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ये बेसहारा: कोरोना की दूसरी लहर के कहर से बचे, तो नियमों के 'Lock' में फंसे!

Corona महामारी ने चौतरफा हंगामा बरपा रखा है. अब इसके साइड इफेक्ट्स देखे जा रहें हैं. हर उम्र और तबके के लोगों को इसने शिकार बनाया. स्थिति के थोड़ा संभलते ही सरकार ने unlock की प्रक्रिया शुरू करा दी. सभी राहत की सांस ले रहें हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए lock रहना नियमों के लिहाज से जरूरी भी है.

effect of second wave of corona
कोरोना की दूसरी लहर का असर
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Published : Jun 20, 2021, 8:13 AM IST

इंदौर। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए भले ही घातक बताई जा रही हो, लेकिन महामारी के वर्तमान दौर में हजारों बुजुर्ग हर लहर में खतरे से जूझ रहे हैं. इंदौर में स्थिति यह है कि उम्र दराज लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए अब भी वृद्ध आश्रमों के बाहर ताले लगे हैं. लिहाजा बुजुर्ग वृद्ध आश्रमों में कैद रहते हुए दानदाताओं और शासन के अनुदान के भरोसे गुजर बसर कर रहे हैं.

कोरोनाकाल में कैद होकर रह गए निराश्रित और बुजुर्ग

दृष्टिहीन को ज्यादा खतरा

इंदौर की अधिकांश सामाजिक संस्थाओं में ज्यादातर दिव्यांग ऐसे हैं जो देखने में अक्षम हैं. यह बिना किसी सहारे के नहीं चल सकते. ऐसी स्थिति में इन में संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा है. यही वजह रही की इनका बाहरी लोगों से संपर्क अथवा आना-जाना पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया. बुजुर्गों की बात करें तो इनका सबसे बड़ा शत्रु कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) है, सो इनके लिए भी कोरोना घातक है.

वृद्ध आश्रमों में प्रवेश पूरी तरह निषेध

देशभर में लॉक डाउन खुलने के बावजूद इंदौर में सूने पड़े वृद्ध आश्रम अब भी संक्रमण के खौफ से जूझ रहे हैं. वजह है बुजुर्गों को संक्रमण की स्थिति में बचा पाने की चुनौती. नतीजतन शहर के तमाम अनाथालय और आश्रमों में रहने वाले बच्चों और बुजुर्गों को आम लोगों के संपर्क में आने से अब भी रोका जा रहा है. शहर के 8 वृद्ध आश्रमों में गेट पर ही ताले (Lock) लगाकर बाहरी लोगों को प्रवेश से रोका जा रहा है. ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि परदेसी पुरा वृद्ध आश्रम में किसी बाहरी व्यक्ति के संपर्क में आने से कुछ बुजुर्ग संक्रमित हो गए थे. लिहाजा उन्हें उपचार की चुनौती के साथ संक्रमण से बचाना मुश्किल हो गया था. समाज कल्याण विभाग के मुताबिक यहां दूसरी लहर के दौरान जिन करीब 10 बुजुर्गों की मौत हुई. जिनमें से तीन से चार कोरोना संक्रमित पाए गए थे. ऐसी स्थिति दोबारा निर्मित ना हो इसलिए कोविड प्रोटोकॉल का खास तौर पर ध्यान रखा जा रहा है.

दानदाताओं ने संभाली व्यवस्था

आमतौर पर आर्थिक तंगी और मजबूरी से जूझने वाले वृद्धाश्रम और सामाजिक संस्थाओं जैसी स्थिति इंदौर में नहीं बनी. क्योंकि यहां आठ वृद्ध आश्रमों के अलावा नौ अनुदान प्राप्त संस्थाओं सहित शहर की करीब 120 सामाजिक संस्थाओं की जिम्मेदारी शहर के हजारों दानदाताओं के भरोसे है. जो इन संस्थाओं को जरूरत के हिसाब से सामग्री और संसाधन मुहैया कराते हैं. इसके अलावा समाज कल्याण विभाग से स्वीकृत जो संस्थाएं संचालित हैं उनके लिए शासन स्तर पर अनुदान मुहैया कराया जा रहा है. लिहाजा सामाजिक संस्थाओं में आर्थिक संकट अथवा संसाधनों की कमी जैसी कोई भी स्थिति फिलहाल इंदौर में नहीं है.

Vaccination पर राजनीति: Congress का सवाल- पाकिस्तानी शरणार्थियों को प्राथमिकता क्यों ?

ऐसे की गई सुरक्षा की पहल

इंदौर में करीब 120 निजी और शासकीय सामाजिक संस्थाओं में समाज कल्याण विभाग ने कोरोना प्रोटोकॉल का कठोरता से पालन कराया है. जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) को प्रमुखता देते हुए सभी संस्था में रहने वाले बुजुर्गों और बच्चों का बाहरी प्रवेश बंद किया गया था. इसके अलावा 45 से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सिनेट किया गया. बाद में 18 साल तक (18+) के युवाओं को भी वैक्सीन लगाई गई. इंदौर में अब तक फिलहाल 8 हजार दिव्यांगों को उनकी संस्थाओं पर जाकर वैक्सीन लगाई जा चुकी है. इसके अलावा 60 बुजुर्ग ऐसे हैं जिन्हें वृद्ध आश्रमों में ही जाकर वैक्सीन लगाई गई है.

