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MP Womens Commission : राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने आखिरकार दिया इस्तीफा, शिवराज सरकार पर भड़कीं

कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त की गईं शोभा ओझा ने आखिरकार शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. शोभा ओझा ने इस्तीफे की वजह शिवराज सरकार की हठधर्मिता को बताया है. उनका कहना है कि उन्हें आयोग में अध्यक्ष रहते भी काम नहीं करने दिया गया. (MP State Womens Commission chairperson) (Shobha Ojha finally resigned) (Shobha Ojha furious on Shivraj government)

Shobha Ojha finally resigned
शोभा ओझा ने आखिरकार दिया इस्तीफा
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Published : Jun 24, 2022, 2:03 PM IST

इंदौर। ढाई साल पहले कमलनाथ सरकार के रहते निगम- मंडलों की नियुक्तियों के दौरान कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री शोभा ओझा को राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. हालांकि इसके बाद कमलनाथ सरकार गिरने और शिवराज सरकार के आने के बाद महिला आयोग के अलावा अन्य विभिन्न आयोग की नियुक्तियों को शिवराज सरकार ने वैध मानने से इंकार कर दिया था.

शोभा ओझा ने आखिरकार दिया इस्तीफा

कोर्ट में लगाई थी गुहार : इसके बाद से विभिन्न निगम -मंडलों के अध्यक्ष या तो काम नहीं कर पाए या फिर उनके अधीन कर्मचारियों और अधिकारियों ने उनके आदेशों का पालन नहीं किया. लिहाजा, इस स्थिति के विरोध में शोभा ओझा समेत अन्य अध्यक्षों ने कोर्ट में गुहार लगाई थी. इस मामले में हाईकोर्ट से स्थगन मिलने के बाद भी लगातार राज्य सरकार के असहयोग आत्मक रवैया और कानूनी अर्चना से परेशान होने के बाद शोभा ओझा ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

कोर्ट ने दी थी यह व्यवस्था : दरअसल, राज्य में निगम मंडल और आयोग की धारा 9 की उप धारा दो की शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए यह तय किया गया कि राज्य महिला आयोग अपने कार्य संचालन के लिए प्रक्रिया विनियमन 1988 के अनुसार बिंदु क्रमांक छह से नौ तक उल्लेखित कार्यशैली के अनुरूप 2 सदस्यीय बेंच के साथ अग्रिम कार्रवाई के संबंध में निर्णय करेगा. इसके बाद आयोग कार्यालय द्वारा उन आवेदनों पर बेंच द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार संबंधित अधिकारी को जांच हेतु पत्र प्रेषित कर प्रतिवेदन पर कार्रवाई की जाएगी.

हाई कोर्ट की अवमानना का आरोप : इसके बावजूद आयोग के सदस्य शिवकुमार शर्मा द्वारा आयोग में प्राप्त होने वाले आवेदन पत्रों पर आयोग के नियम अधिनियम के विरुद्ध अग्रिम कार्रवाई हेतु संबंधित अधिकारियों को जांच प्रतिवेदन मंगाए जाने हेतु निरंतर अत्याचार किया गया. शोभा ओझा का आरोप है कि यह पूर्णताः गलत एवं नियम विरुद्ध होकर उच्च न्यायालय जबलपुर की अवमानना है. अध्यक्ष के स्थगन के बावजूद आयोग के सदस्य द्वारा आयोग में प्राप्त आवेदनों को आवश्यक कार्रवाई हेतु संबंधित अधिकारियों को पत्राचार करने का अध्यक्ष और सदस्यों के रहते कोई औचित्य नहीं है. इसके बावजूद भी सरकार के संरक्षण में ऐसा किया गया.

