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मंदिरों की चढ़ोतरी में लगा कोरोना ग्रहण, दान पात्रों के साथ मंदिर के खाते भी हुए खाली - Expenditure of ranjit hanuman temple

कोरोना के जद से तो मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे भी नहीं बच पाए हैं. रोजाना लाखों रुपए का चढ़ावा पाने वाले मंदिर भी कोरोना संक्रमण के कारण बंद पड़े थे, जिसके चलते अब मंदिरों के खातों में जमा राशि में कमी देखी गई है.

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Published : Oct 18, 2020, 11:28 AM IST

Updated : Oct 18, 2020, 2:18 PM IST

इंदौर। देश के कई आर्थिक गतिविधियों पर कोरोना ने बुरा असर डाला है. जिसके चलते आर्थिक रूप से कई व्यापार और व्यवसाय पिछड़ गए हैं, वहीं कोरोना के जद से तो मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे भी नहीं बच पाए हैं. रोजाना लाखों रुपए का चढ़ावा पाने वाले मंदिर भी कोरोना संक्रमण के कारण बंद पड़े थे, जिसके चलते अब मंदिरों के खातों में जमा राशि में कमी देखी गई है. हालांकि एक बार फिर मंदिरों को आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया है, लेकिन मंदिर में पहले की तुलना में भीड़ अभी भी बहुत कम पहुंच रही है. जिसके कारण मंदिर अभी भी अपना खर्च चलाने के लिए कई अन्य प्रकार के जतन कर रहे हैं.

मंदिरों की कमाई हुई धीमी

लॉकडाउन के साथ ही इंदौर शहर के मंदिरों को भी 24 मार्च से बंद कर दिया गया था. आम लोगों का प्रवेश मंदिर में पूरी तरह से बंद था, सिर्फ मंदिर के पुजारियों के द्वारा ही मंदिर में पूजा की जा रही थी. देश में लगाए गए लॉकडाउन का असर मंदिरों पर भी दिखाई दिया है. मंदिरों को मिलने वाले दान में लॉकडाउन के कारण भारी कमी देखी गई है. इस स्थिति का सामना करने के लिए इंदौर के प्रमुख मंदिरों ने भी अपनी योजनाओं में बदलाव किया है. वहीं कोरोना संक्रमण के चलते भक्तों की संख्या में भी कमी देखी जा रही है. प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर में एफडी से काम चलाना पड़ रहा है, कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए व्यवस्था की गई.

पढ़ें:बिजासन माता मंदिर में भक्तों के लिए की गई विशेष व्यवस्था, कोरोना गाइडलाइन के साथ करने होंगे दर्शन

प्रसिद्ध खजराना मंदिर का खर्च 20 लाख रुपए

खजराना गणेश मंदिर में 30 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड मौजूद हैं. इसके अलावा ऑफिस स्टॉफ दूसरे क्षेत्र के कर्मचारी और सफाई कर्मियों की भी एक बड़ी संख्या मंदिर के लिए तैनात है. बिजली के बिल, बगीचे के रखरखाव सहित अगर सभी का खर्च जोड़ा जाए तो खजराना मंदिर के महीने का रखरखाव का खर्च करीब 20 लाख रुपए है. लॉकडाउन में मंदिर भी 188 दिन तक बंद रखे गए थे, ऐसे में खजराना गणेश मंदिर को अपनी एफडी के ब्याज से राशि खर्च करना पड़ी. पहले मंदिर को मिलने वाले चढ़ावे के इस खर्च ओर अन्य जरूरतों की पूर्ति की जाती थी.

अनलॉक भी नहीं बढ़ा सका श्रद्धालुओं की संख्या

इंदौर के अन्य मंदिरों की बात की जाए तो रणजीत हनुमान मंदिर के खर्च का बड़ा हिस्सा भी सफाई कंपनी को भुगतान में जाता था. वहीं बिजली बिल और कर्मचारियों के वेतन भुगतान को लेकर भी रणजीत हनुमान मंदिर का खर्च बड़ा था. अकेले खजराना गणेश मंदिर में हर महीने ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते थे. वहीं रणजीत हनुमान मंदिर में भी लगभग 80 हजार भक्त हर माह दर्शन करते हैं. लेकिन कोरोना रोकने के लिए लागू की गई गाइडलाइन के चलते भक्तों की एक बड़ी संख्या अभी भी मंदिरों से दूर है.

ऑनलाइन दान पर निर्भर मंदिर

इस कारण अनलॉक के दौर में भी मंदिरों को पहले की तरह चढ़ावा नहीं मिल पा रहा है, हालांकि शहर के प्रमुख मंदिर अभी भी ऑनलाइन दान पर निर्भर हैं और उम्मीद लगा रहे हैं कि एक बार फिर मंदिरों को पर्याप्त राशि मिलना शुरू हो जाएगी, जिससे कि मंदिर का खर्च निकाला जा सके. अनलॉक के दौर में मंदिर भी अपने भविष्य को लेकर अब योजनाएं बना रहे हैं, भक्तों की सीमित होती संख्या को देखते हुए अपने खर्च में भी मंदिरों में कटौती करना शुरू की है.

