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फसल लगे खेत को पटवारियों ने दर्ज किया असिंचित, रजिस्ट्रेशन के लिए परेशान किसान - खरीफ की फसल के लिए रजिस्ट्रेशन

अपनी फसल बेचने के लिए किसानों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. जिसके लिए एक सॉफ्टवेयर बना हुआ है. इस सॉफ्टवेयर में सभी किसानों के रकबे दर्ज हैं और पटवारियों को फील्ड पर जाकर खसरे में खेत में लगी फसल की डिटेल दर्ज करनी होती है.

पटवारियों की लापरवाही से किसानों के खेत घोषित हुए असिंचित
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Published : Oct 5, 2019, 6:20 PM IST

जबलपुर। इन दिनों खरीफ की फसल का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद ही सरकार किसानों से फसल खरीदती है. पटवारियों और सॉफ्टवेयर की लापरवाही की वजह से जबलपुर का ज्यादातर इलाका असिंचित घोषित कर दिया गया है. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ सकता है.

खेतों के असिंचित घोषित होने से किसान परेशान

अपनी फसल बेचने के लिए किसानों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. जिसके लिए एक सॉफ्टवेयर बना हुआ है. इस सॉफ्टवेयर में सभी किसानों के रकबे दर्ज हैं और पटवारियों को फील्ड पर जाकर खसरे में खेत में हुई फसल को दर्ज करना होता है और इसी में उन्हें ये जानकारी भी देनी होती है कि फसल सिंचित खेत में लगी है या असिंचित खेत में, लेकिन पटवारियों ने बिना खेत की जांच किए घर बैठे सॉफ्टवेयर में ज्यादातार खेतों को असिंचित दिखा दिया है.

जबलपुर के नहर किनारे के खेतों को भी असिंचित घोषित कर दिया गया है. जिसकी वजह से रजिस्ट्रेशन करवाने में किसानों के खेत असिंचित रकबे में नजर आ रहे हैं. इसका नुकसान ये होगा कि जब सरकार धान की उत्पादकता सिंचित और असिंचित खेत के अनुसार तय करेगी तो असिंचित होने की वजह से उसकी उत्पादकता कम मानी जाएगी और किसान को ज्यादा उत्पादन होने के बाद भी अपनी फसल सरकार को बेचने का हक नहीं होगा.

इस समस्या की शिकायत जबलपुर के किसानों ने कृषि मंत्री से भी की, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं हुआ. अब जबलपुर कलेक्टर का कहना है कि वे जब उत्पादकता तय करेंगे तो उसमें अंतर कम रखेंगे ताकि सॉफ्टवेयर की वजह से हुई समस्या का खामियाजा किसानों को न उठाना पड़े, लेकिन किसानों का कहना है कि हर साल कभी रकबा कम कर दिया जाता है तो कभी सिंचित को असिंचित बता दिया जाता है, ताकि सरकार को किसानों का माल पूरी तरह से न खरीदना पड़े.

जबलपुर। इन दिनों खरीफ की फसल का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद ही सरकार किसानों से फसल खरीदती है. पटवारियों और सॉफ्टवेयर की लापरवाही की वजह से जबलपुर का ज्यादातर इलाका असिंचित घोषित कर दिया गया है. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ सकता है.

खेतों के असिंचित घोषित होने से किसान परेशान

अपनी फसल बेचने के लिए किसानों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. जिसके लिए एक सॉफ्टवेयर बना हुआ है. इस सॉफ्टवेयर में सभी किसानों के रकबे दर्ज हैं और पटवारियों को फील्ड पर जाकर खसरे में खेत में हुई फसल को दर्ज करना होता है और इसी में उन्हें ये जानकारी भी देनी होती है कि फसल सिंचित खेत में लगी है या असिंचित खेत में, लेकिन पटवारियों ने बिना खेत की जांच किए घर बैठे सॉफ्टवेयर में ज्यादातार खेतों को असिंचित दिखा दिया है.

