इंदौर। आने वाले समय में प्रदेश में अब नगरीय निकाय चुनाव होने हैं, हालांकि इसके लिए अभी कोई ऐलान नहीं हुआ है. लेकिन दावेदार और राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर पर तैयारियां करने लगे हैं. इंदौर में भी कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां नगरीय निकाय चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे नेताओं की लिस्टिंग कर उन्हे जांचने में लग गई हैं. इसके लिए दोनों ही दलों ने इस बार एक नए फॉर्मूले को अपनाया है. होनों पार्टियां निकाय में पार्षद प्रत्याशी के लिए सांवेर उपचुनाव के परिणामों की समीक्षा करने लगी है.
माना जा रहा है इस बार इंदौर नगर निगम चुनाव में उन्हीं नेताओं को टिकट दिया जाएगा, जिनका प्रदर्शन सांवेर उपचुनाव में बेहतर रहा होगा. बीजेपी और कांग्रेस के द्वारा सांवेर विधानसभा उपचुनाव के लिए कई पार्षद के दावेदारों को जिम्मेदारी देकर मैदान में उतारा गया था. अब पार्टियां समीक्षा कर रही हैं कि उनके बूथ में पार्टी का क्या पर्फामेंस रहा है. इसी आधार पर आने वाले नगरीय निकाय चुनाव में भी टिकट बांटे जाने की बात चल रही है.
बीजेपी ने तैनात किया था एक बूथ पर एक पार्षद
सांवेर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने एक बूथ पर एक पार्षद और पूर्व पार्षद की तैनाती की थी. बीजेपी संगठन के द्वारा भी इन लोगों के काम पर खास नजर रखी गई थी और जिम्मेदारी देते समय यह कहा गया था कि यदि वह बूथ नहीं जीता पाते हैं तो वार्ड का भी नहीं सोचें, बीजेपी की रणनीति का यही असर रहा कि बीजेपी ने सांवेर विधानसभा उपचुनाव में 53 हज़ार की लीड ली थी.
कांग्रेस कर रही हार की समीक्षा
एक ओर जहां बीजेपी जीत की समीक्षा कर रही है, वहीं कांग्रेस में हार की समीक्षा की जा रही है. कांग्रेस के आने वाले नगरीय निकाय चुनाव में भी उन लोगों का खास ध्यान रखा जा रहा है, जिन्होंने उपचुनाव में काम नहीं किया था. ऐसे लोगों पर गाज भी गिर सकती है. वहीं नगरीय निकाय चुनाव में जो लोग दावेदारी कर रहे हैं उनकी परफॉर्मेंस रिपोर्ट भी कांग्रेस बना रही है, जो की नगरी निकाय चुनाव में टिकट वितरण में मुख्य आधार बनेगी.
65 बूथ हैं शहरी सीमा में
सांवेर विधानसभा क्षेत्र के 65 बूथ, इंदौर नगर निगम के अंदर आते हैं. इन्हें 65 बूथों पर कांग्रेस और बीजेपी के इंदौर के पार्षद, पूर्व पार्षद और हारे प्रत्याशियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. अब इनके परफामेंस का आंकलन कर इन्हें उपचुनाव में मेहनत का इनाम और सजा दी जाएगी.