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जबलपुर मेडिकल कॉलेज को देहदान के जरिए मिली 14 बॉडी, कलेक्टर ने देहदाताओं का किया सम्मान

जबलपुर मेडिकल कॉलेज को इस साल देहदान के जरिए 14 बॉडी मिली हैं. मानव संरचना को बेहतर ढंग से जानने के लिए मृत देह की आवश्यकता होती है, जिसके जरिये स्टूडेंट्स मानव संरचना की स्टडी करते हैं और प्रैक्टिकल के जरिये शरीर विज्ञान का अध्ययन करते हैं.

body  donation  in jabalpur
जबलपुर मेडिकल कॉलेज को मिला देहदान
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Published : Apr 19, 2023, 4:12 PM IST

जबलपुर मेडिकल कॉलेज को देहदान के जरिए बॉडी मिली

जबलपुर। जबलपुर मेडिकल कॉलेज को इस साल अब तक देहदान के जरिए 14 बॉडी मिली हैं. देहदान करने वाले 16 महिला और पुरुषों को जबलपुर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने सम्मानित किया है. देहदान कर्ताओं ने कहा कि "हमारी आंखों से पूरी दुनिया देखें, ह्रदय बनकर धड़के." बता दें कि शरीर विज्ञान को समझने के लिए चिकित्सकों को मानव देह की बहुत आवश्यकता होती है. नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भावी डॉक्टरों को अब इसकी कमी नहीं है. देहदान का संकल्प लेने वाले 14 लोगों की देह चिकित्सा छात्रों को मिली है.

मानवता के लिए कम से कम इतना तो किया जा सकता है: जबलपुर के डॉ. बृजमोहन अग्रवाल का मृत शरीर उनके परिवार ने मेडिकल कालेज को दान कर दिया है. परिवार के लोगों का कहना है कि "मृत्यु के पहले ही उनके पिता ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था." डॉक्टर बृजमोहन अग्रवाल की आंखें जबलपुर के एक निजी नेत्र चिकित्सालय को दे दी गई हैं. इन्हें किसी पात्र व्यक्ति को ट्रांसप्लांट की जाएंगी. जबलपुर कलेक्टर ने देहदान करने वालों को सम्मानित करते हुए प्रशस्ति प्रमाण पत्र दिया. इस अवसर पर देहदान करने वाली विशाखा तिवारी ने कहा कि "हमारी मृत्यु के बाद यदि कोई हमारी आंखों से दुनिया देखे, तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है. मानवता के लिए कम से कम इतना तो किया जा सकता है.' प्रतिष्ठा द्विवेदी ने कहा "उन्होंने मृत्यु के बाद देहदान और अंगदान के लिए संकल्प पत्र भरा, ताकि समाज और देश के काम आ सकें." सेवानिवृत्त प्रोफेशर डॉ. गुलशन राय चक्रवर्ती कहते हैं कि "हमारे कारण किसी को जीवन मिल सके. किसी का हृदय बनकर धड़कें. इससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है."

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जिला प्रशासन को मिला अंगदान का संकल्प पत्र: ऐसी सोच रखने वाले लोगों की संख्या शहर में बढ़ती जा रही है. विशाखा तिवारी, डॉ. चक्रवती और प्रतिष्ठा द्विवेदी की तरह देहदान और अंगदान का संकल्प करने के लिए जबलपुर में ऐसे 478 महिला पुरुष हैं, जिन्होंने जिला प्रशासन को संकल्प पत्र दिया है. मृत्यु के बाद काया की कीमत नहीं रहती, लेकिन यह मानव जाति के किसी काम आ सके तो यह सबसे बड़ा पुण्य का काम है. यह भावी चिकित्सकों के लिए शरीर विज्ञान के अध्ययन के काम भी आता है, कई बार इसकी कमी रहती है. जिले में देहदान और अंगदान का संकल्प पत्र भरने वालों का रिकॉर्ड भी बन गया है.

जबलपुर मेडिकल कॉलेज को देहदान के जरिए बॉडी मिली

जबलपुर। जबलपुर मेडिकल कॉलेज को इस साल अब तक देहदान के जरिए 14 बॉडी मिली हैं. देहदान करने वाले 16 महिला और पुरुषों को जबलपुर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने सम्मानित किया है. देहदान कर्ताओं ने कहा कि "हमारी आंखों से पूरी दुनिया देखें, ह्रदय बनकर धड़के." बता दें कि शरीर विज्ञान को समझने के लिए चिकित्सकों को मानव देह की बहुत आवश्यकता होती है. नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भावी डॉक्टरों को अब इसकी कमी नहीं है. देहदान का संकल्प लेने वाले 14 लोगों की देह चिकित्सा छात्रों को मिली है.

मानवता के लिए कम से कम इतना तो किया जा सकता है: जबलपुर के डॉ. बृजमोहन अग्रवाल का मृत शरीर उनके परिवार ने मेडिकल कालेज को दान कर दिया है. परिवार के लोगों का कहना है कि "मृत्यु के पहले ही उनके पिता ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था." डॉक्टर बृजमोहन अग्रवाल की आंखें जबलपुर के एक निजी नेत्र चिकित्सालय को दे दी गई हैं. इन्हें किसी पात्र व्यक्ति को ट्रांसप्लांट की जाएंगी. जबलपुर कलेक्टर ने देहदान करने वालों को सम्मानित करते हुए प्रशस्ति प्रमाण पत्र दिया. इस अवसर पर देहदान करने वाली विशाखा तिवारी ने कहा कि "हमारी मृत्यु के बाद यदि कोई हमारी आंखों से दुनिया देखे, तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है. मानवता के लिए कम से कम इतना तो किया जा सकता है.' प्रतिष्ठा द्विवेदी ने कहा "उन्होंने मृत्यु के बाद देहदान और अंगदान के लिए संकल्प पत्र भरा, ताकि समाज और देश के काम आ सकें." सेवानिवृत्त प्रोफेशर डॉ. गुलशन राय चक्रवर्ती कहते हैं कि "हमारे कारण किसी को जीवन मिल सके. किसी का हृदय बनकर धड़कें. इससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है."

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