इंदौर। नगरीय निकाय चुनावों के लिए कमाई का जरिया बनने वाले होर्डिंग और यूनीपोल जहां शहर की नैसर्गिक सुंदरता में बाधा बनते हैं. वहीं बेतरतीब और व्यस्ततम मार्गों पर लगने वाले होर्डिंग कई दुर्घटनाओं की वजह भी बन चुके हैं. यही वजह है कि राज्य में 2017 से ही आउटडोर विज्ञापन नीति लागू की गई है, जिसमें शहरों में आउटडोर पब्लिसिटी के लिए तमाम तरह के मापदंडों का निर्धारण किया गया है.
इस क्रम में भी प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर सबसे आगे है, जिसने शहर की पब्लिसिटी की पूरी व्यवस्था ही आउटसोर्स कर रखी है, जिसके जरिए नगर निगम को जहां करोड़ों रुपए की आय हो रही है, तो वहीं सेटअप के नाम पर भी कोई खर्च नहीं करना पड़ रहा है.
प्रदेश के महानगरों में अलग-अलग ब्रांड का प्रमोशन करने वाले यह विज्ञापन बोर्ड अब मध्य प्रदेश विज्ञापन नीति के अनुसार ही विज्ञापन करने के लिए बाध्य हैं. यह बात और है कि इन होर्डिंग को लगाने से लेकर इन पर विज्ञापन करने का खर्च लाखों में है. यही वजह है कि प्रदेश के तमाम शहरों के नगरीय निकायों के लिए यह हार्डिंग और विज्ञापन बोर्ड दशकों से कमाई का जरिया रहे हैं. हालांकि बीते कुछ सालों में विज्ञापन के नाम पर शहर की नैसर्गिक सुंदरता और यातायात को क्षति पहुंचाया जाता है.
व्यावसायिक होर्डिंगों से अपनी आय को बढ़ाने के प्रयास में नगर निगम
इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर की प्रमुख सड़कों पर अब एक निर्धारित साइज और डिजाइन के यूनीपोल होर्डिंग प्रमुख सड़कों पर खड़े किए गए हैं. इन होर्डिंग को लेकर खास बात यह है कि इन्हें लगाने से लेकर संचालन का सेटअप उन विज्ञापन कंपनियों के हवाले हैं, जिन्होंने शहरों में होर्डिंग लगाने के लिए चिन्हित स्थानों की अनुमति स्थानीय नगरीय निकायों से करोड़ों रुपए की फीस के बदले हासिल की है. आउटसोर्सिंग की इस प्रक्रिया में विज्ञापनदाता कंपनियों और नगरीय निकायों के बीच जो अनुबंध हुआ है, उसके मुताबिक निकायों और एजेंसियों को समान रूप से विज्ञापनों के जरिए होने वाली आय प्राप्त होती है.
कोर्ट के आदेश पर हटे थे इंदौर के होर्डिंग
दरअसल, इंदौर के रीगल चौराहा, बस स्टैंड और शास्त्री ब्रिज के आसपास जितने भी होर्डिंग लगे थे, उन्हें हाई कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर हटाना पड़ा था. शहर में कई होर्डिंग अवैध तरीके से भी लगाए गए थे, जिन्हें मध्य प्रदेश में विज्ञापन नीति लागू होने के बाद स्थाई रूप से हटा दिया गया. अब एक जैसी नीति पूरे राज्य में लागू है. इसलिए अवैध तरीके से चलने वाले विज्ञापन के कारोबार पर प्रभावी लगाम लग सकी है.
इंदौर में पब्लिसिटी पर सर्वाधिक कमाई
मध्य प्रदेश आउटडोर विज्ञापन नीति लागू होने के पहले ही इंदौर में जब 2010 में बीआरटीएस कॉरिडोर बनकर तैयार हुआ, तो नगर निगम ने इस कॉरिडोर पर नए तरीके से विज्ञापन की रूपरेखा बनाई, जिसके चलते विभिन्न प्रकार के प्रचार संबंधी होर्डिंग और बोर्ड सहित फ्लेक्स को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर शहर की प्रमुख 8 लोकेशन पर पैकेज का निर्धारण किया. इसके बाद यह पैकेज टेंडर के जरिए बोली लगाकर विज्ञापन कंपनियों को दिए गए.
इसके अलावा नगर निगम ने अपने अधीन सरकारी संपत्तियों और टॉयलेट पर भी विज्ञापन करने का काम एजेंसियों को आउटसोर्स के जरिए दिया, जिसके फलस्वरुप वर्तमान में नगर निगम को खुद बिना कोई खर्च किए हुए सालाना 12 से 15 करोड़ रुपए की कमाई विज्ञापन पैकेज के जरिए हो रही है, जो प्रदेश में सर्वाधिक है. यही व्यवस्था 2017 विज्ञापन नीति लागू होने के बाद अन्य शहरों में भी लागू हो गई.
यह है प्रदेश की विज्ञापन नीति
मध्य प्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017 के लिए मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1956 के अनुसार, विज्ञापन फर्म को नगर निगम से पंजीकृत होगी. इसके अलावा भारतीय सड़क कांग्रेस आईआरसी द्वारा लागू नियमों के तहत नगरीय निकायों की स्वीकृति के बाद विज्ञापन किया जा सकेगा. इसके लिए नगर निगम को एक निर्धारित शुल्क देकर अनुमति लेनी होगी. यह अनुमति 3 वर्ष और 10 वर्ष की होगी. जो बोर्ड और होर्डिंग लगाए जाएंगे, उनमें 5 रुपये प्रति वर्ग फुट से लेकर 10 प्रति वर्ग फुट का लाइसेंस शुल्क लागू होगा. इसके अलावा 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में धरातलीय सूचना पट्ट केवल एकल खंबे यूनीपोल लगाए जाएंगे.
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