MP महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा का सरकार पर बड़ा आरोप, आयोग के दफ्तरों में लगाए ताले

महिला आयोग में 17500 शिकायतें लंबित : राज्य महिला आयोग में महिला अत्याचारों की लगभग 17500 शिकायतें लंबित हैं. जनवरी 2019 के बाद से महिला आयोग के सदस्यों की संयुक्त बेंच भी अब तक नहीं बैठ पाई है. वहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार औसतन 137 महिलाओं के साथ मध्यप्रदेश में प्रतिदिन कोई ना कोई अपराध घटित हो रहा है. यही स्थिति दुष्कर्म को लेकर है. पिछले वर्ष 2339 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना हुई. (MP State Womens Commission chairperson) (Shobha Ojha finally resigned) (Shobha Ojha furious on Shivraj government)

इंदौर। ढाई साल पहले कमलनाथ सरकार के रहते निगम- मंडलों की नियुक्तियों के दौरान कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री शोभा ओझा को राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. हालांकि इसके बाद कमलनाथ सरकार गिरने और शिवराज सरकार के आने के बाद महिला आयोग के अलावा अन्य विभिन्न आयोग की नियुक्तियों को शिवराज सरकार ने वैध मानने से इंकार कर दिया था.

शोभा ओझा ने आखिरकार दिया इस्तीफा

कोर्ट में लगाई थी गुहार : इसके बाद से विभिन्न निगम -मंडलों के अध्यक्ष या तो काम नहीं कर पाए या फिर उनके अधीन कर्मचारियों और अधिकारियों ने उनके आदेशों का पालन नहीं किया. लिहाजा, इस स्थिति के विरोध में शोभा ओझा समेत अन्य अध्यक्षों ने कोर्ट में गुहार लगाई थी. इस मामले में हाईकोर्ट से स्थगन मिलने के बाद भी लगातार राज्य सरकार के असहयोग आत्मक रवैया और कानूनी अर्चना से परेशान होने के बाद शोभा ओझा ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

कोर्ट ने दी थी यह व्यवस्था : दरअसल, राज्य में निगम मंडल और आयोग की धारा 9 की उप धारा दो की शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए यह तय किया गया कि राज्य महिला आयोग अपने कार्य संचालन के लिए प्रक्रिया विनियमन 1988 के अनुसार बिंदु क्रमांक छह से नौ तक उल्लेखित कार्यशैली के अनुरूप 2 सदस्यीय बेंच के साथ अग्रिम कार्रवाई के संबंध में निर्णय करेगा. इसके बाद आयोग कार्यालय द्वारा उन आवेदनों पर बेंच द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार संबंधित अधिकारी को जांच हेतु पत्र प्रेषित कर प्रतिवेदन पर कार्रवाई की जाएगी.

हाई कोर्ट की अवमानना का आरोप : इसके बावजूद आयोग के सदस्य शिवकुमार शर्मा द्वारा आयोग में प्राप्त होने वाले आवेदन पत्रों पर आयोग के नियम अधिनियम के विरुद्ध अग्रिम कार्रवाई हेतु संबंधित अधिकारियों को जांच प्रतिवेदन मंगाए जाने हेतु निरंतर अत्याचार किया गया. शोभा ओझा का आरोप है कि यह पूर्णताः गलत एवं नियम विरुद्ध होकर उच्च न्यायालय जबलपुर की अवमानना है. अध्यक्ष के स्थगन के बावजूद आयोग के सदस्य द्वारा आयोग में प्राप्त आवेदनों को आवश्यक कार्रवाई हेतु संबंधित अधिकारियों को पत्राचार करने का अध्यक्ष और सदस्यों के रहते कोई औचित्य नहीं है. इसके बावजूद भी सरकार के संरक्षण में ऐसा किया गया.

MP महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा का सरकार पर बड़ा आरोप, आयोग के दफ्तरों में लगाए ताले

महिला आयोग में 17500 शिकायतें लंबित : राज्य महिला आयोग में महिला अत्याचारों की लगभग 17500 शिकायतें लंबित हैं. जनवरी 2019 के बाद से महिला आयोग के सदस्यों की संयुक्त बेंच भी अब तक नहीं बैठ पाई है. वहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार औसतन 137 महिलाओं के साथ मध्यप्रदेश में प्रतिदिन कोई ना कोई अपराध घटित हो रहा है. यही स्थिति दुष्कर्म को लेकर है. पिछले वर्ष 2339 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना हुई. (MP State Womens Commission chairperson) (Shobha Ojha finally resigned) (Shobha Ojha furious on Shivraj government)

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