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कोरोना काल में बेस्वाद हुआ इंदौरी जायका, 500 करोड़ घाटे में मिष्ठान-नमकीन उद्योग

कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन ने सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है. उन्हीं में से एक क्षेत्र है मिठाइयों और नमकीनों का, जिसका जायका कोरोना महामारी ने बिगाड़ दिया है. इस साल मिठाई उद्योग को करीब 500 करोड़ का नुकसान हुआ है. ऐसे में अब दीपावली तक इस उद्योग के पटरी पर आने की उम्मीद जताई जा रही है.

Indoor flavors become tasteless
बेस्वाद हुआ इंदौरी जायका
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Published : Aug 8, 2020, 10:11 AM IST

इंदौर। देश और दुनिया में अपनी स्वाद और शुद्धता के लिए ख्यात इंदौर की मिठाइयां और नमकीन का जायका कोरोना महामारी ने बिगाड़ कर रख दिया है. आलम ये है कि सालाना करोड़ों का कारोबार करने वाला मिष्ठान और नमकीन उद्योग 20 फीसदी पर सिमटकर रह गया है. मार्च से ही लॉकडाउन और संक्रमण के फलस्वरुप संकट में आए खानपान उद्योग का दीपावली तक पटरी पर आने की उम्मीद जताई जा रही है.

कोरोनाकाल में मिष्ठान और नमकीन उद्योग चौपट

मिठाई और नमकीन की खरीदी हुई कम

इंदौर में खानपान के लिए चर्चित सराफा चौपाटी हो या 56 दुकान, यहां मिलने वाली नागोरी की शिकंजी हो या शीतल की मिठाइयां और कुल्फी, सभी को अपने इंदौरी ग्राहकों का इंतजार है. कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण मार्च से ही तरह-तरह के खानपान की छोटी बड़ी 4 हजार दुकानें और होटलों पर पसरे सन्नाटे ने शहर के मिठाई और नमकीन उद्योग को 500 करोड़ के घाटे में ला दिया है. फिलहाल बाजार खुलने पर त्योहारी सीजन में आलम ये है कि न तो रक्षाबंधन पर मिठाई और नमकीन की खरीदी हुई और न ही शगुन की बिक्री हो पाई है. जिसके चलते दुकानों पर ग्राहकी 20 फीसदी भी नहीं बची है.

खानपान से सजे बाजारों की रौनक गायब

शहर में नमकीन और मिठाई के जो स्थायी और नियमित ग्राहक थे, वे खान-पान की दुकानों पर संक्रमण की आशंका के चलते नहीं पहुंच पा रहे हैं. जितने ग्राहक ब-मुश्किल पहुंच रहे हैं, वह भी आर्थिक तंगी के दौर में नाम मात्र की नमकीन और मिठाई ही खरीद पा रहे हैं. जिसके कारण खानपान से सजने संवरने वाले बाजारों की रौनक गायब हो चुकी है. ऐसा नहीं है कि कोरोना के कहर का असर सिर्फ मिठाई और नमकीन उद्योग से जुड़े व्यापारियों पर पड़ा है, बल्कि इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जुड़े एक लाख परिवारों पर भी बाजार में छाई मंदी और लॉकडाउन का शिकार होना पड़ा है. इसके अलावा इस सेक्टर से जुड़े दाल, शक्कर, मसाले, बेसन आदि उद्योगों को भी लगातार घाटे से जूझना पड़ रहा है.

सरकार को भी भारी राजस्व का नुकसान

इस साल मिठाई उद्योग को हुए 500 करोड़ के घाटे से मिठाइयों पर लगने वाला पांच परसेंट और नमकीन पर लगने वाला 12 परसेंट राजस्व के लिहाज से राज्य सरकार को भी बीते 3 महीनों में 40 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हो चुका है. इस नुकसान के मद्देनजर व्यापारियों को उम्मीद थी कि कोरोना के दौर में सरकार प्रत्यक्ष रूप से उनकी मदद करेगी, लेकिन एमएसएमई सेक्टर को छोड़ इस सेक्टर की सीधे मदद नहीं हो सकी. लिहाजा नमकीन और मिष्ठान उद्योग से जुड़े हलवाई, मजदूर, हम्माल और सेल्स से जुड़े कर्मचारी पलायन कर गए. अब दीपावली से बाजार और व्यापारियों को उम्मीद है तो इस सेक्टर से जुड़े तमाम लोग फिर बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं. सभी को उम्मीद है कि श्रावण का त्योहारी सीजन और रक्षाबंधन सूना रहने के बावजूद दीपावली पर जरूर ग्राहकी से बाजार रोशन हो सकेगा.

