जबलपुर। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजेश तिवारी की संदिग्ध परिस्थितयों में मौत हो गई. राजेश का शव भुवनेश्वर के एक होटल में मिला है. इस खबर के बाद खेल जगत में शोक की लहर है. राजेश एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के साथ ही जबलपुर पश्चिम मध्य रेलवे में वॉलीबॉल कोच के रुप में काम कर रहे थे. भुवनेश्वर में 5 मार्च से वालीबॉल सीनियर नेशनल कैंप चल रहा है. इस कैंप में शामिल होने के लिए राजेश वहां मौजूद थे. बैंगलुरु से वो सीधे ओडिशा पहुंचे थे.
भुवनेश्वर में हुई कोच की मौत
बताया जा रहा है कि करीब तीन दिन पहले वॉलीबॉल कोच राजेश तिवारी अपनी टीम को लेकर भुवनेश्वर गए थे. वहीं कल उनका शव होटल में संदिग्ध हालत में मिला. जानकारी के मुताबिक स्थानीय लोग राजेश तिवारी की मौत को आत्महत्या बता रहे हैं. पर सवाल ये भी उठता है कि आखिर अपनी टीम के साथ मध्यप्रदेश से भुवनेश्वर गए राजेश तिवारी वहां जाकर क्यों आत्महत्या करेंगे? सोमवार को दोपहर में टीम के खिलाड़ी जब लंच के लिए गए और वापस आए तो राजेश कमरे में बंद थे, उन्होने दरवाजा नहीं खोला. बाद में दरवाजे को दूसरी चाबी से खोला गया और उनका शव फंदे से लटका मिला. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम कराया और साथियों को सौंप दिया है.
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रेलवे में विधुत विभाग में पदस्थ थे राजेश
वॉलीबॉल में अपने खेल के जरिए पूरे भारत मे नाम कमाने वाले कोच राजेश तिवारी भोपाल रेल मंडल के विधुत विभाग में पदस्थ थे. वे वॉलीबॉल खेल के लिए पूरी तरह से समर्पित थे. उनके द्वारा सिखाए गए खिलाड़ी आज राष्ट्रीय टीम में शामिल हैं. 3 दिन पहले ही वह भुवनेश्वर पहुंचे थे. रेलवे ने की मौत की पुष्टि तो कर दी है लेकिन रेलवे को भी मौत का कारण नहीं पता है. हालांकि रेलवे के अधिकारी अभी यह बताने में सक्षम नहीं हैं कि किस वजह से उनकी मौत हुई. इधर वॉलीबॉल के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी की मौत के बाद से जहां खेल प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है तो वहीं उनके शव को मध्यप्रदेश लाया जा रहा है. फिलहाल पोस्टमार्टम के बाद ही मौत के सही कारणों का खुलासा हो सकेगा.
चैंपियन थे राजेश, रेलवे का किया था विश्व में नाम उंचा
राजेश तिवारी वर्ल्ड रेलवे की तरफ से भी खेल चुके हैं. उन्होने एक दो बार नहीं बल्कि तीन बार जापान और जकार्ता जाकर वॉलीबॉल मैच में हिस्सा लिया. वो तीन बार इंडियन रेलवे के कैप्टव के रुप में नेतृत्व भी कर चुके हैं. परिजन भी इस घटना से काफी स्तब्ध हैं. क्योंकि उनके भीतर का खिलाड़ी अभी भी जिंदा था और जिंदादिली के साथ वो हर मुकाबले में उतरते थे.