इंदौर। मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर में यात्री लोक परिवहन के लिए सामान्य तौर पर विभिन्न तरह के संसाधनों का उपयोग करते हैं, जिनमें सबसे अधिक ऑटो रिक्शा का उपयोग यात्रियों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने के लिए किया जाता है. लिहाजा शासन ने ऑटो चालकों के लिए विभिन्न तरह के नियम निर्धारित किए हैं, लेकिन इन नियमों का पालन ऑटो चालकों द्वारा नहीं किया जा रहा है.
लगभग 2000 से अधिक ऑटो परिवहन के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं. यातायात विभाग के अनुसार वर्तमान में शहर में चलने वाले ऑटो की संख्या जितनी है, उसमें लगभग 70 प्रतिशत ऑटो ही यातायात विभाग द्वारा रजिस्टर्ड है. कई ऑटो बिना परमिट के संचालित किए जा रहे हैं.
किराया हो तय
ऑटो चालकों का कहना है कि यात्रियों द्वारा मीटर से चलने को लेकर मना किया जाता है. यात्री अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए पूर्व में ही किराया तय करने की बात करते हैं. ऐसे में मीटर लगे होने के बावजूद भी ऑटो चालकों द्वारा मीटर नहीं शुरू किया जाता है. हालांकि, मीटर से चलने का फायदा यात्रियों और ऑटो चालक दोनों को ही होता है, लेकिन यात्री किराया तय कर ही सफर करने की कोशिश करते है.
मीटर नहीं है फायदेमंद
यात्रियों का कहना है कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जाने के लिए जब उनके द्वारा ऑटो का उपयोग किया जाता है, तो किराया पहले ही तय कर लिया जाता है. मीटर की अपेक्षा तय किए गए किराए से जाना काफी फायदेमंद होता है.
मीटर के साथ छेड़खानी करने पर होती है कार्रवाई
यातायात विभाग के डीएसपी संतोष कुमार उपाध्याय के अनुसार, यातायात विभाग और नापतोल विभाग संयुक्त रूप से कार्रवाई करता है. ऑटो चालकों द्वारा कई बार मीटरों के साथ छेड़खानी की जाती है. ऐसे में छेड़खानी करने वाले ऑटो चालकों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाती है. साथ ही यात्रियों को भी मीटर से चलने के लिए जागरूक किया जाता है.
कोरोना के चलते नहीं की जा रही कोई कार्रवाई
कोरोना महामारी के चलते वर्तमान में यातायात विभाग और नापतोल विभाग द्वारा ऑटो चालकों पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. हालांकि, अधिकारियों की मानें, तो आने वाले दिनों में संयुक्त अभियान चलाकर मीटर की जांच करने के साथ-साथ यातायात नियमों का पालन कराने के लिए अभियान चलाया जाएगा.