जबलपुर। आपने अक्सर सुना होगा कि कलाकार रोजगार के लिए कोई दूसरा काम करता है, क्योंकि कलाकारी करने में पर्याप्त पैसा नहीं मिलता, लेकिन अब यह मिथक टूट गया है. अब कलाकार केवल शौक और जुनून के लिए कला नहीं कर रहे हैं, बल्कि पैसे कमाने के लिए भी कलाकारी कर रहे हैं. अब कला रोजगार का भी एक जरिया बन गई है, बल्कि इसमें अब कलाकार मोटा पैसा भी कमा रहे हैं.
मूर्तिकार का अनुभव: बनारस से जबलपुर आए राजेश कुमार मूर्तिकार ने दिल्ली से आए एक आर्ट क्रिटिक की हूबहू मूर्ति मात्र 2 घंटे में बना दी. इसके लिए राजेश कुमार ने पहले एक ढांचा तैयार किया और उसके बाद प्लास्टर ऑफ पेरिस की मदद से एक जाकर बनाया और इसके पहले की प्लास्टर ऑफ पेरिस मजबूत होता, उन्होंने इस आकार से आर्ट क्रिटिक की आकृति उभार दी. इस तरह किसी की शक्ल को हुबहू बनाना किसी भी कलाकार के लिए सालों की मेहनत के बाद संभव हो पता है. राजेश कुमार ने बनारस यूनिवर्सिटी से फाइन आर्ट में डिग्री ली है.
उसके बाद उन्होंने मूर्ति कला को अपने जीवन यापन का जरिया बनाया है. राजेश कुमार मिट्टी से मूर्तियां बनाते हैं, फिर इनके मोल्ड तैयार किए जाते हैं. इसके बाद इन मूल्यों को मेटल से भर के धातु की मूर्तियां बनाई जाती है. राजेश कुमार का कहना है कि कला की कोई कीमत नहीं होती, लेकिन जितनी बड़ी मूर्ति उन्होंने केवल प्रदर्शन के लिए बना दी. यदि उसका मूल्य निकल जाए तो वह कम से कम डेढ़ लाख रुपए में बनाई जाएगी.
पेंटर का अनुभव: यहीं पर हमारी मुलाकात संघपाल से हुई. संघपाल देहरादून से जबलपुर आए हुए थे. संघपाल ने भी फाइन आर्ट में पढ़ाई की है. इसके बाद भी देहरादून की एक निजी विश्वविद्यालय में छात्रों को फाइन आर्ट की शिक्षा देते हैं. संघपाल भी एक प्रोफेशनल आर्टिस्ट हैं. वे भी जबलपुर के आयोजन में शामिल होने के लिए आए थे. इस आयोजन स्थल में पेंटिंग कर रहे कलाकारों की ही पेंटिंग बना दी. उस पूरे माहौल को उन्होंने देखते हुए अपने कैनवास पर उतार दिया. इस काम को करने में संघपाल को 1 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा, लेकिन संघपाल का कहना है कि यदि वह अपनी इस कलाकृति को बाजार में बेचेंगे तो उन्हें इसके अच्छे दाम मिलेंगे.
आज के कलाकर को ज्यादा परेशानी नहीं: इसके पहले संघपाल अपनी कई कलाकृतियां लाखों रुपए में बेच चुके हैं. संघपाल ने बताया कि अब कई ऑनलाइन आर्ट गैलरी है. जो कलाकारों की कलाकृतियां बेचती हैं. इसलिए अब कला को बाजार तक पहुंचने में कलाकार के लिए बहुत मुश्किल समय नहीं है. जबलपुर में इत्यादि नाम की संस्था ने जलम नाम का एक कार्यक्रम किया था. इस कार्यक्रम में भारत के अलग-अलग इलाकों के अलग-अलग कला के माहिर कलाकार पहुंचे थे. इन सभी ने एक साथ अपनी कलाकृतियां बनाई और उनका प्रदर्शन किया. इत्यादि हर साल यह कला समागम करता है.
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आपने अक्सर सुना होगा कि कलाकृतियां बड़े महंगे दामों में खरीदी और बेची जाती हैं. आखिर इन कलाकृतियों का इतना अधिक मोल क्यों दिया जाता है. दरअसल कलाकृतियां के इमेज में दिया जाने वाला पैसा कलाकार का सम्मान होता है. आदमी मेहनत करके कुछ बना तो सकता है, लेकिन किसी भी सामान्य चीज को कला में बदलना केवल कलाकार ही कर सकता है. कुछ विलक्षण प्रतिभा के धनी कलाकार जन्मजात होते हैं और बहुत से कलाकार ऐसे हैं, जिनमें लंबे अनुभव के बाद पैदा होती है. जो कलाकार का सम्मान करे, इंटरनेट की इस दुनिया ने कलाकारों को ऑनलाइन बाजार मुहैया करवाया है.