इंदौर। महानगर के लालबाग पैलेस में जनजातीय मेला का आयोजन लोगों को आयुर्वेद और वन्य औषधियों के फायदे दिलाने के लिए किया गया था. यहां आने वाले लोगों को जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर सेहतमंद बनाने की सलाह दी जानी थी. साथ ही फूड लवर्स के लिए यहां अलग-अलग तरह के व्यंजन उपलब्ध कराए जाने थे. लेकिन आयोजनकर्ताओं की लापरवाही से यह मेला अव्यवस्थाओं का शिकार हो गया है.
गड़बड़ियों की शिकायत करने की तैयारी : फूड फेस्टिवल और जड़ी-बूटियां मेला के नाम पर हुआ जमावड़ा अब गड़बड़ियों का पुलिंदा नजर आ रहा है. इस मेले में स्टॉल लगाने के लिए भारी-भरकम रकम चुकाने के बावजूद आयुर्वेद विशेषज्ञ और अन्य दुकानदार खासे परेशान हो रहे हैं. इनमें से कई तो अव्यवस्थाओं के चलते इस आयोजन को फ्लॉप करार देकर सामान समेटने लगे हैं. आलम यह है कि मामले की शिकायत लघु वनोपज संघ, वन विभाग और विभागीय मंत्री से की जाने की तैयारी शुरू हो गई है.
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दुकानों के लिए 15 हजार, फूड स्टॉल के लिए 10 हजार वसूले : जनजातीय मेला पूर्व पार्षद बलराम वर्मा और पुष्पेंद्र चौहान की अगुवाई वाली संस्था नारायण मानव उत्थान समिति एवं भारतीय विपणन विकास केंद्र द्वारा लालबाग पैलेस में 11 फरवरी से 19 फरवरी तक आयोजित किया जाना है. इस मेले में 200 स्टॉल लगाए गए हैं. आयुर्वेद और विभिन्न दुकान लगाने के बदले 15,000 जबकि फूड जोन के लिए 10,000 रुपए वसूल किए गए हैं.
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प्रचार-प्रसार नहीं किया : भोपाल से यहां आए आयुर्वेदाचार्य राघवेंद्र सिंह राय ने कहा, 'इस मेले के फ्लॉप होने की वजह इसका समुचित प्रचार-प्रसार नहीं किया जाना है. हमारे रुकने के लिए राऊ में व्यवस्था की गई है. वहां से खुद ही लालबाग पैलेस तक पहुंचना पड़ता है.' मेले में आदिवासी व्यंजनों के फूड स्टॉल लगाने वाले दुकानदार भी लागत तक नहीं निकलने की बात कह रहे हैं. दूसरे राज्यों से उत्पाद लेकर आए कई दुकानदार अपनी जमा राशि की वसूली होते ही यहां से निकलने की फिराक में हैं. आयुर्वेद विशेषज्ञों ने उन्हें गुमराह कर पैसे वसूलने की शिकायत प्रबंध संचालक, लघु वनोपज संघ के अलावा वन मंत्री विजय शाह एवं डीएफओ इंदौर और वन विभाग के आला अधिकारियों को करने का फैसला किया है. इस बारे में एक पत्र भी संबंधितों को भेजा गया है. दूसरी तरफ, मेले की व्यवस्था संभाल रहे वन विभाग के अधिकारी राजेश सूर्यवंशी का कहना है कि आयोजकों पर लगाए गए आरोप निराधार हैं.