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MP मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी अंक घोटाले की जांच के लिए बनी कमेटी - MP medical science university marks scam

एमपी मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में अंक घोटाले की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस के के त्रिवेदी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गयी है. कमेटी में डीईजी साईबर क्राइम भोपाल योगेश देशमुख,राजीव गांधी प्रौधौगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील कुमार गुप्ता,एमपीएसआईडीसी के बी त्रिपाठी और इंजीनियर प्रियांश सोनी को सदस्य बनाया गया है.

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MP मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी अंक घोटाले की जांच के लिए बनी कमेटी
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Published : Oct 25, 2021, 8:31 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुए अंक घोटाले आर्थिक अनियमिकताओं की निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस के. के. त्रिवेदी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गयी है. कमेटी एक महीने में जांच पूरी करेगी. सरकार ने ये जानकारी हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मथिमल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष पेश की गयी. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई नवम्बर के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की है.

अंक घोटाले की जांच के लिए बनी कमेटी

मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुई अंक घोटाले,आर्थिक अनियमिकताओं और भ्रष्टाचार को चुनौती देते हुए तीन जनहित याचिकाएं दायर की गयी थी. मेडिकल विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा हटाने जाने के खिलाफ तीन अधिकारियों और निलंबित किये जाने के खिलाफ माइंड लॉजिक कंपनी ने याचिका दायर की थी. इसके अलावा तत्कालीन प्रभावी कुलसचिव के खिलाफ राज्य सरकार की तरफ से याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि सरकार के आदेश में तत्कारी प्रभारी कुलसचित डॉ जे के गुप्ता ने जांच की थी. जांच में पाया गया था कि परीक्षा के आयोजन तथा मार्कशीट तैयार करने वाली ठेका कंपनी माइंट लॉजिट इंफ्रो ने परीक्षार्थियों के नम्बर में फेरबदल किया है. इसके अलावा छात्रों का डेटा एमयू की ऑफिशियल साइट नहीं, बल्कि निजी साइट में तैयार किया गया था. जांच के बाद कंपनी को निलंबित कर दिया गया है.

सरकारी कमेटी की जांच को निरस्त किया

पूरी जांच में डॉ बृंदा सक्सेना की भूमिका संदिग्ध है. इसके बावजूद भी वह परीक्षा नियंत्रक के पद पर बनी हुई हैं. जिस कंपनी को निलंबित किया गया था,उसने पहले आगरा मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम किया गया. फर्जी मार्कशीट सहित अन्य अनियमिकताओं के खिलाफ आगरा मेडिकल यूनिवर्सिटी ने उनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवाई थी. जांच में दोषी पाये जाने के बावजूद भी ठेका कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी है.

5 सदस्यीय कमेटी करेगी जांच

याचिका पर हुई पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव की तरफ से जानकारी पेश की गयी कि जांच के लिए अतिरिक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय कमेटी गठित की गयी है. युगलपीठ ने सरकार की कमेटी को आमान्य करते हुए निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के निर्देश जारी किये थे. युगलपीठ कमेटी में डीआईजी स्तर के एक अधिकारी, कम्प्यूटर और साइबर विशेषज्ञ को सदस्य बनाने के निर्देश जारी किये थे.

1 महीने में जांच होगी पूरी

याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस के के त्रिवेदी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गयी है. कमेटी में डीईजी साईबर क्राइम भोपाल योगेश देशमुख,राजीव गांधी प्रौधौगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील कुमार गुप्ता,एमपीएसआईडीसी के बी त्रिपाठी और इंजीनियर प्रियांश सोनी को सदस्य बनाया गया है.

जबलपुर। मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुए अंक घोटाले आर्थिक अनियमिकताओं की निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस के. के. त्रिवेदी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गयी है. कमेटी एक महीने में जांच पूरी करेगी. सरकार ने ये जानकारी हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मथिमल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष पेश की गयी. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई नवम्बर के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की है.

अंक घोटाले की जांच के लिए बनी कमेटी

मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुई अंक घोटाले,आर्थिक अनियमिकताओं और भ्रष्टाचार को चुनौती देते हुए तीन जनहित याचिकाएं दायर की गयी थी. मेडिकल विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा हटाने जाने के खिलाफ तीन अधिकारियों और निलंबित किये जाने के खिलाफ माइंड लॉजिक कंपनी ने याचिका दायर की थी. इसके अलावा तत्कालीन प्रभावी कुलसचिव के खिलाफ राज्य सरकार की तरफ से याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि सरकार के आदेश में तत्कारी प्रभारी कुलसचित डॉ जे के गुप्ता ने जांच की थी. जांच में पाया गया था कि परीक्षा के आयोजन तथा मार्कशीट तैयार करने वाली ठेका कंपनी माइंट लॉजिट इंफ्रो ने परीक्षार्थियों के नम्बर में फेरबदल किया है. इसके अलावा छात्रों का डेटा एमयू की ऑफिशियल साइट नहीं, बल्कि निजी साइट में तैयार किया गया था. जांच के बाद कंपनी को निलंबित कर दिया गया है.

सरकारी कमेटी की जांच को निरस्त किया

पूरी जांच में डॉ बृंदा सक्सेना की भूमिका संदिग्ध है. इसके बावजूद भी वह परीक्षा नियंत्रक के पद पर बनी हुई हैं. जिस कंपनी को निलंबित किया गया था,उसने पहले आगरा मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम किया गया. फर्जी मार्कशीट सहित अन्य अनियमिकताओं के खिलाफ आगरा मेडिकल यूनिवर्सिटी ने उनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवाई थी. जांच में दोषी पाये जाने के बावजूद भी ठेका कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी है.

5 सदस्यीय कमेटी करेगी जांच

याचिका पर हुई पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव की तरफ से जानकारी पेश की गयी कि जांच के लिए अतिरिक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय कमेटी गठित की गयी है. युगलपीठ ने सरकार की कमेटी को आमान्य करते हुए निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के निर्देश जारी किये थे. युगलपीठ कमेटी में डीआईजी स्तर के एक अधिकारी, कम्प्यूटर और साइबर विशेषज्ञ को सदस्य बनाने के निर्देश जारी किये थे.

1 महीने में जांच होगी पूरी

याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस के के त्रिवेदी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गयी है. कमेटी में डीईजी साईबर क्राइम भोपाल योगेश देशमुख,राजीव गांधी प्रौधौगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील कुमार गुप्ता,एमपीएसआईडीसी के बी त्रिपाठी और इंजीनियर प्रियांश सोनी को सदस्य बनाया गया है.

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