जबलपुर के नहर किनारे के खेतों को भी असिंचित घोषित कर दिया गया है. जिसकी वजह से रजिस्ट्रेशन करवाने में किसानों के खेत असिंचित रकबे में नजर आ रहे हैं. इसका नुकसान ये होगा कि जब सरकार धान की उत्पादकता सिंचित और असिंचित खेत के अनुसार तय करेगी तो असिंचित होने की वजह से उसकी उत्पादकता कम मानी जाएगी और किसान को ज्यादा उत्पादन होने के बाद भी अपनी फसल सरकार को बेचने का हक नहीं होगा.

इस समस्या की शिकायत जबलपुर के किसानों ने कृषि मंत्री से भी की, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं हुआ. अब जबलपुर कलेक्टर का कहना है कि वे जब उत्पादकता तय करेंगे तो उसमें अंतर कम रखेंगे ताकि सॉफ्टवेयर की वजह से हुई समस्या का खामियाजा किसानों को न उठाना पड़े, लेकिन किसानों का कहना है कि हर साल कभी रकबा कम कर दिया जाता है तो कभी सिंचित को असिंचित बता दिया जाता है, ताकि सरकार को किसानों का माल पूरी तरह से न खरीदना पड़े.

Intro:पटवारियों की लापरवाही की वजह से भारी बारिश में भी जबलपुर असिंचित घोषित धान खरीदी के रजिस्ट्रेशन में सॉफ्टवेयर नहर किनारे के खेतों को भी बता रहा है असिंचित किसानों का कहना धान बेचने में होगी समस्या


Body:जबलपुर पटवारियों की लापरवाही की वजह से जबलपुर का ज्यादातर इलाका असिंचित घोषित हो गया है और अब इसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ेगा
इन दिनों किसानों की खरीफ फसल का रजिस्ट्रेशन चल रहा है सरकार किसानों से फसल खरीदती है लेकिन इसके लिए किसानों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है इसके लिए एक सॉफ्टवेयर बना हुआ है इस सॉफ्टवेयर में सभी किसानों के रकबे दर्ज हैं और पटवारियों को फील्ड पर जाकर खसरे में खेत में वही हुई फसल को दर्ज करना होता है और इसी में उन्हें यह जानकारी भी देनी होती है की फसल सिंचित खेत में लगी है या असिंचित खेत में लेकिन पटवारियों ने अपना काम सही ढंग से नहीं करते हुए लापरवाही बरती

जबलपुर के नहर किनारे की खेतों को भी असिंचित घोषित कर दिया इसकी वजह से किसान रजिस्ट्रेशन करवाने जब पहुंचा तो उसका खेत असिंचित रकबे में नजर आ रहा है इसका नुकसान यह होगा कि जब सरकार धान की उत्पादकता सिंचित और असिंचित खेत के अनुसार तय करेगी तो असिंचित होने की वजह से उसकी उत्पादकता कम मानी जाएगी और किसान को ज्यादा उत्पादन होने के बाद भी अपनी फसल सरकार को बेचने का हक नहीं होगा

इस समस्या की शिकायत जबलपुर के किसानों ने कृषि मंत्री से भी की लेकिन इसका कोई समाधान नहीं हुआ अब जबलपुर कलेक्टर का कहना है कि वे जब उत्पादकता तय करेंगे तो उसमें अंतर कम रखेंगे ताकि सॉफ्टवेयर की वजह से हुई समस्या का खामियाजा किसानों को ना उठाना पड़े लेकिन किसानों का कहना है कि हर साल कभी रखवा कम कर दिया जाता है कभी शिक्षित को असिंचित बता दिया जाता है ताकि सरकार किसानों का माल पूरी तरह से ना खरीदना पड़े



Conclusion:बाइट केके अग्रवाल अध्यक्ष भारत कृषक समाज
बाइट भरत सिंह यादव कलेक्टर जबलपुर
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