इंदौर। देश और दुनिया में अपनी स्वाद और शुद्धता के लिए ख्यात इंदौर की मिठाइयां और नमकीन का जायका कोरोना महामारी ने बिगाड़ कर रख दिया है. आलम ये है कि सालाना करोड़ों का कारोबार करने वाला मिष्ठान और नमकीन उद्योग 20 फीसदी पर सिमटकर रह गया है. मार्च से ही लॉकडाउन और संक्रमण के फलस्वरुप संकट में आए खानपान उद्योग का दीपावली तक पटरी पर आने की उम्मीद जताई जा रही है.

कोरोनाकाल में मिष्ठान और नमकीन उद्योग चौपट

मिठाई और नमकीन की खरीदी हुई कम

इंदौर में खानपान के लिए चर्चित सराफा चौपाटी हो या 56 दुकान, यहां मिलने वाली नागोरी की शिकंजी हो या शीतल की मिठाइयां और कुल्फी, सभी को अपने इंदौरी ग्राहकों का इंतजार है. कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण मार्च से ही तरह-तरह के खानपान की छोटी बड़ी 4 हजार दुकानें और होटलों पर पसरे सन्नाटे ने शहर के मिठाई और नमकीन उद्योग को 500 करोड़ के घाटे में ला दिया है. फिलहाल बाजार खुलने पर त्योहारी सीजन में आलम ये है कि न तो रक्षाबंधन पर मिठाई और नमकीन की खरीदी हुई और न ही शगुन की बिक्री हो पाई है. जिसके चलते दुकानों पर ग्राहकी 20 फीसदी भी नहीं बची है.

खानपान से सजे बाजारों की रौनक गायब

शहर में नमकीन और मिठाई के जो स्थायी और नियमित ग्राहक थे, वे खान-पान की दुकानों पर संक्रमण की आशंका के चलते नहीं पहुंच पा रहे हैं. जितने ग्राहक ब-मुश्किल पहुंच रहे हैं, वह भी आर्थिक तंगी के दौर में नाम मात्र की नमकीन और मिठाई ही खरीद पा रहे हैं. जिसके कारण खानपान से सजने संवरने वाले बाजारों की रौनक गायब हो चुकी है. ऐसा नहीं है कि कोरोना के कहर का असर सिर्फ मिठाई और नमकीन उद्योग से जुड़े व्यापारियों पर पड़ा है, बल्कि इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जुड़े एक लाख परिवारों पर भी बाजार में छाई मंदी और लॉकडाउन का शिकार होना पड़ा है. इसके अलावा इस सेक्टर से जुड़े दाल, शक्कर, मसाले, बेसन आदि उद्योगों को भी लगातार घाटे से जूझना पड़ रहा है.

सरकार को भी भारी राजस्व का नुकसान

इस साल मिठाई उद्योग को हुए 500 करोड़ के घाटे से मिठाइयों पर लगने वाला पांच परसेंट और नमकीन पर लगने वाला 12 परसेंट राजस्व के लिहाज से राज्य सरकार को भी बीते 3 महीनों में 40 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हो चुका है. इस नुकसान के मद्देनजर व्यापारियों को उम्मीद थी कि कोरोना के दौर में सरकार प्रत्यक्ष रूप से उनकी मदद करेगी, लेकिन एमएसएमई सेक्टर को छोड़ इस सेक्टर की सीधे मदद नहीं हो सकी. लिहाजा नमकीन और मिष्ठान उद्योग से जुड़े हलवाई, मजदूर, हम्माल और सेल्स से जुड़े कर्मचारी पलायन कर गए. अब दीपावली से बाजार और व्यापारियों को उम्मीद है तो इस सेक्टर से जुड़े तमाम लोग फिर बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं. सभी को उम्मीद है कि श्रावण का त्योहारी सीजन और रक्षाबंधन सूना रहने के बावजूद दीपावली पर जरूर ग्राहकी से बाजार रोशन हो सकेगा.

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