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एक हाथ में केसरिया ध्वज दूसरे में रामलला की मूर्ति लेकर 800 किमी पदयात्रा, आखिर कौन है अनोखा रामभक्त

Ayodhya temple Unique Ram bhakt : एक हाथ केसरिया ध्वज, दूसरे हाथ में रामलला की मूर्ति. इस प्रकार नागपुर से अयोध्या तक 800 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकला एक अनोखा रामभक्त. कौन है ये रामभक्त ,क्या है उनके मन में. जबलपुर पहुंचे इस राभक्त से ETV भारत ने खास बातचीत की.

Ayodhya Ram temple Unique Ram bhakt
रामलला की मूर्ति लेकर 800 किमी पदयात्रा.. अनोखा रामभक्त
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 13, 2024, 1:41 PM IST

रामलला की मूर्ति लेकर 800 किमी पदयात्रा.. अनोखा रामभक्त

जबलपुर। इस समय पूरा देश रामलला की भक्ति में लीन है. हर भक्त चाहता है कि वह भगवान श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल हो और उस पल का साक्षी बने, जब भगवान श्री राम अयोध्या में भव्य राम मंदिर में विराजमान हों. जिसके लिए देश-विदेश से लेकर तमाम शहर और कस्बों से राम भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं. लेकिन कुछ भक्त ऐसे भी हैं, जो रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए अपने तरीके से अयोध्या की यात्रा कर रहे हैं. इस बीच एक भक्त ऐसा भी है, जो एक हाथ में केसरिया ध्वज और दूसरे हाथ में प्रभु राम लक्ष्मण सीता और हनुमानजी की मूर्ति लेकर करीब 850 किलोमीटर की पदयात्रा कर नागपुर से अयोध्या जा रहा है.

Ayodhya Ram temple Unique Ram bhakt
एक हाथ केसरिया ध्वज, दूसरे हाथ में रामलला की मूर्ति

होटल में काम करते हैं राजू : यह राम भक्त 1992 में भी अयोध्या पहुंचा था. जहां उस वक्त उसे करीब 10 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था. यs 55 वर्षीय राम भक्त हैं धनंजय उर्फ राजू पाटमासे. जो मूलतः जबलपुर के मदन महल गुप्तेश्वर के रहने वाले हैं. कुछ साल पहले राजू नागपुर महाराष्ट्र चले गए. जहां राजू पटमासे अपनी पत्नी प्रांजु एवं 14 वर्षीय बेटी अक्षरा के साथ रहते हैं. वर्तमान में एक होटल में काम करते हैं. राजू सनातन धर्म को मानने वाले हैं. इसलिए राजू का भगवान राम के प्रति बड़ा लगाव है. 1990 के दौर में राजू राम मंदिर जन्म भूमि आंदोलन से जुड़ गए थे. कल्याण सिंह की सरकार के समय में उन्हें जबलपुर से करीब 10 लोगो को कारसेवक के रूप में अयोध्या जाने का मौक़ा मिला था.

Ayodhya Ram temple Unique Ram bhakt
800 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकला एक अनोखा रामभक्त

मंदिर आंदोलन के दौरान जेल में रहे : राजू बताते हैं कि वह दो बार अयोध्या गए. पहली बार सन 1990 में और दूसरी बार 1992 में, जब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी. उस दौरान दौरान उन्हें गिरफ्तार कर करीब 10 दिन तक यूपी के बांदा जिले की जेल में रखा गया था. वहां से रिहा हुए तो दो दिन तक उन्हें नरैनी स्थित स्कूल में बनाई गई अस्थाई जेल में रखा गया. जहां करीब 12 दिन के बाद उन्हें रिहा किया गया. राजू कहते हैं कि अगर उन्हें प्रभु राम के लिए पूरी उम्र भी जेल में रहना पड़े तो वह रहेंगे. राजू कहते है इस समय पूरा देश राममय है और हर राम भक्त प्रभु की भक्ति में लीन है.

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सपना साकार हुआ : रामभक्त राजू ने बताया कि हम उस वक्त पल और क्षण के साक्षी बनना चाहते हैं, जब भगवान श्री राम भव्य मंदिर में विराजमान होंगे. इसलिए राजू नागपुर से 800 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अयोध्या जा रहे हैं. राजू के एक हाथ में राम दरबार तो दूसरे हाथ में भगवा ध्वज है. वह प्रतिदिन 40 किलोमीटर की पदयात्रा कर रहे हैं. यह रामभक्त श्री राम के जयघोष करते हुए जहां से निकलता है, लोग भी जयकारे लगाने लगते हैं. राजू कहते है कि अयोध्या में रामलला की प्राण- प्रतिष्ठा होने जा रही है. उनका सपना अब साकार हो रहा है.

