इंदौर। अक्षय कुमार की मशहूर फिल्म 'टॉयलेट एक प्रेम कथा' तो आपको याद होगी कि किस तरह अपनी पत्नी के लिए टॉयलेट को लेकर अक्षय कुमार अपने पिता के साथ पूरे गांव से लड़ते हैं. वर्ल्ड टॉयलेट डे पर हम आपको ऐसी ही फिल्मी कहानी से रू-ब-रू कराएंगे. जहां फिल्म के बाहर की हकीकत की दुनियां में एक इसी तरह का किरदार निभाया गया है. इंदौर के परदेशीपुरा क्षेत्र में पति को अपनी पत्नी और बच्चों के लिए टॉयलेट बनाने के लिए अपने परिवार से कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है. हालांकि पुलिस के हस्तक्षेप के बाद उसे टॉयलेट की सौगात आखिरकार मिल गई. जिसे पाकर दंपत्ति बेहद खुश हैं.
टॉयलेट बनवाने के लिए लड़नी पड़ी कानूनी लड़ाई
पेशे से नगर निगम में कर्मचारी संदीप चिंतामणि अपने घर में एक टॉयलेट बनवाना चाहते थे, लेकिन मां और बड़े भाई को उनका ये प्रस्ताव पंसद नहीं आया. क्योंकि घर में एक टॉयलेट पहले से था लेकिन परिवार के आठ सदस्य होने के चलते संदीप की पत्नी पूजा को सार्वजनिक शौचालय इस्तेमाल करने की हिदायत दी जाने लगी. पत्नी के लिए परेशान पति ने घर में एक अलग से टॉयलेन बनाने का निर्णाय लिया और मां से अलग से जगह देने की बात रखी, लेकिन घर में विवाद हो गया और मामला पुलिस तक जा पहुंचा.
पुलिस की लेनी पड़ी मदद
मामला महिला सेल को सौंपा तो महिला सेल को भी संदीप की मां और परिजनों को थाने बुलाकर बार-बार काउंसलिंग देने के बाद फटकार लगानी पड़ी. तब जाकर वह जगह देने को सहमत हुए. इसके बाद जो जगह सुझाव की गई. उसमें टॉयलेट नहीं बन पा रहा था. फिर पुलिस के हस्तक्षेप के बाद संदीप और पूजा को उसके ही घर में जरूरत के मुताबिक जगह मिल सकी.घर में शौचालय नहीं होने से अपने घर गई पूजा टॉयलेट बनने की खबर से अपने ससुराल लौटने के बाद अब बेहद खुश हैं. बहरहाल इंदौर के संदीप चंतामणि ने टॉयलेट एक प्रेमकथा की दूसरी फिल्मी कहानी की पटकथा को लिखा है.
फिल्मी कहानी ऐसी है...
टॉयलेट एक प्रेम कथा में केशव को जया से प्यार होता है और उससे शादी करता है. हालांकि, घर में शौचालय न होने के कारण जया उसे छोड़ कर चली जाती है और केशव को उसे वापस लाने के लिए समाज से लड़कर घर में शौचालय बनवाना पड़ता है.