जबलपुर। इन दिनों खरीफ की फसल का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद ही सरकार किसानों से फसल खरीदती है. पटवारियों और सॉफ्टवेयर की लापरवाही की वजह से जबलपुर का ज्यादातर इलाका असिंचित घोषित कर दिया गया है. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ सकता है.
अपनी फसल बेचने के लिए किसानों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. जिसके लिए एक सॉफ्टवेयर बना हुआ है. इस सॉफ्टवेयर में सभी किसानों के रकबे दर्ज हैं और पटवारियों को फील्ड पर जाकर खसरे में खेत में हुई फसल को दर्ज करना होता है और इसी में उन्हें ये जानकारी भी देनी होती है कि फसल सिंचित खेत में लगी है या असिंचित खेत में, लेकिन पटवारियों ने बिना खेत की जांच किए घर बैठे सॉफ्टवेयर में ज्यादातार खेतों को असिंचित दिखा दिया है.
जबलपुर के नहर किनारे के खेतों को भी असिंचित घोषित कर दिया गया है. जिसकी वजह से रजिस्ट्रेशन करवाने में किसानों के खेत असिंचित रकबे में नजर आ रहे हैं. इसका नुकसान ये होगा कि जब सरकार धान की उत्पादकता सिंचित और असिंचित खेत के अनुसार तय करेगी तो असिंचित होने की वजह से उसकी उत्पादकता कम मानी जाएगी और किसान को ज्यादा उत्पादन होने के बाद भी अपनी फसल सरकार को बेचने का हक नहीं होगा.
इस समस्या की शिकायत जबलपुर के किसानों ने कृषि मंत्री से भी की, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं हुआ. अब जबलपुर कलेक्टर का कहना है कि वे जब उत्पादकता तय करेंगे तो उसमें अंतर कम रखेंगे ताकि सॉफ्टवेयर की वजह से हुई समस्या का खामियाजा किसानों को न उठाना पड़े, लेकिन किसानों का कहना है कि हर साल कभी रकबा कम कर दिया जाता है तो कभी सिंचित को असिंचित बता दिया जाता है, ताकि सरकार को किसानों का माल पूरी तरह से न खरीदना पड़े.