जबलपुर। दिवाली पर प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद अब बाजारों में ग्रीन पटाखों की डिमांड बढ़ने लगी है. बताया जा रहा है कि ग्रीन पटाखे भी बाकी पटाखों की तरह ही है लेकिन इन पटाखों को जलाने पर प्रदषूण नहीं होगा. यहां तक कि इन पटाखों को जलाने पर आवाज भी सामान्य पटाखे की तरह निकलती है.
प्रदूषण वाले पटाखों को जलाने पर नाइट्रोजन और सल्फर गैस भारी मात्रा में निकलती है जो वायुमंडल के लिए बहुत हानिकारक है तो दूसरी और ग्रीन पटाखों को जलाने पर इन हानिकारक गैस में 40 से 50 फीसदी तक कमी हो जाती है. औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर )की संस्था निरी ने ऐसे पटाखों की खोज की है, जो पारंपारिक पटाखों जैसे ही होते हैं पर इनके जलने से कम प्रदूषण होता है. ताकि लोग दीपावली पर पटाखे भी जला सके और प्रदूषण भी कम हो.
सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने पटाखों से होने वाले प्रदूषण को रोकने तीन तरह के ग्रीन पटाखे बनाए हैं. एक जलने के साथ पानी पैदा करते हैं, जिससे सल्फर और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैस इन्हीं में घुल जाती है. जिसे सेव वाटर रिलीज कहा जाता है. वहीं दूसरे और तीसरे किस्म के फटाखे सामान्य से कम सल्फर और नाइट्रोजन गैस पैदा करते हैं.
पटाखा विक्रेता सचिन विश्वकर्मा भी मान रहे हैं कि ग्रीन पटाखों की डिजाइन आम पटाखों से थोड़ा अलग है और यह फटाखे बच्चों के लिहाज से काफी सुरक्षित भी हैं. वहीं पीसीबी के अधिकारियों की मानें तो बीते साल ग्रीन पटाखों का निर्माण कर लिया गया था लेकिन तादाद कम होने की वजह से यह फटाखे बाजारों में नहीं पहुंच सके थे पर इस बार दीपावली के मौके पर पहले से ही बाजारों में ग्रीन पटाखे मौजूद हैं.