इंदौर। कोरोना की दूसरी लहर के बाद जहां अब बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन की तैयारी है. वहीं वैक्सीनेशन के टाइम को लेकर लोगों में तरह तरही का भ्रांतियां सामने आ रही है. हालांकि वैक्सीनेशन से जुड़े डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि दूसरा डोज देरी से लेने पर भी वैक्सीन एबिलिटी को लेकर उतना ही असर दिखा रही है.
लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां
दरअसल मार्च में जब वैक्सीन की शुरुआत हुई थी तो फ्रंचलाइन वर्कर को पहले और दूसरे डोज के बीच का अंतर 28 दिन रखा गया था. कुछ समय के बाद भारत सरकार ने वैक्सीनेशन के दोनों डोज के बीच में 4 से 5 हफ्तों का समय तय कर दिया. अब सरकार ने दूसरे डोज के लिए 12 से 16 हफ्तों के बीच का समय तय कर दिया है. ऐसे में लोगों में तरह तरह की भ्रांतियां सामने आ रही है. लोगों का कहना है कि सरकार के पास वैक्सीन की कमी है इसलिए समय बढ़ाया जा रहा है.
एक ही वैक्सीन के दोनों डोज लगवाएं
वैक्सीनेशन से जुड़ें डॉक्टर्स का कहना है कि वैक्सिंग के दोनों डोज अलग-अलग प्रक्रिया और मृत वायरस से तैयार हुए हैं. इसलिए दोनों डोज में एक ही वैक्सीन के टीके लगवाएं. डॉक्टरों के मुताबिक फिलहाल ऐसे कोई भी शोध नहीं आए हैं कि दोनों अलग-अलग वैक्सीन से किसी तरह का नुकसान है लेकिन निर्धारित प्रोटोकॉल और प्रक्रिया के तहत दोनों डोज एक ही वैक्सिंग के लगना चाहिए.
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इंदौर में 28 लाख लोगों को लगेगी वैक्सीन
इंदौर में फिलहाल 1,40,000 वैक्सीन के डोज मौजूद हैं. हालांकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निर्देशों के तहत अब प्रतिदिन 54,000 वैक्सीन लोगों को लगाई जाएगी. फिलहाल इंदौर में वैक्सीनेशन की प्रतिदिन की संख्या 41,000 है. जिला टीकाकरण कार्यालय के मुताबिक अब तक 11 लाख 45 हजार लोग टीका लगवा चुके हैं. जबकि शेष लोगों को टीका लगाने के लिए टीकाकरण केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा रही है. इसके अलावा सभी लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है.