जबलपुर। छतरपुर के बक्सवाहा के जंगल में मिली सदियों पुरानी रॉक पेंटिंग्स पाषाण युग की है, यह दावा एएसआई यानी की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने किया है. हीरा खनन के लिए बक्सवाहा के जंगलों को काटने के विरोध के बीच आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की इन पेंटिंग की जानकारी सार्वजनिक की है.
25 हजार साल से ज्यादा पुरानी है पेंटिंग्स
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(ASI) ने पूरे इलाके में अपनी खोज पूरी कर ली है. ASI को बक्सावाहा में तीन बड़ी रॉक पेंटिंग्स मिली है. जिसकी जानकारी ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने सार्वजनिक की है. अपनी रिपोर्ट में ASI ने बताया कि ये पेंटिंग्स पाषाण युग की है और लगभग 25 हजार साल से ज्यादा पुरानी है. पुरातत्व विभाग की टीम को मौके पर कलचुरी कालीन मूर्तियां और ऐतिहासिक महत्व की दूसरी मूर्तियां भी मिली है. इसकी जानकारी ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने ASI के मध्य प्रदेश सर्कल को दी है.
NGT में लगाई गई है याचिका
इस मामले को लेकर जबलपुर की सामाजिक संस्था ने NGT में याचिका लगाकर हीरा खनन की अनुमति रद्द करने की मांग की थी. इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद याचिकाकर्ताओं के दावों पर मुहर लग गई है. याचिकाकर्ता ने बताया कि समाचार पत्रों में छपी खबरें ही उनके पास एक सबूत थी, लेकिन ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के बाद अब वे अपने दावों को पुख्ता सबूत के साथ NGT के सामने रख पाएंगे.
2 लाख से ज्यादा पेड़ों की होगी कटाई
बक्सवाहा में हीरा खनन की अनुमति को रद्द करने की मांग करने वालों के लिए रॉक पेंटिंग ही एकमात्र कारण नहीं है. बल्कि हीरा खनन से पहले बक्सवाहा के जंगलों में 2 लाख से ज्यादा पेड़ काटने होंगे. इसलिए भी हीरा खनन के इस मेगा प्रोजेक्ट का विरोध किया जा रहा है.