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इस बार दीवाली पर बाजारों में बढ़ी ग्रीन पटाखों की डिमांड

इस बार दीपावली के मौके पर बाजारों में ग्रीन पटाखों की डिमांड बढ़ गई है. ये पटाखें देखने में सामान्य पटाखों की तरह ही है लेकिन इन्हें जलाने पर प्रदूषण कम होता है.

ग्रीन पटाखों की भारी डिमांड
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Published : Oct 26, 2019, 5:27 AM IST

जबलपुर। दिवाली पर प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद अब बाजारों में ग्रीन पटाखों की डिमांड बढ़ने लगी है. बताया जा रहा है कि ग्रीन पटाखे भी बाकी पटाखों की तरह ही है लेकिन इन पटाखों को जलाने पर प्रदषूण नहीं होगा. यहां तक कि इन पटाखों को जलाने पर आवाज भी सामान्य पटाखे की तरह निकलती है.

ग्रीन पटाखों की भारी डिमांड

प्रदूषण वाले पटाखों को जलाने पर नाइट्रोजन और सल्फर गैस भारी मात्रा में निकलती है जो वायुमंडल के लिए बहुत हानिकारक है तो दूसरी और ग्रीन पटाखों को जलाने पर इन हानिकारक गैस में 40 से 50 फीसदी तक कमी हो जाती है. औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर )की संस्था निरी ने ऐसे पटाखों की खोज की है, जो पारंपारिक पटाखों जैसे ही होते हैं पर इनके जलने से कम प्रदूषण होता है. ताकि लोग दीपावली पर पटाखे भी जला सके और प्रदूषण भी कम हो.

सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने पटाखों से होने वाले प्रदूषण को रोकने तीन तरह के ग्रीन पटाखे बनाए हैं. एक जलने के साथ पानी पैदा करते हैं, जिससे सल्फर और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैस इन्हीं में घुल जाती है. जिसे सेव वाटर रिलीज कहा जाता है. वहीं दूसरे और तीसरे किस्म के फटाखे सामान्य से कम सल्फर और नाइट्रोजन गैस पैदा करते हैं.

पटाखा विक्रेता सचिन विश्वकर्मा भी मान रहे हैं कि ग्रीन पटाखों की डिजाइन आम पटाखों से थोड़ा अलग है और यह फटाखे बच्चों के लिहाज से काफी सुरक्षित भी हैं. वहीं पीसीबी के अधिकारियों की मानें तो बीते साल ग्रीन पटाखों का निर्माण कर लिया गया था लेकिन तादाद कम होने की वजह से यह फटाखे बाजारों में नहीं पहुंच सके थे पर इस बार दीपावली के मौके पर पहले से ही बाजारों में ग्रीन पटाखे मौजूद हैं.

जबलपुर। दिवाली पर प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद अब बाजारों में ग्रीन पटाखों की डिमांड बढ़ने लगी है. बताया जा रहा है कि ग्रीन पटाखे भी बाकी पटाखों की तरह ही है लेकिन इन पटाखों को जलाने पर प्रदषूण नहीं होगा. यहां तक कि इन पटाखों को जलाने पर आवाज भी सामान्य पटाखे की तरह निकलती है.

ग्रीन पटाखों की भारी डिमांड

प्रदूषण वाले पटाखों को जलाने पर नाइट्रोजन और सल्फर गैस भारी मात्रा में निकलती है जो वायुमंडल के लिए बहुत हानिकारक है तो दूसरी और ग्रीन पटाखों को जलाने पर इन हानिकारक गैस में 40 से 50 फीसदी तक कमी हो जाती है. औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर )की संस्था निरी ने ऐसे पटाखों की खोज की है, जो पारंपारिक पटाखों जैसे ही होते हैं पर इनके जलने से कम प्रदूषण होता है. ताकि लोग दीपावली पर पटाखे भी जला सके और प्रदूषण भी कम हो.

सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने पटाखों से होने वाले प्रदूषण को रोकने तीन तरह के ग्रीन पटाखे बनाए हैं. एक जलने के साथ पानी पैदा करते हैं, जिससे सल्फर और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैस इन्हीं में घुल जाती है. जिसे सेव वाटर रिलीज कहा जाता है. वहीं दूसरे और तीसरे किस्म के फटाखे सामान्य से कम सल्फर और नाइट्रोजन गैस पैदा करते हैं.

पटाखा विक्रेता सचिन विश्वकर्मा भी मान रहे हैं कि ग्रीन पटाखों की डिजाइन आम पटाखों से थोड़ा अलग है और यह फटाखे बच्चों के लिहाज से काफी सुरक्षित भी हैं. वहीं पीसीबी के अधिकारियों की मानें तो बीते साल ग्रीन पटाखों का निर्माण कर लिया गया था लेकिन तादाद कम होने की वजह से यह फटाखे बाजारों में नहीं पहुंच सके थे पर इस बार दीपावली के मौके पर पहले से ही बाजारों में ग्रीन पटाखे मौजूद हैं.

Intro:जबलपुर
दीवाली में कब केवल दो दिन बाकी है ऐसे में लोग पर्व की खरीदारी में जुट गए है।लेकिन पटाखों और आतिशबाजी के बिना दीपावली अधूरी होती है।पटाखों से होने वाले प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे प्रदूषण फैलाने वाले पटाखो पर पूरी तरह से बैन भी लगाया है जिसके बाद अब जबलपुर के बाजारों में ग्रीन पटाखों की डिमांड बढ़ने लग गई है।


Body:दर्शल ग्रीन पटाखे एकदम सामान्य पटाखे की तरह होते है।इन पटाखे को जलाने पर आवाज भी सामान्य पटाख़े की तरह निकलती है।वही सामान्य पटाखो को जलाने पर नाइट्रोजन और सल्फर गैस भारी मात्रा में निकलती है जो कि हमारे वायुमंडल के लिए बहुत हानिकारक है तो दूसरी और ग्रीन पटाखो को जलाने पर इन हानिकारक गैसों में 40 से 50 फ़ीसदी तक कमी हो जाती है। औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर )की संस्था निरी ने ऐसे पटाखों की खोज की है जो पारंपारिक पटाखों जैसे ही होते हैं पर इनके जलने से कम प्रदूषण होता है इससे आपकी दीपावली का मजा भी कम नहीं होगा क्योंकि ग्रीन पटाखे देखने जलने और आवाज में सामान पटाखों की तरह होते हैं।सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने पटाखों से होने वाले प्रदूषण को रोकने तीन तरह के ग्रीन पटाखे बनाए हैं। एक जलने के साथ पानी पैदा करते हैं जिससे सल्फर और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैसें इन्हीं में घुल जाती है जिसे सेव वाटर रिलीज कहा जाता है वही दूसरे और तीसरे किस्म के फटाके सामान्य से कम सल्फर और नाइट्रोजन गैस पैदा करते हैं।


Conclusion:पटाखा विक्रेता भी मान रहे हैं कि ग्रीन पटाखों की डिजाइन आम पटाखों से थोड़ा अलग है और यह फटाके बच्चों के लिहाज से काफी सुरक्षित भी हैं।साथ ही ग्रीन पटाखों की वजह से ग्रीन पटाखों की मांग भी ज्यादा है। वही पीसीबी के अधिकारियों की मानें तो बीते साल ग्रीन पटाखों का निर्माण कर लिया गया था लेकिन तादाद कम होने की वजह से यह फटाके बाजारों में नहीं पहुंच सके थे पर इस बार दीपावली के मौके पर पहले से ही बाजारों में ग्रीन पटाखे मौजूद हैं।
बाईट.1- सचिन विश्वकर्मा....पटाखा विक्रेता
बाईट.2-एसके खरे.....वैज्ञानिक,प्रदूषण बोर्ड
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