जबलपुर। मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में NRI(अनिवासी भारतीय) कोटे के लिए आरक्षित सीटों पर प्रदेश के छात्रों को एडमिशन देने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई है. कोर्ट ने अब इन सीटों पर सामान्य वर्ग के छात्रों को एडमिशन देने की अनुमति दे दी है. इस मामले में कॉलेज की ओर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी.
इस मामले में हाई कोर्ट में चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने पेश होकर जवाब दिया. दरअसल मध्य प्रदेश में मेडिकल कॉलेज के पोस्ट ग्रेजुएशन कि लगभग 35 सीटें NRI कोटे के लिए रिजर्व रहती है. इन सीटों पर केवल NRI छात्रों ही एडमिशन ले सकते थे. लेकिन सरकार ने इन सीटों पर सामान्य वर्ग के छात्रों को ऐडमिशन देना शुरू कर दिया. सरकार के इस फैसले के खिलाफ मेडिकल कॉलेज की ओर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी.
याचिका पर बीते दिनों सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को कोर्ट में खुद उपस्थित होकर जवाब देने का आदेश दिया था. इसी वजह से आज शिव शेखर शुक्ला कोर्ट पहुंचे और उन्होंने कोर्ट के सामने दलील दी. दरअसल एनआरआई छात्रों के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है और निजी मेडिकल कॉलेजेस फर्जी एनआरआई बनाकर ज्यादा फीस वसूलने के चक्कर में इन सीटों को एनआरआई के लिए रिजर्व रखना चाहते हैं. सरकार के जवाब से कोर्ट संतुष्ट हुआ और कोर्ट ने इन सीटों पर सामान्य वर्ग के छात्रों को एडमिशन देने की अनुमति दे दी है.