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MP High Court सजा नहीं भी मिली और चरित्र आपराधिक है तो पुलिस की निगरानी रजिस्टर में नाम होना सही - चरित्र आपराधिक है तो पुलिस की निगरानी सही

न्यायालय द्वारा सजा से दण्डित नहीं किये जाने के बावजूद पुलिस द्वारा विगत 15 सालों से निगरानी रजिस्टर में नाम दर्ज किए जाने के मामले दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट जस्टिस विशाल घगट ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि संदिग्ध व गलत चरित्र वाले व्यक्ति के खिलाफ निगरानी की कार्रवाई की जा सकती है. पुलिस को उसकी शक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है.

MP High Court
चरित्र आपराधिक है तो पुलिस की निगरानी रजिस्टर में नाम होना सही
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Published : Jan 13, 2023, 2:31 PM IST

जबलपुर। छिंदवाडा जिले की जुन्नारदेव तहसील निवासी साजिद उर्फ सज्जू की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि साल 2007 में पुलिस अधीक्षक के आदेश पर उसका नाम थाने के निगरानी रजिस्टर में दर्ज किया गया था. उसे किसी भी अपराध में न्यायालय ने सजा से दण्डित नहीं किया है. पुलिस मैनुअल व रेग्युलेशन के अनुसार राज्य सरकार द्वारा सशर्त रिहा गए व्यक्ति, सजायाफ्ता व्यक्ति तथा पूर्व अपराधी व गलत चरित्र के व्यक्ति के खिलाफ निगरानी की कार्रवाई की जाती है. याचिका में राहत चाही गयी थी कि उसके खिलाफ जारी निगरानी की कार्रवाई पर रोक लगाई जाये.

सरकार ने रखा अपना पक्ष : सरकार की तरफ से याचिका का विरोध करते हुए बताया गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ चोरी व जमीन में कब्जा करने के कई अपराध हैं. उसके खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई प्रारंभ की गयी है. याचिकाकर्ता की गतिविधियां समाजिक शांति व सुरक्षा के लिए खतरा है. एकलपीठ ने जस्टिस जीपी सिंह के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि बुरे चरित्र वाले व्यक्ति के खिलाफ पुलिस निगरानी की कार्रवाई कर सकती है. एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि पुलिस को उसकी शक्तियों से वंचित नहीं किया जा सकता है.

दिवंगत न्यायाधीश को श्रद्धांजलि : जबलपुर जिला न्यायालय के सेवानिवृत्त तथा कार्यरत दिवंगत न्यायाधीश को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पूरे प्रदेश में रिफ्रेन्स रखा गया. न्यायायिक इतिहास में यह पहला अवसर है कि जब सम्पूर्ण प्रदेश में फुल कोर्ट रिफ्रेन्स किया गया है. इसका आयोजन हाईकोर्ट की मुख्यपीठ में चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ की अध्यक्षत में किया गया. कार्यक्रम में हाईकोर्ट की ग्वालियर व इंदौर बेंच सहित प्रदेश के सभी जिला न्यायालय के न्यायाधीश शामिल हुए. श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ ने कहा है कि न्यायिक प्रक्रिया में जिला न्यायालय रीढ़ की हड्डी है. उनके द्वारा प्रदान की गयी सेवा को महत्व देना आवश्यक है.

MP High Court आपराधिक प्रकरण की जानकारी छिपाकर कैसे बने मुख्य कोच, नोटिस जारी

पूरे प्रदेश में आयोजन : जिला न्यायालय के सेवानिवृत्त तथा कार्यरत दिवंगत न्यायाधीश गुमनाम नायक हैं. उनके सम्मान में प्रतिवर्ष प्रदेश में फुल कोर्ट रिफ्रेन्स का आयोजन किया जाएगा. चीफ जस्टिस श्री मलिमठ ने साल 2021 तथा 2022 में न्यायालय के सेवानिवृत्त व कार्यरत दिवंगत 23 न्यायाधीशों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में इंदौर व ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच के जस्टिस सहित प्रदेश के सभी जिला न्यायालय के न्यायाधीश वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए. मुख्यपीठ में आयोजित कार्यक्रम में हाईकोर्ट के न्यायाधीश, जिला न्यायालय में न्यायाधीश, एडवोकेट बार एसोसिएशनों के पदाधिकारी उपस्थित थे.

जबलपुर। छिंदवाडा जिले की जुन्नारदेव तहसील निवासी साजिद उर्फ सज्जू की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि साल 2007 में पुलिस अधीक्षक के आदेश पर उसका नाम थाने के निगरानी रजिस्टर में दर्ज किया गया था. उसे किसी भी अपराध में न्यायालय ने सजा से दण्डित नहीं किया है. पुलिस मैनुअल व रेग्युलेशन के अनुसार राज्य सरकार द्वारा सशर्त रिहा गए व्यक्ति, सजायाफ्ता व्यक्ति तथा पूर्व अपराधी व गलत चरित्र के व्यक्ति के खिलाफ निगरानी की कार्रवाई की जाती है. याचिका में राहत चाही गयी थी कि उसके खिलाफ जारी निगरानी की कार्रवाई पर रोक लगाई जाये.

सरकार ने रखा अपना पक्ष : सरकार की तरफ से याचिका का विरोध करते हुए बताया गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ चोरी व जमीन में कब्जा करने के कई अपराध हैं. उसके खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई प्रारंभ की गयी है. याचिकाकर्ता की गतिविधियां समाजिक शांति व सुरक्षा के लिए खतरा है. एकलपीठ ने जस्टिस जीपी सिंह के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि बुरे चरित्र वाले व्यक्ति के खिलाफ पुलिस निगरानी की कार्रवाई कर सकती है. एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि पुलिस को उसकी शक्तियों से वंचित नहीं किया जा सकता है.

दिवंगत न्यायाधीश को श्रद्धांजलि : जबलपुर जिला न्यायालय के सेवानिवृत्त तथा कार्यरत दिवंगत न्यायाधीश को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पूरे प्रदेश में रिफ्रेन्स रखा गया. न्यायायिक इतिहास में यह पहला अवसर है कि जब सम्पूर्ण प्रदेश में फुल कोर्ट रिफ्रेन्स किया गया है. इसका आयोजन हाईकोर्ट की मुख्यपीठ में चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ की अध्यक्षत में किया गया. कार्यक्रम में हाईकोर्ट की ग्वालियर व इंदौर बेंच सहित प्रदेश के सभी जिला न्यायालय के न्यायाधीश शामिल हुए. श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ ने कहा है कि न्यायिक प्रक्रिया में जिला न्यायालय रीढ़ की हड्डी है. उनके द्वारा प्रदान की गयी सेवा को महत्व देना आवश्यक है.

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पूरे प्रदेश में आयोजन : जिला न्यायालय के सेवानिवृत्त तथा कार्यरत दिवंगत न्यायाधीश गुमनाम नायक हैं. उनके सम्मान में प्रतिवर्ष प्रदेश में फुल कोर्ट रिफ्रेन्स का आयोजन किया जाएगा. चीफ जस्टिस श्री मलिमठ ने साल 2021 तथा 2022 में न्यायालय के सेवानिवृत्त व कार्यरत दिवंगत 23 न्यायाधीशों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में इंदौर व ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच के जस्टिस सहित प्रदेश के सभी जिला न्यायालय के न्यायाधीश वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए. मुख्यपीठ में आयोजित कार्यक्रम में हाईकोर्ट के न्यायाधीश, जिला न्यायालय में न्यायाधीश, एडवोकेट बार एसोसिएशनों के पदाधिकारी उपस्थित थे.

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