इंदौर। कोरोना काल में छोटे स्तर पर होने वाला व्यापार पूरी तरह ठप हो गया है. छोटी इकाइयां पूरी तरह बर्बादी की कगार पर पहुंच गईं हैं. शहर में लोहे की सीट्स से बनने वाले उत्पादों के व्यापार की हालत खराब हो गई है. अंतरराज्यीय सीमाओं पर लगे प्रतिबंध और पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने के कारण ये इस व्यापार पूरी तरह चौपट हो गया है. अनलॉक में भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है.
ट्रांसपोर्ट की समस्या
प्रदेश की आर्थिक राजधानी माने जाने वाले इंदौर में लोहे की चादरों, प्रेशर कुकर सहित कई अन्य ड्यूरेबल सामानों का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है. इनसे बनने वाले कई प्रकार के सामानों की बिक्री इंदौर के ही आसपास के जिलों समेत दूसरे राज्यों में होती है. लेकिन कोरोना महामारी में इन तमाम उत्पादों की मांग कम हो गई है. अगर इन छोटी-छोटी इकाइयों को कोई ऑर्डर भी मिल रहा है तो ट्रांसपोर्ट की समस्या आ रही है.
कुशल कारीगरों की कमी
लॉकडाउन के दौरान कई कारीगर अपने घर को लौट चुके हैं. ऐसे में निर्माताओं के पास अब कुशल कारीगरों की कमी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. यही वजह है कि उत्पादन भी पहले की तुलना में काफी कम हो गया है. फिलहाल बाजार की सुस्ती का इस व्यवसाय पर गहरा असर हुआ है. बड़ी संख्या में कारीगरों के सामने आजीविका संकट उत्पन्न हो गया है. वहीं निर्मातोओं को भी भारी नुकसान हो रहा है.