इंदौर। देश के कई आर्थिक गतिविधियों पर कोरोना ने बुरा असर डाला है. जिसके चलते आर्थिक रूप से कई व्यापार और व्यवसाय पिछड़ गए हैं, वहीं कोरोना के जद से तो मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे भी नहीं बच पाए हैं. रोजाना लाखों रुपए का चढ़ावा पाने वाले मंदिर भी कोरोना संक्रमण के कारण बंद पड़े थे, जिसके चलते अब मंदिरों के खातों में जमा राशि में कमी देखी गई है. हालांकि एक बार फिर मंदिरों को आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया है, लेकिन मंदिर में पहले की तुलना में भीड़ अभी भी बहुत कम पहुंच रही है. जिसके कारण मंदिर अभी भी अपना खर्च चलाने के लिए कई अन्य प्रकार के जतन कर रहे हैं.

मंदिरों की कमाई हुई धीमी

लॉकडाउन के साथ ही इंदौर शहर के मंदिरों को भी 24 मार्च से बंद कर दिया गया था. आम लोगों का प्रवेश मंदिर में पूरी तरह से बंद था, सिर्फ मंदिर के पुजारियों के द्वारा ही मंदिर में पूजा की जा रही थी. देश में लगाए गए लॉकडाउन का असर मंदिरों पर भी दिखाई दिया है. मंदिरों को मिलने वाले दान में लॉकडाउन के कारण भारी कमी देखी गई है. इस स्थिति का सामना करने के लिए इंदौर के प्रमुख मंदिरों ने भी अपनी योजनाओं में बदलाव किया है. वहीं कोरोना संक्रमण के चलते भक्तों की संख्या में भी कमी देखी जा रही है. प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर में एफडी से काम चलाना पड़ रहा है, कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए व्यवस्था की गई.

पढ़ें:बिजासन माता मंदिर में भक्तों के लिए की गई विशेष व्यवस्था, कोरोना गाइडलाइन के साथ करने होंगे दर्शन

प्रसिद्ध खजराना मंदिर का खर्च 20 लाख रुपए

खजराना गणेश मंदिर में 30 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड मौजूद हैं. इसके अलावा ऑफिस स्टॉफ दूसरे क्षेत्र के कर्मचारी और सफाई कर्मियों की भी एक बड़ी संख्या मंदिर के लिए तैनात है. बिजली के बिल, बगीचे के रखरखाव सहित अगर सभी का खर्च जोड़ा जाए तो खजराना मंदिर के महीने का रखरखाव का खर्च करीब 20 लाख रुपए है. लॉकडाउन में मंदिर भी 188 दिन तक बंद रखे गए थे, ऐसे में खजराना गणेश मंदिर को अपनी एफडी के ब्याज से राशि खर्च करना पड़ी. पहले मंदिर को मिलने वाले चढ़ावे के इस खर्च ओर अन्य जरूरतों की पूर्ति की जाती थी.

अनलॉक भी नहीं बढ़ा सका श्रद्धालुओं की संख्या

इंदौर के अन्य मंदिरों की बात की जाए तो रणजीत हनुमान मंदिर के खर्च का बड़ा हिस्सा भी सफाई कंपनी को भुगतान में जाता था. वहीं बिजली बिल और कर्मचारियों के वेतन भुगतान को लेकर भी रणजीत हनुमान मंदिर का खर्च बड़ा था. अकेले खजराना गणेश मंदिर में हर महीने ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते थे. वहीं रणजीत हनुमान मंदिर में भी लगभग 80 हजार भक्त हर माह दर्शन करते हैं. लेकिन कोरोना रोकने के लिए लागू की गई गाइडलाइन के चलते भक्तों की एक बड़ी संख्या अभी भी मंदिरों से दूर है.

ऑनलाइन दान पर निर्भर मंदिर

इस कारण अनलॉक के दौर में भी मंदिरों को पहले की तरह चढ़ावा नहीं मिल पा रहा है, हालांकि शहर के प्रमुख मंदिर अभी भी ऑनलाइन दान पर निर्भर हैं और उम्मीद लगा रहे हैं कि एक बार फिर मंदिरों को पर्याप्त राशि मिलना शुरू हो जाएगी, जिससे कि मंदिर का खर्च निकाला जा सके. अनलॉक के दौर में मंदिर भी अपने भविष्य को लेकर अब योजनाएं बना रहे हैं, भक्तों की सीमित होती संख्या को देखते हुए अपने खर्च में भी मंदिरों में कटौती करना शुरू की है.

Last Updated : Oct 18, 2020, 2:18 PM IST
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