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महिला दिवस: समाज सेवा की अनूठी मिसाल हैं दीदी ज्ञानेश्वरी, एक हजार से ज्यादा कैंसर पीड़ित मरीजों का करा चुकी हैं निशुल्क इलाज - जबलपुर

जबलपुर में रहने वाली ज्ञानेश्वरी देवी एक हॉस्पिटल का संचालन करती है. जिसमें कैंसर से पीड़ित मरीजों का निशुल्क इलाज किया जाता है. दीदी ज्ञानेश्वरी अबतक एक हजार से भी ज्यादा मरीजों का निशुल्क इलाज कर चुकी हैं.

दीदी ज्ञानेश्वरी
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Published : Mar 7, 2019, 8:33 PM IST

जबलपुर। शहर के गोपालपुर इलाके में खेतों के बीचों-बीच बने इस हॉस्पिटल का संचालन एक साध्वी करती है, जिन्हें लोग दीदी ज्ञानेश्वरी के नाम से जानते हैं. दीदी ज्ञानेश्वरी जबलपुर में समाज सेवा की सबसे बड़ी मिसाल बनकर उभरी हैं क्योंकि दीदी ज्ञानेश्वरी अब तक एक हजार से ज्यादा कैंसर के मरीजों का निशुल्क इलाज करा चुकी हैं, जबकि हजारों गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा भी दे चुकी है.


पंजाब की रहने वाली दीदी ज्ञानेश्वरी ने 1992 में संन्यास ले लिया था और वे जबलपुर आ गयीं. यहां उन्होंने सबसे पहले गरीब आदिवासी बच्चों के लिए एक स्कूल खोला, जिसमें हर साल 500 से अधिक बच्चे निशुल्क शिक्षा ग्रहण करते हैं. लेकिन, पांच साल पहले स्कूल में ही एक ऐसी घटना हुई थी, जिससे ज्ञानेश्वरी दीदी ने यह हॉस्पिटल खोलने का विचार बना लिया था.


दरअसल, स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे को कैंसर की बीमारी थी. वे बताती हैं कि कैंसर से पीड़ित यह बच्चा अपने अंतिम समय में बहुत ज्यादा तड़पा था, जिसके बाद से मैंने तय कर लिया था कि वह एक ऐसा अस्पताल खोलेंगी, जहां कैंसर से पीड़ित मरीजों को मुफ्त इलाज मिल सके और उनकी सेवा की जाए. लिहाजा अस्पताल खोलने के लिए साध्वी ने शहर के लोगों से मदद मांगी, जिसमें शहर के लोगों ने भी उनका पूरा सहयोग किया.

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बीते पांच सालों में जबलपुर के इस अस्पताल में एक हजार से ज्यादा कैंसर से पीड़ित मरीजों का निशुल्क इलाज कराया जा चुका है. शहर के कई नामी डॉक्टर यहां मरीजों का इलाज निशुल्क करने के लिए आते हैं, जबकि मरीजों को कैंसर की रेडियो थेरेपी की व्यवस्था भी है. वहीं अस्पताल में भर्ती मरीजों को शुद्ध भोजन भी मुफ्त में दिया जाता है.


दीदी ज्ञानेश्वरी ने परिवार को छोड़कर भले ही संन्यास धारण कर लिया हो, लेकिन इसके बाद उन्होंने समाज सेवा का रास्ता अपना लिया था. आज साध्वी ज्ञानेश्वरी की वजह से कई आदिवासी बच्चे पढ़ पाए और कई समाज से ठुकराए कैंसर के मरीजों को अंतिम समय में ही सही लोगों का प्यार मिल सका, जो समाज सेवा की बड़ी मिसाल है.

जबलपुर। शहर के गोपालपुर इलाके में खेतों के बीचों-बीच बने इस हॉस्पिटल का संचालन एक साध्वी करती है, जिन्हें लोग दीदी ज्ञानेश्वरी के नाम से जानते हैं. दीदी ज्ञानेश्वरी जबलपुर में समाज सेवा की सबसे बड़ी मिसाल बनकर उभरी हैं क्योंकि दीदी ज्ञानेश्वरी अब तक एक हजार से ज्यादा कैंसर के मरीजों का निशुल्क इलाज करा चुकी हैं, जबकि हजारों गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा भी दे चुकी है.


पंजाब की रहने वाली दीदी ज्ञानेश्वरी ने 1992 में संन्यास ले लिया था और वे जबलपुर आ गयीं. यहां उन्होंने सबसे पहले गरीब आदिवासी बच्चों के लिए एक स्कूल खोला, जिसमें हर साल 500 से अधिक बच्चे निशुल्क शिक्षा ग्रहण करते हैं. लेकिन, पांच साल पहले स्कूल में ही एक ऐसी घटना हुई थी, जिससे ज्ञानेश्वरी दीदी ने यह हॉस्पिटल खोलने का विचार बना लिया था.


