बल्कि उनके जैसे कई अन्य किसान भी हैं, जो किसान बीमा के नाम पर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

संतोष ने तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से एक मामा होने के नाते गुहार लगाई है कि, वे इन निजी बीमा कंपनियों पर कार्रवाई करें. वहीं प्रशासनिक अमला अब तक सर्वे का काम भी पूरा नहीं करा पाया है. तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक रटा- रटाया जवाब दे रहे हैं कि, वो सर्वे रिपोर्ट के इंतजार में हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि, आखिर सर्वे कौन और कब करेगा ?

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