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दो दिन में लाखों का इलाज, युवक की मौत के बाद शव देने से अस्पताल का इनकार

जबलपुर शहर में कोरोना वायरस की वजह से कम उम्र वाले लोगों की भी मौत हो रही है. महंगे इलाज के बाद भी दो दिन में 35 वर्षीय युवक की जान चली गई, जिसके बाद परिजनों ने हंगामा मचा दिया.

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35 वर्षीय युवक की मौत
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Published : Apr 20, 2021, 7:10 AM IST

जबलपुर। सेंट्रल किडनी अस्पताल में एक दिन का इलाज का खर्चा एक लाख रुपये है. इतने महंगे इलाज के बाद भी दो दिन में 35 वर्षीय युवक की जान चली गई, जिसके बाद मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा कर दिया.

परिजनों ने मचाया हंगामा

शहर में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बहुत खतरनाक है. शुरुआत में 70 उम्र के आसपास वाले लोगों की ज्यादातर मौतें हो रही थी. बाकी लोग ठीक हो रहे थे, लेकिन अब कम उम्र वाले भी इस बीमारी का शिकार हो रहे है.

सेंट्रल किडनी अस्पताल में एक 35 साल के युवा को दो दिन पहले भर्ती किया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई. परिजनों का कहना है कि युवक के मृत्यु के बाद अस्पताल ने दो दिन का दो लाख 10 हजार लाख रुपये का बिल थमा दिया था. मौके पर पहुंचे तहसीलदार ने 10000 रुपये देने की बात कही, लेकिन इतने पैसे में भी अस्पताल मरीज का शव देने को तैयार नहीं था. इसके बाद परिजनों ने हंगामा मचा दिया. इसके बावजूद भी अस्पताल प्रबंधन नहीं माना. आखिर में परिजनों को एक लाख 10 हजार देने पड़े, जिसके बाद शव उन्हें सौंपा गया.

35 वर्षीय युवक की मौत

तड़प तड़पकर निकल गई बुजुर्ग की जान: ऑक्सीजन पाइप लगाना भूला अस्पताल

इस मामले में मृतक के परिजनों ने खुद रेमडेसिविर इंजेक्शन लाकर अस्पताल प्रबंधन को दिया था, जबकि यह जिम्मेदारी अस्पताल की थी. इसके बाद भी ज्यादा पैसा लेना और मरीज की जान न बचा पाना, परिजनों को परेशान कर रहा है.

जबलपुर। सेंट्रल किडनी अस्पताल में एक दिन का इलाज का खर्चा एक लाख रुपये है. इतने महंगे इलाज के बाद भी दो दिन में 35 वर्षीय युवक की जान चली गई, जिसके बाद मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा कर दिया.

परिजनों ने मचाया हंगामा

शहर में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बहुत खतरनाक है. शुरुआत में 70 उम्र के आसपास वाले लोगों की ज्यादातर मौतें हो रही थी. बाकी लोग ठीक हो रहे थे, लेकिन अब कम उम्र वाले भी इस बीमारी का शिकार हो रहे है.

सेंट्रल किडनी अस्पताल में एक 35 साल के युवा को दो दिन पहले भर्ती किया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई. परिजनों का कहना है कि युवक के मृत्यु के बाद अस्पताल ने दो दिन का दो लाख 10 हजार लाख रुपये का बिल थमा दिया था. मौके पर पहुंचे तहसीलदार ने 10000 रुपये देने की बात कही, लेकिन इतने पैसे में भी अस्पताल मरीज का शव देने को तैयार नहीं था. इसके बाद परिजनों ने हंगामा मचा दिया. इसके बावजूद भी अस्पताल प्रबंधन नहीं माना. आखिर में परिजनों को एक लाख 10 हजार देने पड़े, जिसके बाद शव उन्हें सौंपा गया.

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इस मामले में मृतक के परिजनों ने खुद रेमडेसिविर इंजेक्शन लाकर अस्पताल प्रबंधन को दिया था, जबकि यह जिम्मेदारी अस्पताल की थी. इसके बाद भी ज्यादा पैसा लेना और मरीज की जान न बचा पाना, परिजनों को परेशान कर रहा है.

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