जबलपुर। कोविड-19 मरीजों के इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाने को लेकर दायर की गई याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है, साथ ही याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने दायर याचिका को प्रायोजित मानते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही जुर्माने की राशि सीएम रिलीफ फंड में जमा करने के निर्देश दिए हैं. फिलहाल इस पर विस्तृत आदेश का इंतजार किया जा रहा है.
भोपाल के समाजसेवी भुवनेश्वर मिश्रा की ओर से ये याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि, भोपाल में हमीदिया और एम्स जैसे सरकारी अस्पताल हैं. वहां पर इलाज की बेहतर सुविधाएं भी मौजूद हैं. इसके बाद भी चिरायु और बंसल अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के इरादे से कोविड अस्पताल घोषित करके करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा.
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया था. गुरुवार को सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार के वकील ने कहा कि, ये मामला दुर्भावना से प्रेरित है. दोनों ही अस्पतालों का चुनाव केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही किया गया है. इसके साथ ही आकड़ों का हवाला देते कहा गया कि, दूसरे राज्यों में गंभीर मरीजों के लिए निजी अस्पतालों को प्रति बिस्तर 18 हजार का भुगतान किया जा रहा. जबकि इन दोनों अस्पतालों को मात्र 45 सौ रुपए दिए जा रहे हैं. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मामले में कड़ा रुख अपनाकर याचिका खारिज कर दी. सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव और उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष रखा.