इंदौर। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि हर तरह का व्यापार-व्यवसाय चौपट हो चुका है. प्रदेश में जन सुविधाएं मुहैया कराने वाले नगरीय निकाय भी महामारी के दौर में कंगाल हो चुके हैं. प्रदेश के सबसे बड़े और समृद्ध माने जाने वाले नगरीय निकाय इंदौर नगर निगम में आलम ये है कि, यहां बीते साल की तुलना में राजस्व की प्राप्ति आधी हुई है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि, बिजली, पानी, स्वच्छता की जरूरतों के अलावा शहर के विकास को लेकर नगर निगम के पास इस साल विकास कार्यों पर खर्च करने के लिए राशि ही नहीं रहेगी. जिसके चलते शहर के कई विकास कार्य ठप हो जाएंगे. प्रदेश के चारों महानगरों के अलावा लगभग हर जिले के नगरीय निकायों की स्थिति एक जैसी है.
कई विकास कार्यों में ब्रेक लगने की आशंका
प्रदेश का सबसे बड़ा और कर्मचारियों के लिहाज से विस्तृत इंदौर नगर निगम का सालाना बजट प्रदेश के अन्य तमाम नगरीय निकायों की तुलना में सर्वाधिक है. यहां बीते वित्तीय वर्ष में तत्कालीन महापौर मालिनी गौड़ ने 5647 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. यहीं वजह है कि, शहर की सड़कों से लेकर कई तरह के विकास कार्य और केंद्र प्रदत्त योजनाओं में इंदौर नगर निगम की भागीदारी से शहर में लगातार विकास कार्य हुए हैं. इसके अलावा इंदौर नगर निगम ने स्वच्छता को लेकर देशभर में अलग-अलग कीर्तिमान स्थापित किए है. हालांकि इस साल कोरोना महामारी से ऐसे तमाम विकास कार्यों पर ब्रेक लगने की आशंका जताई जा रही है.
कोरोना के चलते राजस्व संग्रहण में देरी
वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगातार जारी कोरोना संक्रमण के कारण राजस्व का संग्रहण नहीं हो पा रहा है. इस वित्तीय वर्ष में मार्च से अब तक राजस्व प्राप्ति पर गौर किया जाए तो, बीते वित्तीय वर्ष में यहां सिर्फ संपत्ति कर, जल कर और कचरा संग्रहण के मद में ही 181 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था, लेकिन इस साल नया वित्तीय वर्ष शुरु होने के दौरान ही मार्च महीने से लगे लॉकडाउन और लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण की स्थिति के चलते ना तो शहर के नागरिक संपत्ति कर, जल कर और कचरा संग्रहण शुल्क देने की स्थिति में हैं और ना ही नगर निगम अमला वर्तमान दौर में वसूली अभियान चलाने की स्थिति में है. इसी के चलते 31 जुलाई तक अगर राजस्व की प्राप्ति के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो, नगर निगम के खाते में केवल 63 करोड़ रुपए ही जमा हो पाए हैं.
टीम बनाकर कर वसूली का काम जारी
राजस्व प्राप्ति को लेकर नगर निगम इस कोशिश में है कि आगामी अगस्त महीने के पहले तक 27 से 30 करोड़ रुपए की वसूली शहर के अलग-अलग करदाताओं से की जाएगी. इसके लिए नगर निगम का राजस्व अमला एक अलग टीम बनाकर हर दिन 20 से 25 लोगों के पास बकाया करों की वसूली के लिए पहुंच रहा है. सभी कोशिशों के बावजूद भी करों की वसूली का ये आंकड़ा 90 करोड़ हो पाना मुश्किल नजर आ रहा है. इन हालातों में इस बार संग्रहण नहीं हो पाने के कारण जुलाई के अलावा अगस्त महीने में भी कर वसूली का काम सतत जारी रहेगा.
बीते साल की तुलना में कम हुई वसूली
अब तक जो राजस्व वसूली हो पाई है, उसमें बीते साल की तुलना में संपत्ति कर के बतौर 149 करोड़ के विपरीत केवल 50 करोड़ ही मिले हैं. इसी तरह जल कर की वसूली में 19 करोड़ के स्थान पर केवल 8.3 करोड़ ही मिले हैं. यही स्थिति कचरा संग्रहण की है, जिसमें 12 करोड़ के स्थान पर अब तक चार करोड़ रुपए ही मिले है.
विकास कार्यों पर पड़ेगा असर
नगर निगम में करों की वसूली आधी से भी कम हो जाने के कारण इस बार शहर के तमाम विकास कार्य और नए शुरू होने वाले विकास कार्य प्रभावित होंगे. ऐसी स्थिति में केंद्र प्रदत्त और राज्य शासन की योजनाओं में भी नगर निगम अपने हिस्से की राशि अगर जमा करने की स्थिति में नहीं रहा, तो केंद्र और राज्य सरकारों की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी इंदौर नगर निगम और इंदौर शहर के लोगों को मिलना मुश्किल होगा.
अग्रिम कर देने वालों पर फोकस
इंदौर में बड़ी संख्या में ऐसे भी करदाता हैं, जो अपनी संपत्तियों पर अभी रोपित करों का भुगतान समय से पहले और अग्रिम रूप से करते हैं. ऐसे करदाताओं के लिए इनामी योजना भी नगर निगम में प्रचलित हैं. इस बार कोशिश की जा रही है कि, जो करदाता आसानी से और अग्रिम रूप से संपत्ति कर जमा करते हैं, उनकी मदद ली जाए. जिससे कि, लक्ष्य आधारित राजस्व का संग्रहण समय पर हो सके.