इंदौर। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए भले ही घातक बताई जा रही हो, लेकिन महामारी के वर्तमान दौर में हजारों बुजुर्ग हर लहर में खतरे से जूझ रहे हैं. इंदौर में स्थिति यह है कि उम्र दराज लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए अब भी वृद्ध आश्रमों के बाहर ताले लगे हैं. लिहाजा बुजुर्ग वृद्ध आश्रमों में कैद रहते हुए दानदाताओं और शासन के अनुदान के भरोसे गुजर बसर कर रहे हैं.

कोरोनाकाल में कैद होकर रह गए निराश्रित और बुजुर्ग

दृष्टिहीन को ज्यादा खतरा

इंदौर की अधिकांश सामाजिक संस्थाओं में ज्यादातर दिव्यांग ऐसे हैं जो देखने में अक्षम हैं. यह बिना किसी सहारे के नहीं चल सकते. ऐसी स्थिति में इन में संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा है. यही वजह रही की इनका बाहरी लोगों से संपर्क अथवा आना-जाना पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया. बुजुर्गों की बात करें तो इनका सबसे बड़ा शत्रु कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) है, सो इनके लिए भी कोरोना घातक है.

वृद्ध आश्रमों में प्रवेश पूरी तरह निषेध

देशभर में लॉक डाउन खुलने के बावजूद इंदौर में सूने पड़े वृद्ध आश्रम अब भी संक्रमण के खौफ से जूझ रहे हैं. वजह है बुजुर्गों को संक्रमण की स्थिति में बचा पाने की चुनौती. नतीजतन शहर के तमाम अनाथालय और आश्रमों में रहने वाले बच्चों और बुजुर्गों को आम लोगों के संपर्क में आने से अब भी रोका जा रहा है. शहर के 8 वृद्ध आश्रमों में गेट पर ही ताले (Lock) लगाकर बाहरी लोगों को प्रवेश से रोका जा रहा है. ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि परदेसी पुरा वृद्ध आश्रम में किसी बाहरी व्यक्ति के संपर्क में आने से कुछ बुजुर्ग संक्रमित हो गए थे. लिहाजा उन्हें उपचार की चुनौती के साथ संक्रमण से बचाना मुश्किल हो गया था. समाज कल्याण विभाग के मुताबिक यहां दूसरी लहर के दौरान जिन करीब 10 बुजुर्गों की मौत हुई. जिनमें से तीन से चार कोरोना संक्रमित पाए गए थे. ऐसी स्थिति दोबारा निर्मित ना हो इसलिए कोविड प्रोटोकॉल का खास तौर पर ध्यान रखा जा रहा है.

दानदाताओं ने संभाली व्यवस्था

आमतौर पर आर्थिक तंगी और मजबूरी से जूझने वाले वृद्धाश्रम और सामाजिक संस्थाओं जैसी स्थिति इंदौर में नहीं बनी. क्योंकि यहां आठ वृद्ध आश्रमों के अलावा नौ अनुदान प्राप्त संस्थाओं सहित शहर की करीब 120 सामाजिक संस्थाओं की जिम्मेदारी शहर के हजारों दानदाताओं के भरोसे है. जो इन संस्थाओं को जरूरत के हिसाब से सामग्री और संसाधन मुहैया कराते हैं. इसके अलावा समाज कल्याण विभाग से स्वीकृत जो संस्थाएं संचालित हैं उनके लिए शासन स्तर पर अनुदान मुहैया कराया जा रहा है. लिहाजा सामाजिक संस्थाओं में आर्थिक संकट अथवा संसाधनों की कमी जैसी कोई भी स्थिति फिलहाल इंदौर में नहीं है.

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ऐसे की गई सुरक्षा की पहल

इंदौर में करीब 120 निजी और शासकीय सामाजिक संस्थाओं में समाज कल्याण विभाग ने कोरोना प्रोटोकॉल का कठोरता से पालन कराया है. जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) को प्रमुखता देते हुए सभी संस्था में रहने वाले बुजुर्गों और बच्चों का बाहरी प्रवेश बंद किया गया था. इसके अलावा 45 से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सिनेट किया गया. बाद में 18 साल तक (18+) के युवाओं को भी वैक्सीन लगाई गई. इंदौर में अब तक फिलहाल 8 हजार दिव्यांगों को उनकी संस्थाओं पर जाकर वैक्सीन लगाई जा चुकी है. इसके अलावा 60 बुजुर्ग ऐसे हैं जिन्हें वृद्ध आश्रमों में ही जाकर वैक्सीन लगाई गई है.

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