दरअसल, स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे को कैंसर की बीमारी थी. वे बताती हैं कि कैंसर से पीड़ित यह बच्चा अपने अंतिम समय में बहुत ज्यादा तड़पा था, जिसके बाद से मैंने तय कर लिया था कि वह एक ऐसा अस्पताल खोलेंगी, जहां कैंसर से पीड़ित मरीजों को मुफ्त इलाज मिल सके और उनकी सेवा की जाए. लिहाजा अस्पताल खोलने के लिए साध्वी ने शहर के लोगों से मदद मांगी, जिसमें शहर के लोगों ने भी उनका पूरा सहयोग किया.

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बीते पांच सालों में जबलपुर के इस अस्पताल में एक हजार से ज्यादा कैंसर से पीड़ित मरीजों का निशुल्क इलाज कराया जा चुका है. शहर के कई नामी डॉक्टर यहां मरीजों का इलाज निशुल्क करने के लिए आते हैं, जबकि मरीजों को कैंसर की रेडियो थेरेपी की व्यवस्था भी है. वहीं अस्पताल में भर्ती मरीजों को शुद्ध भोजन भी मुफ्त में दिया जाता है.


दीदी ज्ञानेश्वरी ने परिवार को छोड़कर भले ही संन्यास धारण कर लिया हो, लेकिन इसके बाद उन्होंने समाज सेवा का रास्ता अपना लिया था. आज साध्वी ज्ञानेश्वरी की वजह से कई आदिवासी बच्चे पढ़ पाए और कई समाज से ठुकराए कैंसर के मरीजों को अंतिम समय में ही सही लोगों का प्यार मिल सका, जो समाज सेवा की बड़ी मिसाल है.

Intro:दीदी ज्ञानेश्वरी ने बिना किसी सरकारी मदद के क है 1000 से ज्यादा मरीजों को दी निशुल्क इलाज की व्यवस्था और हजारों बच्चों को दी निशुल्क शिक्षा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष


Body:जबलपुर के गोपालपुर इलाके में खेतों के बीच में विराट हॉस्पिस
नाम की जगह है यह कॉन्सेप्ट हॉस्पिटल विद पीस से बना हुआ है इसलिए इस अस्पताल को शांत इलाके में बनाया गया है इस अस्पताल को ज्ञानेश्वरी दीदी चलाती हैं यहां कैंसर के उन मरीजों को लाया जाता है जो थर्ड स्टेज पर होते हैं सामान्य तौर पर ऐसे मरीजों की सेवा घरवाले करना बंद कर देते हैं और अस्पतालों में भी उनकी सेवा नहीं हो पाती क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अब इनकी जिंदगी के कुछ ही दिन बचे हैं ज्ञानेश्वरी दीदी एक स्कूल चलाती है इस स्कूल में एक बच्चे को कैंसर हो गया था और कैंसर से पीड़ित बच्चे अपने अंतिम दिनों में बहुत ज्यादा तड़पा इसके बाद ज्ञानेश्वरी ने तय कर लिया कि वह एक ऐसा अस्पताल खोलेंगे जहां कैंसर से पीड़ित गंभीर मरीजों को लाया जाएगा और उनकी सेवा की जाएगी इसके बाद साध्वी को जबलपुर शहर के लोगों ने मदद की और आज बीते 5 सालों में इस अस्पताल में 1000 से ज्यादा लोग निशुल्क इलाज करवा कर जा चुके हैं हालांकि कई लोगों की मौत भी हो गई लेकिन अंतिम दिनों में उन्हें नकारा नहीं गया लोगों ने उनकी सेवा की इस सेवा की वजह से कई लोग ठीक भी हो गए साध्वी का कहना है यदि कैंसर पर पहले ध्यान दे दिया जाए तो लोगों को बचाया जा सकता है

साध्वी ज्ञानेश्वरी पंजाब की रहने वाली हैं 1992 में उन्होंने संन्यास ले लिया था उसके बाद से पहले स्कूल खोला जहां 500 बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिलती है और इसके बाद कैंसर के पीड़ित मरीजों के लिए यह विराट हॉस्पिस खोला शहर के कई नामी डॉक्टर यहां मरीजों का इलाज निशुल्क करने के लिए आते हैं मरीजों को कैंसर की रेडियो थेरेपी के लिए यहां कई एंबुलेंस हैं मरीजों को शुद्ध भोजन दिया जाता है और यह सब कुछ साध्वी ज्ञानेश्वरी की वजह से संभव हो पाया


Conclusion:साध्वी ने परिवार को छोड़ दिया लेकिन समाज सेवा को अपना लिया और साध्वी की वजह से कई आदिवासी बच्चे पढ़ पाए और कई समाज से ठुकराए कैंसर के मरीजों को अंतिम समय में ही सही लोगों का प्यार मिल सका
साध्वी ज्ञानेश्वरी
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