इंदौर। देशभर में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है. 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के पहले से ही कई तरह के आयोजन भी किए जा रहे हैं. तो इंदौर से भी महात्मा गांधी की विशेष यादें जुड़ी हुई हैं. महात्मा गांधी इंदौर की यात्रा पर दो बार आए थे. पहली बार बापू 1918 और दूसरी बार 1935 में इंदौर आए थे. महात्मा गांधी ने इंदौर में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की पैरवी की थी. वहीं मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति की स्थापना भी की थी. बापू की इंदौर रेलवे स्टेशन से विशेष यादें जुड़ी हुई हैं.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटे और इसके 3 साल बाद मार्च 1918 में मध्य भारत की पहली यात्रा पर इंदौर आए. इंदौर की इस यात्रा के दौरान ही बापू द्वारा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने और पूरे भारतवर्ष में इसके प्रचार-प्रसार की नींव रखी गई. महात्मा गांधी 28 मार्च 1918 को रेल यात्रा करते हुए इंदौर स्टेशन पर पहुंचे. बापू हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिस्सा लेने इंदौर पहुंचे थे.
इंदौर रेलवे स्टेशन पर बापू का भव्य स्वागत किया गया था. चूंकि बापू पहली बार इंदौर पहुंचे थे लिहाजा इंदौर रेलवे स्टेशन पर उनसे मिलने वालों का तांता लगा था. बापू की करीब 101 साल पहले की इस यात्रा और इंदौर रेलवे स्टेशन पर आने की ऐतिहासिक बात को रेलवे द्वारा पेंटिंग के माध्यम से स्टेशन पर दर्शाया गया है जो बापू की यादों को दर्शाता है.
रेलवे द्वारा महात्मा गांधी से जुड़ी यादों को स्टेशन पर पेंटिंग के माध्यम से दर्शाया गया है. पेंटिंग में बापू ट्रेन से उतरते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं ट्रेन के समीप हिंदी साहित्य सम्मेलन की एक पेंटिंग बनाई गई है. इसके अलाव बापू द्वारा स्टेशन के बाहर जहां लोगों को संबोधित किया गया था उस जगह पर भी रेलवे द्वारा एक चबूतरा बनाया गया है, जिस पर बापू के आने और उनके संबोधन की बात लिखी गई है. रेलवे द्वारा बताया गया है कि महात्मा गांधी से जुड़ी यादों को रेलवे द्वारा सहेज कर रखा जा रहा है ताकि आने वाले समय में लोगों को भी पता लगे कि बापू की इंदौर से किस तरह की यादें जुड़ी हुई हैं ताकि बापू की यादें सभी के जेहन में हमेशा बनी रहे.