रामलला की मूर्ति लेकर 800 किमी पदयात्रा.. अनोखा रामभक्त

जबलपुर। इस समय पूरा देश रामलला की भक्ति में लीन है. हर भक्त चाहता है कि वह भगवान श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल हो और उस पल का साक्षी बने, जब भगवान श्री राम अयोध्या में भव्य राम मंदिर में विराजमान हों. जिसके लिए देश-विदेश से लेकर तमाम शहर और कस्बों से राम भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं. लेकिन कुछ भक्त ऐसे भी हैं, जो रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए अपने तरीके से अयोध्या की यात्रा कर रहे हैं. इस बीच एक भक्त ऐसा भी है, जो एक हाथ में केसरिया ध्वज और दूसरे हाथ में प्रभु राम लक्ष्मण सीता और हनुमानजी की मूर्ति लेकर करीब 850 किलोमीटर की पदयात्रा कर नागपुर से अयोध्या जा रहा है.

Ayodhya Ram temple Unique Ram bhakt
एक हाथ केसरिया ध्वज, दूसरे हाथ में रामलला की मूर्ति

होटल में काम करते हैं राजू : यह राम भक्त 1992 में भी अयोध्या पहुंचा था. जहां उस वक्त उसे करीब 10 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था. यs 55 वर्षीय राम भक्त हैं धनंजय उर्फ राजू पाटमासे. जो मूलतः जबलपुर के मदन महल गुप्तेश्वर के रहने वाले हैं. कुछ साल पहले राजू नागपुर महाराष्ट्र चले गए. जहां राजू पटमासे अपनी पत्नी प्रांजु एवं 14 वर्षीय बेटी अक्षरा के साथ रहते हैं. वर्तमान में एक होटल में काम करते हैं. राजू सनातन धर्म को मानने वाले हैं. इसलिए राजू का भगवान राम के प्रति बड़ा लगाव है. 1990 के दौर में राजू राम मंदिर जन्म भूमि आंदोलन से जुड़ गए थे. कल्याण सिंह की सरकार के समय में उन्हें जबलपुर से करीब 10 लोगो को कारसेवक के रूप में अयोध्या जाने का मौक़ा मिला था.

Ayodhya Ram temple Unique Ram bhakt
800 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकला एक अनोखा रामभक्त

मंदिर आंदोलन के दौरान जेल में रहे : राजू बताते हैं कि वह दो बार अयोध्या गए. पहली बार सन 1990 में और दूसरी बार 1992 में, जब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी. उस दौरान दौरान उन्हें गिरफ्तार कर करीब 10 दिन तक यूपी के बांदा जिले की जेल में रखा गया था. वहां से रिहा हुए तो दो दिन तक उन्हें नरैनी स्थित स्कूल में बनाई गई अस्थाई जेल में रखा गया. जहां करीब 12 दिन के बाद उन्हें रिहा किया गया. राजू कहते हैं कि अगर उन्हें प्रभु राम के लिए पूरी उम्र भी जेल में रहना पड़े तो वह रहेंगे. राजू कहते है इस समय पूरा देश राममय है और हर राम भक्त प्रभु की भक्ति में लीन है.

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सपना साकार हुआ : रामभक्त राजू ने बताया कि हम उस वक्त पल और क्षण के साक्षी बनना चाहते हैं, जब भगवान श्री राम भव्य मंदिर में विराजमान होंगे. इसलिए राजू नागपुर से 800 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अयोध्या जा रहे हैं. राजू के एक हाथ में राम दरबार तो दूसरे हाथ में भगवा ध्वज है. वह प्रतिदिन 40 किलोमीटर की पदयात्रा कर रहे हैं. यह रामभक्त श्री राम के जयघोष करते हुए जहां से निकलता है, लोग भी जयकारे लगाने लगते हैं. राजू कहते है कि अयोध्या में रामलला की प्राण- प्रतिष्ठा होने जा रही है. उनका सपना अब साकार हो रहा है.

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