इंदौर। देश के नगरीय निकायों में चुने जाने वाले महापौर के कार्यकाल को ''एक विधान एक संविधान'' के तहत एक जैसा करने की मांग अब महापौर परिषद द्वारा की जा रही है. इंदौर में आयोजित U20 समारोह में जुटे देश के विभिन्न हिस्सों से आए करीब एक दर्जन महापौर ने महापौर के कार्यकाल को सभी राज्यों एवं शहरों में एक जैसा करने की मांग की. इसके अलावा महापौर परिषद की अध्यक्ष और बुरहानपुर महापौर माधुरी पटेल ने बताया कि ''देशभर के महापौर की तरफ से इस आशय का एक प्रस्ताव महापौर परिषद द्वारा जल्द ही पारित करके केंद्र शासन को भेजा जाएगा.''
बेंगलुरु में महापौर का कार्यकाल 1 वर्ष: गौरतलब है देश के नगरीय निकाय में महापौर के चुनाव की विधि और कार्यकाल अलग-अलग है. बेंगलुरु में महापौर का कार्यकाल 1 वर्ष का है जबकि मुंबई में ढाई साल. इसी प्रकार मध्यप्रदेश में महापौर का कार्यकाल 5 वर्ष है जिसे जनता सीधे चुनाव के द्वारा चुनती है. वहीं, कुछ स्थानों पर अभी भी नगर निगमों में अप्रत्यक्ष रूप से महापौर चुनने की भी व्यवस्था है. इसके अलावा सीधे जनता द्वारा चुने गए महापौर को परिषद द्वारा चुने गए महापौर से अधिकारों में भी भिन्नता है.
नगरी प्रशासन मंत्रालय को भेजा जाएगा प्रस्ताव: कई बार नगर निगम और नगर पालिका में आयुक्त एवं महापौर के अधिकारों को लेकर भी विरोधाभासी स्थिति भी बनती है. यही वजह है कि अब महापौर परिषद देश के सभी महापौर का कार्यकाल और उनके अधिकारों को लेकर मैदान में हैं. बताया जा रहा है कि जल्द ही इस आशय का प्रस्ताव तैयार करके केंद्र शासन एवं भारत सरकार के नगरी प्रशासन मंत्रालय को भेजा जाएगा. जिसकी रूपरेखा मध्यप्रदेश में ही बन रही है. गौरतलब है पूर्व में महापौर के अधिकारों को लेकर कोई संगठन अथवा व्यवस्था नहीं थी. हालांकि अब महापौर अखिल भारती महापौर परिषद के गठन के बाद अपने अधिकारों के लिए भी सक्रिय हैं.