इंदौर। पलासिया पुलिस ने निगम अधिकारी हरभजन सिंह की शिकायत पर भोपाल की कुछ महिलाओं को ब्लैक मेलिंग के मामले में गिरफ्तार किया था. इसके बाद इस मामले में एक के बाद एक कई गिरफ्तारियां हुईं. मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण इस मामले की जांच एसआईटी को दी गई थी. लेकिन एसआईटी के कई सदस्यों का आना जाना लगा रहा. इसी कड़ी में एक बार फिर एसआईटी में दो अन्य सदस्यों को शामिल किया गया है. वहीं इंदौर की पूर्व डीआईजी रुचि वर्धन मिश्र को एसआईटी में शामिल किया गया है.
SIT में दो सदस्यों की नियुक्ति
भोपाल से एसआईटी के 2 सदस्यों की नियुक्ति की गई है. जिसमें इंदौर कि पूर्व डीआईजी रही रुचि वर्धन मिश्रा को भी शामिल किया गया है. वहीं एक अन्य अधिकारी को भी इस एसआईटी की टीम में सदस्य बनाया गया है.माना जा रहा है कि साल भर से ठंडी पड़ी हनी ट्रेप मामले की जांच में अब आने वाले समय में तेजी आ सकती है. इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है वहीं इस पूरे मामले में इंदौर की जिला कोर्ट व हाईकोर्ट में भी सुनवाई चल रही है, जहां इंदौर की जिला कोर्ट में पिछले दिनों एसआईटी से कई जानकारियां मांगी थी. जिसके बाद एसआईटी ने भी कोर्ट के सामने कई सबूत पेश किया है.अब इस मामले में आने वाले दिनों में आरोपी पक्ष के वकील एसआईटी द्वारा जो जवाब पेश किए गए हैं. उन्हें पढ़कर आवेदन तैयार कर एक बार फिर इस पूरे मामले में बहस हो सकती.
हरभजन सिंह के खिलाफ दर्ज करवाया था मामला
बता दें साल भर पहले इंदौर के निगम अधिकारी हरभजन सिंह ने पलासिया थाने पर भोपाल की कुछ महिलाओं के खिलाफ ब्लैकमलिंग सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज करवाया था. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 5 महिलाओं और एक ड्राइवर को गिरफ्तार किया था. इनमें से ज्यादातर महिला भोपाल की रहने वाली थीं. जो निगम अधिकारी हरभजन सिंह को अश्लील वीडियो के आधार पर लगातार ब्लैकमेल कर रही थीं.
5 महिला औऱ एक ड्राइवर को किया गया था गिरफ्तार
इसके बाद पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए, हरभजन सिंह गिरफ्तार कर लिया था. मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था, लेकिन उसी में लगातार फेरबदल किया जा रहा था. एक बार फिर एसआईटी की टीम में फेरबदल हुआ है. मंगलवार को इस मामले में एक आदेश भी निकला है. पलासिया पुलिस ने निगम अधिकारी हरभजन सिंह की शिकायत पर भोपाल की 5 महिला व एक ड्राइवर को गिरफ्तार किया था. उसके बाद लगातार इस पूरे मामले में कई हाईप्रोफाइल कड़ियां जुड़ती गई. उसको देखते हुए प्रदेश में तत्कालनी सरकार के सीएम कमलनाथ ने एसआईटी का गठन किया था, जिस समय गठन किया गया था उस समय एसआईटी के प्रमुख के तौर पर संजीव शमी को हैड बनाया गया था. उनकी कार्यप्रणाली को देखते हुए, उन्हें कुछ ही दिनों में हटा दिया गया था.
हाईकोर्ट के इजाजत के बगैर नहीं बदला जाएगा SIT प्रमुख
उसके बाद एसआईटी प्रमुख का प्रभार राजेंद्र कुमार को दे दिया गया. बार-बार एसआईटी प्रमुख बदलने के कारण पूरा मामला इंदौर हाईकोर्ट में चला गया. जहां कोर्ट ने प्रदेश सरकार को यह निर्देश दिए कि जांच को जारी रखने के लिए बिना हाईकोर्ट की परमिशन के एसआईटी प्रमुख नहीं बदला जा सकता, लेकिन उसके बाद भी एसआईटी के सदस्यों का आना जाना या उनमें बदलाव होते रहे लेकिन एक बार फिर एसआईटी की टीम में दो नए सदस्यों को शामिल किया गया है. जिस समय इंदौर में हनी ट्रैप मामले का खुलासा हुआ था, उस समय एसएसपी पद पर पदस्थ रहीं अधिकारी रुचि वर्धन मिश्रा को इस टीम में जगह दी गई. वहीं उनके साथ एक अन्य अधिकारी को भी एसआईटी का सदस्य बनाया गया है।
जिला कोर्ट में SIT ने पेश किए साक्ष्य
वहीं इस मामले में इंदौर की जिला कोर्ट में भी सुनवाई हो रही है. गिरफ्तार आरोपी महिला की ओर से कई बार इंदौर की जिला कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन भी दिया गया. पिछले दिनों इस पूरे मामले में एसआईटी की ओर से विभिन्न तरह के साथ भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए गए. वहीं साक्ष्यों को एसआईटी ने कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया. उनको पढ़ने के लिए आरोपी पक्ष ने भी कोर्ट में आवेदन दिया. लेकिन एसआईटी की आपत्ती लेने के बाद आरोपी पक्ष के आवेदन को खारिज कर दिया गया. एक बार फिर आरोपी पक्ष की ओर से एडवोकेट अमर सिंह राठौर ने एक आवेदन प्रस्तुत किया और मांग की कि एसआईटी ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं,उन्हें हमें पढ़ने के लिए दिया जाए.जिसके बाद कोर्ट ने आरोपी पक्ष को एसआईटी द्वारा प्रस्तुत किए साक्ष्य को पढ़ने की अनुमति दी है.
एसआईटी चीफ़ राजेंद्र कुमार ने अगस्त महीने में 40 आरोपियों के नाम बंद लिफाफे में इंदौर हाईकोर्ट के सामने प्रस्तुत किए. वहां पर उन्हें जमा कर दिया गया. फिलहाल जिस तरह से एसआईटी ने अपनी टीम में 2 नए अधिकारियों को शामिल किया है तो निश्चित तौर पर 40 आरोपियों के बीच अब घबराहट पैदा हो गई होगी.