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धान की खरीद शुरू नहीं होने से किसान परेशान, कम दामों पर धान बेचने को मजबूर - परेशान किसान

जबलपुर में 1200 रुपए क्विंटल में धान बेचने को किसान मजबूर हैं. मंडी में खुले में पड़ी धान पर पानी गिर रहा है. जहां 1200 रूपये क्विंटल में भी व्यापारी धान खरीदने को तैयार नहीं हैं.

Paddy is getting wasted in water
पानी में धान हो रहा बर्बाद
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Published : Dec 13, 2019, 10:00 PM IST

जबलपुर। इस साल धान की फसल आए एक महीने से ज्यादा समय हो गया है. लेकिन अभी तक धान की खरीद शुरू नहीं हो पाई है. पहले किसानों को उम्मीद थी की नई सरकार जल्दी धान खरीदी करेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और खरीदी केंद्र भी खत्म कर दिए गए हैं. अब जिन स्थानों पर भंडारण किया जाना है सीधे वहीं धान को पहुंचाया जा रहा है. लेकिन आज के हालात में एक भी क्विंटल धान अब तक सरकार ने नहीं खरीदी है.

पानी में धान हो रहा बर्बाद


वहीं परेशान किसान धान को बेचने के लिए मंडी पहुंच रहे हैं. जहां धान खरीदने वाले व्यापारी औने पौने दामों में माल खरीद रहे हैं. जबलपुर में धान 1200 रुपए प्रति क्विंटल के रेट से बिक रही है. जबकि सरकारी रेट 1800 रूपये प्रति क्विंटल है. लेकिन सरकारी खरीद नहीं होने की वजह से किसान धान औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर है. एक तो वैसे ही बहुत ज्यादा कम दामों में धान बिक रहा है, वहीं खुले में पड़ी धान पर पानी गिर गया, जिससे रही गई कसर बारिश ने निकाल दी और खुले में पड़ा धान गिला हो गया. अब व्यापारी इस गीले धान को खरीदने को तैयार नहीं हैं.


किसानों के नाम से राजनीति करने वाली कांग्रेस से अब किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. अगर धान खरीदी शुरू नहीं हुई तो किसानों को अपना माल कम दामों में व्यापारियों को बेचना पड़ेगा. किसानों का कहना है कि एक क्विंटल पर दो किलो अतिरिक्त धान लेने के बाद भी व्यापारी इस गीली धान को तुलवाने को तैयार नहीं है. किसानों ने इस बात की शिकायत मंडी प्रशासन से की है. मंडी प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया है कि वह व्यापारियों से बात करके धान को बिकवाएंगे.

जबलपुर। इस साल धान की फसल आए एक महीने से ज्यादा समय हो गया है. लेकिन अभी तक धान की खरीद शुरू नहीं हो पाई है. पहले किसानों को उम्मीद थी की नई सरकार जल्दी धान खरीदी करेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और खरीदी केंद्र भी खत्म कर दिए गए हैं. अब जिन स्थानों पर भंडारण किया जाना है सीधे वहीं धान को पहुंचाया जा रहा है. लेकिन आज के हालात में एक भी क्विंटल धान अब तक सरकार ने नहीं खरीदी है.

पानी में धान हो रहा बर्बाद


वहीं परेशान किसान धान को बेचने के लिए मंडी पहुंच रहे हैं. जहां धान खरीदने वाले व्यापारी औने पौने दामों में माल खरीद रहे हैं. जबलपुर में धान 1200 रुपए प्रति क्विंटल के रेट से बिक रही है. जबकि सरकारी रेट 1800 रूपये प्रति क्विंटल है. लेकिन सरकारी खरीद नहीं होने की वजह से किसान धान औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर है. एक तो वैसे ही बहुत ज्यादा कम दामों में धान बिक रहा है, वहीं खुले में पड़ी धान पर पानी गिर गया, जिससे रही गई कसर बारिश ने निकाल दी और खुले में पड़ा धान गिला हो गया. अब व्यापारी इस गीले धान को खरीदने को तैयार नहीं हैं.


किसानों के नाम से राजनीति करने वाली कांग्रेस से अब किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. अगर धान खरीदी शुरू नहीं हुई तो किसानों को अपना माल कम दामों में व्यापारियों को बेचना पड़ेगा. किसानों का कहना है कि एक क्विंटल पर दो किलो अतिरिक्त धान लेने के बाद भी व्यापारी इस गीली धान को तुलवाने को तैयार नहीं है. किसानों ने इस बात की शिकायत मंडी प्रशासन से की है. मंडी प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया है कि वह व्यापारियों से बात करके धान को बिकवाएंगे.

Intro:जबलपुर में 12 सो रुपए कुंतल में धान बेचने को मजबूर किसान मंडी में खुले में पड़ी धान पर गिरा पानी बारह सौ रूपया क्विंटल में भी व्यापारी नहीं खरीद रहे किसानों का धान


Body:जबलपुर की धान उत्पादक किसान परेशान है

इस साल धान की फसल आए 1 महीने से ज्यादा समय हो गया है इस साल धान की बंपर फसल भी आई है लेकिन इसके बावजूद धान की खरीद शुरू नहीं हो पाई है पहले किसानों को उम्मीद थी की नई सरकार जल्दी धान खरीदी करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ खरीदी केंद्र भी खत्म कर दिए गए हैं अब जिन स्थानों पर भंडारण किया जाना है सीधे वही धान को पहुंचाया जा रहा है लेकिन आज के हालात में एक भी क्विंटल धान अब तक सरकार ने नहीं खरीदी है

परेशान किसान धान को बेचने के लिए मंडी पहुंच रहे हैं यहां धान खरीदने वाले व्यापारी औने पौने दामों में माल खरीद रहे हैं जबलपुर में धान 12 सो रुपए प्रति कुंतल के रेट से बिक रही है जबकि सरकारी रेट 18 सौ रूपया प्रति कुंतल है लेकिन सरकारी खरीद नहीं होने की वजह से किसान धान बेचने को मजबूर है एक तो बहुत ज्यादा कम दामों में धान बिक भी गया लेकिन इसके पहले की धान की तुलाई हो पाती और किसान को पैसे मिल पाते आसमान से आफत बरस पड़ी और मंडी में खुले में पड़ा हुआ धान गीला हो गया अब व्यापारी इस गीले धान को खरीदने को तैयार नहीं हैं किसानों का कहना है कि 1 क्विंटल पर 2 किलो अतिरिक्त धान लेने के बाद भी व्यापारी इस गीली धान को तुलवाने को तैयार नहीं है

किसानों ने इस बात की शिकायत मंडी प्रशासन से की तो मंडी प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया है कि वह व्यापारियों से बात करके धान को बिकवएंगे


Conclusion:किसानों के नाम से राजनीति करने वाली कांग्रेस से अब किसान ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है क्योंकि यदि धान खरीदी शुरू नहीं होती तो किसानों को अपना माल कम दामों में व्यापारियों को बेचना पड़ेगा इससे किसानों की कमर टूट जाएगी लेकिन सत्ता की गद्देदार कुर्सी पर बैठे नेताओं को इस बात से बहुत फर्क पड़ने वाला नहीं है
बाइट मयंक जैन किसान
बाइट नजरू किसान
बाइट आरके सैयाम मंडी सचिव
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